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सीमा पर निगरानी प्रणाली अभेद्य बनेगी, 1500 करोड़ रुपये खर्च होंगे

भारत-पाकिस्तान सीमा पर घुसपैठ के खतरों से निपटने के लिए सुरक्षा घेरा मजबूत किया जा रहा है। 1,500 करोड़ रुपये की लागत से नई निगरानी प्रणाली और बाड़ का उन्नयन किया जाएगा। अधिकारियों ने सीमा चौकियों से...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 17 May 2025 08:26 PM
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सीमा पर निगरानी प्रणाली अभेद्य बनेगी, 1500 करोड़ रुपये खर्च होंगे

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। भारत-पाकिस्तान सीमा पर घुसपैठ के खतरों का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा घेरा को और अभेद्य बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में निगरानी प्रणाली को भी अत्याधुनिक रूप दिया जा रहा है। 1,500 करोड़ रुपये की लागत से कई योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। सीमा पर अत्याधुनिक निगरानी बुनियादी ढांचे को स्थापित करने, बाड़ उन्नयन, रणनीतिक रूप से सीमावर्ती इलाकों में सड़क विकास सहित कई योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। एडवांस तकनीक के ड्रोन खरीद से जुड़े प्रस्तावों को भी सरकार आगे बढ़ा रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय संवेदनशील सीमा क्षेत्रों से जुड़ी इन परियोजनाओं को लेकर वित्त मंत्रालय के साथ लगातार चर्चा कर रहा है।

जिससे कि धन की कमी योजनाओं की राह में रोड़ा न बने। अधिकारियों को कहा गया है कि वे सीमावर्ती इलाकों में जरूरी काम को तेजी से आगे बढ़ाएं। सीमा निगरानी से जुड़े जरूरी प्रस्ताव पर अतिरिक्त मद से भी आवंटन किया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि ये परियोजनाएं भारत की सीमा सुरक्षा स्थिति में रणनीतिक बदलाव को दर्शाती हैं। इनसे सीमा पार से बढ़ती आक्रामकता और घुसपैठ की नई रणनीति का सामना करने में मदद मिलेगी। बाड़ आधुनिक तकनीक से लैस होगा अधिकारियों का कहना है कि घुसपैठ के खतरों का मुकाबला करने के लिए 500 किलोमीटर से अधिक मौजूदा सीमा बाड़ को नई उच्च गुणवत्ता वाली, मॉड्यूलर और बहुस्तरीय तकनीक के साथ उन्नत किया जाएगा। राजस्थान में 500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विशेष लेयर वाली बाड़ और दीवार निर्माण किया जाएगा। साथ ही बड़े पैमाने पर रात में निगरानी के लिए उच्च क्षमता वाली एलईडी लाइटिंग का इंतजाम जोखिम वाली जगहों पर किया जाएगा। इसके अलावा, विशिष्ट रेगिस्तानी जटिलताओं से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए बख्तरबंद भूमिगत केबलिंग पर जरूरी धनराशि खर्च करने को कहा गया है। - आसान होगी सुरक्षाकर्मियों की पहुंच उच्चस्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (एचएलईसी) ने जम्मू-कश्मीर के सांबा, इंद्रेश्वर नगर, कठुआ और पंजाब के फिरोजपुर व अबोहर क्षेत्र के उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में सीमा निगरानी से जुड़े कई कामों को मंजूरी दी है। जिसमें सीमा चौकियों (बीओपी) का सीमा पर लगी बाड़ से सड़क संपर्क सुनिश्चित करना शामिल है। ये परियोजनाएं भारत-पाक सीमा पर विभिन्न क्षेत्रों तक सुरक्षाबलों की आसान पहुंच में मदद करेंगी। बुलेटप्रूफ संतरी पोस्ट बीएसएफ कर्मियों की सुरक्षा के लिए संतरी पोस्ट को बुलेटप्रूफ बनाया जा रहा है। इससे जवान ड्यूटी के दौरान अचानक फायरिंग के दौरान ज्यादा सुरक्षित रहेंगे। सीमावर्ती नदी-नालों से जुड़े इलाकों में भी अभेद्य निगरानी तंत्र बनाने के लिए एक पूर्ण टोही और हाइड्रोलॉजिकल सर्वे की मदद ली गई है। सीमा पर तैनात सैनिकों की जल आपूर्ति संबंधी समस्याओं को कम करने के लिए और बेहतर भंडारण और वितरण सुविधा बढ़ाने पर 160 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह कच्ची पटरियों पर इस्तेमाल की जाने वाली मौजूदा महंगी और अस्थिर टैंकर प्रणाली की जगह लेगा।

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