नई ईवी नीति के तहत 50 फीसदी घरेलू उत्पादन अनिवार्य
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को बढ़ावा देने के लिए भारी उद्योग मंत्रालय ने नई ईवी नीति जारी की है। आवेदकों को अगले वर्ष में 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा। नई नीति में 35,000 अमेरिकी डॉलर तक...

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। देश में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए भारी उद्योग मंत्रालय ने नई ईवी नीति को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। नई पॉलिसी के तहत आवेदक को अगले साल में भारत के अंदर 4,150 करोड़ का निवेश करना होगा है। मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कंपनियों के लिए 50 फीसदी उत्पादन भारत में करना जरूरी होगा। नई योजना में 35,000 अमेरिका डॉलर तक की कार आयात करने की मंजूरी होगी। इसके लिए सीमा निर्धारित की गई है कि पांच साल तक 15 फीसदी के शुल्क पर आयात की अनुमति होगी। सोमवार को भारी उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने नई पॉलिसी को लेकर मीडिया के सामने जानकारी रखी।
उन्होंने कहा कि भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना से जुड़ी विस्तृत अधिसूचना जारी की है। इस योजना का उद्देश्य भारत को इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण में वैश्विक स्तर पर बड़ा केंद्र बनाना है। योजना के तहत आवेदन आमंत्रित करने की सूचना भी जल्द ही अधिसूचित करने का प्रस्ताव है, जिससे संभावित आवेदक ऑनलाइन आवेदन जमा कर सकेंगे। यह योजना वैश्विक ईवी निर्माताओं से निवेश आकर्षित करने और भारत को ई-वाहनों के विनिर्माण को बढ़ावा देने में मदद करेगी। इससे भारत में रोजगार पैदा करने और मेक इन इंडिया के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद मिलेगी। तीन साल में संयंत्र का परिचालन शुरू करना होगा नए संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और संबद्ध सुविधाएं, इंजीनियरिंग शोध एवं विकास पर किया गया व्यय भी इस योजना के तहत निवेश से जुड़े लाभ पाने के लिए पात्र होगा। हालांकि, संयंत्र के लिए भूमि पर किया गया व्यय इसका हिस्सा नहीं होगा लेकिन मुख्य संयंत्र की नई इमारतों को निवेश का हिस्सा माना जाएगा, बशर्ते यह प्रतिबद्ध निवेश के 10 प्रतिशत से अधिक न हो। वहीं चार्जिंग ढांचा तैयार करने पर किए गए व्यय को प्रतिबद्ध निवेश के पांच प्रतिशत तक माना जाएगा। इस योजना के तहत पात्र होने और लाभ पाने के लिए आवेदक के पास वाहन विनिर्माण से न्यूनतम 10,000 करोड़ रुपये का वैश्विक समूह राजस्व होना जरूरी है। जल्द खोली जाएगी विंडो आवेदन आमंत्रित करने के नोटिस के माध्यम से आवेदन प्राप्त करने की अवधि 120 दिन या अधिक की होगी। भारी उद्योग मंत्रालय को 15 अप्रैल 2026 तक आवश्यकतानुसार आवेदन विंडो खोलने का अधिकार होगा। आवेदन पत्र दाखिल करते समय आवेदक को पांच लाख रुपये का गैर-वापसी योग्य आवेदन शुल्क देना होगा। आवेदन ऑनलाइन जमा कर सकेंगे। इस संबंध में नोटिस मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाएगा। विनफास्ट का निवेश योजना में लाभ का पात्र नहीं वियतनाम की इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता विनफास्ट का तमिलनाडु में किया जा रहा दो अरब डॉलर (16,000 करोड़ रुपये) का निवेश भारत में इलेक्ट्रिक यात्री कारों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना के तहत लाभ पाने के लिए पात्र नहीं होगा। अधिकारियों ने कहा कि इस योजना के तहत पात्र निवेश को अनुमोदन की तारीख के बाद आवेदक के बही-खाते में पूंजीकृत किया जाना चाहिए। इस तरह उपकरण और मशीनरी का इस्तेमाल भी अनुमोदित आवेदक बनने के बाद किया जाना चाहिए। ----------- पॉलिसी में क्या कुछ खास - वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन प्राप्त लक्ष्य को हासिल करने,आर्थिक विकास को गति देने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी - भारत को ऑटोमोटिव विनिर्माण और नवाचार के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायता मिलेगी। - 35,000 अमेरिकी डॉलर मूल्य वाली इलेक्ट्रिक कारों को 15 फीसदी कस्टम ड्यूटी पर आयात करने की अनुमति। यह छूट 5 वर्षों के लिए होगी। - प्रति वर्ष 8,000 इलेक्ट्रिक वाहन आयात करने की अनुमति। अगर निर्धारित सीमा से कम वाहन आयात किए जाते हैं तो शेष वाहन कोटे को अगले वर्षों में स्थानांतरित किया जा सकेगा। - तीन वर्ष में 4,150 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करना अनिवार्य। - निवेश में नया प्लांट, मशीनरी, उपकरण, अनुसंधान एवं विकास और यूटिलिटीज शामिल होंगे। - भूमि पर खर्च निवेश लागत में मान्य नहीं होगा, लेकिन मुख्य भवन और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सीमित सीमा तक खर्च मान्य होगा। - बिल्डिंग में अधिकतम 10 फीसी निवेश, चर्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर अधिकतम 5 फीसदी मान्य होगा।
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