दोनों ट्रेनों में तैनात होंगे 15-15 कमांडो, सुपरवाइजर भी रहेंगे; जम्मू-कश्मीर में वंदे भारत की पुख्ता सुरक्षा
अश्विनी वैष्णव ने कहा, ‘चिनाब पुल 359 मीटर ऊंचा है, जो एफिल टॉवर से भी ऊंचा है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा मेहराबदार रेलवे ब्रिज है। इस लाइन पर 12.77 किलोमीटर लंबी टी50 सुरंग, सबसे लंबी परिवहन सुरंग है।’

कटरा से कश्मीर के लिए जाने वाली वंदे भारत ट्रेनों की सुरक्षा की जिम्मेदारी रेलवे सुरक्षा बल के कमांडो को दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में कटरा और श्रीनगर के बीच वंदे भारत ट्रेन सेवा को हरी झंडी दिखाई। यह कश्मीर घाटी और जम्मू क्षेत्र के बीच पहली सीधी रेल सेवा है, जो उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल खंड पर माता वैष्णव देवी मंदिर के आधार स्थल कटरा तक चलेगी। सीनियर अधिकारी ने बताया, ‘रेलवे सुरक्षा के लिए आरपीएफ के कमांडो को कटरा और कश्मीर के बीच यूएसबीआरएल (उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक) पर वंदे भारत ट्रेन में तैनात किया गया है।’
प्रधानमंत्री मोदी ने जिन 2 वंदे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाई, उनमें भी आरपीएफ के कमांडो मौजूद थे। अधिकारियों ने बताया कि ट्रेन और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दोनों वंदे भारत ट्रेन में 15-15 कमांडो और एक-एक सुपरवाइजर तैनात रहेंगे। उन्होंने बताया कि कमांडो की इन इकाइयों को हाल ही में बाहर से लाया गया है। ये कश्मीर घाटी के बडगाम क्षेत्र और रियासी जिले के कटरा क्षेत्र में तैनात रहेंगी। अधिकारियों ने बताया कि उच्च जोखिम वाले सुरक्षा अभियानों, विशेषकर नक्सली उग्रवाद जैसे खतरों वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने के बाद, यह पहली बार है जब सीओरआरएएस को जम्मू-कश्मीर में तैनात किया गया है।
शनिवार से रोजाना दौड़ेगी वंदे भारत ट्रेन
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि प्रधानमंत्री की ओर से हरी झंडी दिखाए जाने के बाद 7 जून से दोनों नई वंदे भारत ट्रेन की नियमित आवाजाही शुरू होगी। उन्होंने बताया कि ये ट्रेन सप्ताह में 6 दिन चलेंगी, जबकि मंगलवार को रखरखाव के लिए आरक्षित रखा जाएगा। वहीं, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को कहा कि पीएम मोदी के दृढ़ संकल्प के कारण कश्मीर को रेल मार्ग के जरिए देश के शेष हिस्सों से जोड़ने का सपना साकार हो पाया है। उन्होंने कहा, ‘देश का दशकों से जम्मू-श्रीनगर-बारामूला रेलवे लाइन का सपना था। इसमें कई कठिनाइयां थीं, जैसे ऊंचे पर्वत और गहरी घाटियां। लेकिन हमें प्रकृति से नहीं लड़ना है। पुलों और सुरंगों के नेटवर्क के माध्यम से यह रेलवे लाइन हकीकत में तब्दील हो गई।’