नकदी प्रकरण: जस्टिस वर्मा के स्टोर रूम में डेढ फीट ऊंचाई तक लगी थी नोटों की गड्डियां
प्रभात कुमार नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा अपने आधिकारिक आवास

प्रभात कुमार नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा अपने आधिकारिक आवास में लगी आग बुझाने के दौरान भारी मात्रा में मिली नकदी मिलने की जांच के लिए देश के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) द्वारा गठित 3 जजों की समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा किया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘ जिस स्टोर रूम में आग लगी थी, उसमें दरवाजे से लेकर कमरे के दूसरी दीवार तक नोटों का अंबार लगा हुआ था जो करीब डेढ़ फीट तक ऊंचे पाए गए। सूत्रों ने बताया कि मामले की जांच के लिए तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना द्वारा गठित 3 अलग-अलग उच्च न्यायालयों के 3 जजों की समिति ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को उनके घर नकदी मिलने के मामले में दोषी ठहराते हुए, उनके खिलाफ महाभियोग सिफारिश की थी।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस वर्मा नकदी कहां से आए, इस बारे में स्रोत का खुलासा करने में पूरी तरह से नाकाम रहे और अंत तक उन्होंने अपने खिलाफ किसी साजिश की संभावना जताते रहे। रिपोर्ट में कहा है कि आधिकारिक आवास के स्टोर रूम में जली हुई नकदी पाए जाने की बात पूरी तरह से साबित हो चुकी थी, इसलिए जस्टिस वर्मा पर यह दायित्व आ गया था कि वे उचित स्पष्टीकरण देकर नकदी का हिसाब दें। लेकिन उन्होंने पूरी तरह से नकदी से किसी तरह का संबंध होने से इनकार करने के साथ-साथ यह कहते रहे कि उनके खिलाफ किसी तरह की साजिश की गई। सूत्रों ने कहा है कि समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ कदाचार के आरोप इतने गंभीर हैं कि उनके खिलाफ महाभियोग चलाया जाना चाहिए। समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में तुगलक रोड थाने के प्रभारी (एसएचओ) के बयान के हवाले से कहा है कि स्टोर रूम के ‘फर्श पर पड़े जले हुए नोटों का ढेर करीब 1.5 फीट ऊंचा था आहर स्टोर रूम के दरवाजे से लेकर दूसरी तरफ की दीवार तक नोट फर्श पर पड़े थे। रिपोर्ट में पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए है। इसमें कहा गया है कि मामला इतना गंभीर होने के बाद भी पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज नहीं की। सक्रिय और गुप्त नियंत्रण में था स्टोर रूम, जहां से मिली नकदी जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 14 की रात को जब जस्टिस वर्मा के 30-तुगलक क्रिसेंट रोड स्थित आधिकारिक आवास में आग लगी थी, उस समय उनकी बेटी 17 लोग मौजूद थे। हालांकि जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी उस दिन दिल्ली से बाहर थे। रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के उस दावे को भी सिरे से ठुकरा दिया, जिसमें कहा गया था कि जिस स्टोररूम में नकदी मिली है, वह उनके और उनके परिवार के लोगों के नियंत्रण में नहीं था। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टोर रूम जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के लोगों के ‘गुप्त और सक्रिय नियंत्रण में था। रिपोर्ट में कहा गया है कि गवाहों के बयानों से जाहिर हुआ है कि जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के लोगों के अलावा किसी को भी स्टोर रूम में जाने की इजाजत नहीं थी। शराब की आलमारी ने आग को बढ़ाया सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में कहा गया है कि स्विचबोर्ड के पास रखी शराब की अलमारी ने आग को और बढ़ा दिया। जांच में पाया गया कि आग लगने के बाद जस्टिस वर्मा के घर पर मौजूद कर्मचारियों ने स्टोर रूम से जली हुई नकदी को निकालने का प्रयास किया था। जस्टिस वर्मा को पल-पल की जानकारी दे रहे थे निजि सचिव समिति ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा के उन दावों को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें बाद में आग लगने की जानकारी मिली। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब आवासीय परिसर के स्टोर रूम में आग लगी तो जस्टिस वर्मा को उनके निजी सचिव राजेंद्र सिंह कार्की ने सबसे पहले उन्हें जानकारी दी। रिपोर्ट में कहा गया कि निजि सचिव ने उन्हें रात भर कई बार फोन करके नियमित रूप से पल पल की जानकारी दे रहे थे। मानसून सत्र में महाभियोग चलाने पर विचार कर रही है सरकार नकदी प्रकरण के बाद दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किए गए जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ मानसून सत्र में सरकार महाभियोग चलाने का प्रस्ताव लाने पर विचार कर रही है। तत्कालीन सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना से 8 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जांच समिति की रिपोर्ट भेजने के साथ ही, जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी। समिति ने 4 मई को सीजेआई को रिपोर्ट सौंपी थी। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए सभी दलों का समर्थन चाहती है और इसके लिए प्रयास की जा रही है।
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