क्यों स्टील्थ फाइटर जेट के पीछे भाग रही दुनिया? केवल 3 देशों के पास है ये ताकत, बहुत दूर नहीं भारत
स्टील्थ जेट्स आधुनिक युद्ध में रणनीतिक बढ़त देते हैं, और केवल अमेरिका, चीन, रूस के पास यह तकनीक है। भारत अपनी AMCA परियोजना के साथ 2035 तक इस विशिष्ट क्लब में शामिल होने की राह पर है।
आधुनिक युद्ध की दुनिया में स्टील्थ फाइटर जेट एक ऐसी तकनीक है, जो किसी भी देश की सैन्य शक्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जाती है। ये विमान न केवल रडार से बचने की क्षमता रखते हैं, बल्कि अत्याधुनिक हथियार प्रणालियों, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और सुपरक्रूज जैसी फीचर्स से लैस होते हैं, जो इन्हें युद्ध के मैदान में लगभग अजेय बनाते हैं। वर्तमान में केवल तीन देश- अमेरिका, चीन, और रूस पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट्स का संचालन कर रहे हैं। लेकिन भारत भी इस दौड़ में पीछे नहीं है। अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना, एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) के साथ, भारत इस विशिष्ट क्लब में शामिल होने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। आज स्टील्थ फाइटर जेट्स के बारे में विस्तार से समझते हैं।
स्टील्थ फाइटर जेट्स: युद्ध की दुनिया का गेम-चेंजर
स्टील्थ फाइटर जेट्स ऐसे लड़ाकू विमान हैं, जो रडार, इन्फ्रारेड सेंसर, और अन्य इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डिटेक्शन सिस्टम से बचने के लिए डिजाइन किए गए हैं। इनका डिजाइन, मटेरियल, और तकनीक इस तरह तैयार की जाती है कि ये रडार की तरंगों को अब्सॉर्ब यानी आत्मसात कर लें या उन्हें बिखेर दें, जिससे दुश्मन के लिए इन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है। कम हीट और साउंड के कारण ये विमान युद्ध के मैदान में "अदृश्य" की तरह काम करते हैं।
पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट्स की फीचर्स
एडवांस स्टील्थ: रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) को कम करने के लिए विशेष डिजाइन और रडार-अब्सॉर्ब मटेरियल।
सुपरक्रूज: आफ्टरबर्नर के बिना सुपरसोनिक गति पर उड़ान भरने की क्षमता।
सेंसर फ्यूजन: विभिन्न सेंसरों से डेटा को इंटीग्रेट कर तेजी से निर्णय लेने की क्षमता।
AI-आधारित सिस्टम: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से युक्त इलेक्ट्रॉनिक पायलट और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध प्रणाली।
मल्टी-रोल क्षमता: हवा से हवा, हवा से जमीन, और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैसे विविध मिशनों को अंजाम देने की क्षमता।
इन विशेषताओं के कारण स्टील्थ फाइटर जेट्स आधुनिक युद्ध में रणनीतिक बढ़त प्रदान करते हैं। ये विमान दुश्मन के क्षेत्र में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं, बिना पकड़े गए लक्ष्य को नष्ट कर सकते हैं, और जटिल हवाई रक्षा प्रणालियों को भेद सकते हैं।
वैश्विक स्थिति: केवल तीन देशों का दबदबा
वर्तमान में, केवल तीन देशों के पास पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट्स हैं। बाकी देश भी इस रेस में लगे हुए हैं।
अमेरिका
F-22 रैप्टर: लॉकहीड मार्टिन द्वारा विकसित, यह दुनिया का पहला पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट है। इसकी कीमत लगभग 143 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट है। यह सुपरक्रूज, एडवांस स्टील्थ, और बेहतरीन चपलता के लिए जाना जाता है।
F-35 लाइटनिंग II: यह मल्टी-रोल फाइटर जेट 20 से अधिक देशों में तैनात है। यह AI-आधारित सेंसर फ्यूजन और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध क्षमताओं से लैस है। इसकी कीमत लगभग 80 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट है। अमेरिका इसे भारत को बेचना का ऑफर दे चुका है। फिलहाल भारत की ओर से अभी कोई आधिकारिक फैसला नहीं लिया गया है।
चीन:
चेंगदू J-20 माइटी ड्रैगन: चीन का पहला स्टील्थ फाइटर, जो तिब्बत में भारतीय सीमा के पास तैनात है। चीन 2030 तक 1,000 J-20 विमानों का बेड़ा तैयार करने की योजना बना रहा है।
शेनयांग J-35: F-35 के समकक्ष, यह एक सिंगल-सीटर, ट्विन-इंजन, मल्टी-रोल स्टील्थ फाइटर है। इसे पाकिस्तान को निर्यात करने की योजना है। ऐसा कहा जाता है कि चीन ने अमेरिकी विमान की डिजाइन चोरी कर इसे बनाया है।
J-36: छठी पीढ़ी का प्रोटोटाइप, जो भविष्य के युद्ध के लिए तैयार किया जा रहा है।
रूस:
सुखोई Su-57: रूस का पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट, जो स्टील्थ में F-22 और F-35 से पीछे है, लेकिन गति और चपलता में शानदार है। इसकी कीमत लगभग 85 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट है।
इन देशों ने स्टील्थ तकनीक में भारी निवेश किया है, क्योंकि यह युद्ध में रणनीतिक लाभ प्रदान करती है। हालांकि, इन विमानों की उच्च लागत और जटिल तकनीक के कारण अन्य देशों के लिए इस क्षेत्र में प्रवेश करना चुनौतीपूर्ण है।
भारत की स्थिति: AMCA के साथ एक नई शुरुआत
भारत ने अपनी वायु शक्ति को मजबूत करने और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) परियोजना शुरू की है। 27 मई को, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मेगा परियोजना के कार्यान्वयन मॉडल को मंजूरी दी, जिसकी शुरुआती लागत लगभग 15,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह परियोजना न केवल भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाएगी, बल्कि स्वदेशी रक्षा उद्योग को भी मजबूत करेगी।
AMCA की विशेषताएं
AMCA एक 25 टन वजनी, ट्विन-इंजन, मल्टी-रोल स्टील्थ फाइटर जेट होगा, जिसमें कई विशेषताएं होंगी:
उन्नत स्टील्थ: रडार क्रॉस-सेक्शन को कम करने के लिए विशेष डिजाइन और सामग्री।
सुपरक्रूज: बिना आफ्टरबर्नर के सुपरसोनिक गति।
AI और सेंसर फ्यूजन: इलेक्ट्रॉनिक पायलट और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध प्रणाली।
आंतरिक हथियार कक्ष: 11 हार्ड प्वाइंट्स, जिनमें अधिकांश हथियार आंतरिक रूप से ले जाए जाएंगे, जिससे रडार दृश्यता कम होगी।
10 घंटे की उड़ान क्षमता: लंबी दूरी के मिशनों के लिए उपयुक्त।
मानवयुक्त और मानवरहित संचालन: ड्रोन के साथ तालमेल के लिए डिजाइन।
AMCA का विकास दो चरणों में होगा:
Mk1: GE F414 इंजन के साथ, 2027 तक पहला प्रोटोटाइप उड़ान भरेगा।
Mk2: स्वदेशी कावेरी इंजन और एडवांस AI तकनीकों के साथ, 2030 के बाद तैयार होगा।
वैमानिकी विकास एजेंसी (ADA) इस परियोजना का नेतृत्व कर रही है, जिसमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और निजी क्षेत्र की कंपनियां शामिल होंगी। अगले पांच वर्षों में पांच प्रोटोटाइप विकसित किए जाएंगे, पहला प्रोटोटाइप 2027 तक तैयार होगा। 2035 तक भारतीय वायुसेना 120 AMCA जेट्स को शामिल कर छह स्क्वाड्रन तैयार करना चाहती है। DRDO का कावेरी इंजन, जिसका परीक्षण रूस में अंतिम चरण में है, AMCA Mk2 में उपयोग होगा।
भारत की जरूरत
भारतीय वायुसेना के पास वर्तमान में 31 स्क्वाड्रन हैं, जबकि स्वीकृत संख्या 42 है। क्षेत्रीय खतरों, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान से, ने स्टील्थ फाइटर जेट्स की आवश्यकता को और बढ़ा दिया है। चीन के पास 1,300 से अधिक चौथी पीढ़ी के जेट्स और 250+ J-20 स्टील्थ फाइटर हैं, जबकि वह पाकिस्तान को J-35 निर्यात करने की योजना बना रहा है। हाल के ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने अपनी वायु शक्ति का प्रदर्शन किया, लेकिन चीन जैसों देशों पर तकनीकी बढ़त के लिए AMCA जैसे जेट्स जरूरी हैं।
क्यों है स्टील्थ फाइटर जेट्स की दौड़?
रणनीतिक बढ़त: स्टील्थ जेट्स दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को भेद सकते हैं, जिससे किसी भी देश को आक्रामक और रक्षात्मक दोनों रणनीतियों में लाभ मिलता है।
क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: भारत जैसे देशों के लिए, जो दो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों (चीन और पाकिस्तान) के बीच है, स्टील्थ जेट्स रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
आर्थिक और तकनीकी विकास: स्टील्थ जेट्स के विकास से स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा मिलता है, रोजगार सृजन होता है, और नई तकनीकों का विकास होता है।
वैश्विक साख: पांचवीं पीढ़ी के जेट्स विकसित करने की क्षमता किसी देश को तकनीकी और सैन्य शक्ति के मामले में वैश्विक मंच पर स्थापित करती है।
चुनौतियां और भविष्य
स्टील्थ तकनीक, AI, और स्वदेशी इंजन विकसित करना जटिल और महंगा है। भारत को इस क्षेत्र में वैश्विक नेताओं से प्रतिस्पर्धा करनी होगी। इसके अलावा, अगर खुद के प्रोजेक्ट में देरी हुई, तो 2035 तक, भारत को F-35 या Su-57 जैसे जेट्स खरीदने पर विचार करना पड़ सकता है। चीन की J-36 और पाकिस्तान को J-35 की संभावित आपूर्ति भारत के लिए चुनौती है। इसके जवाब में भारत का "सूर्या" एंटी-स्टील्थ रडार एक महत्वपूर्ण कदम है।
कुल मिलाकर स्टील्थ फाइटर जेट्स आधुनिक युद्ध की रीढ़ हैं, और इनके पीछे दुनिया की दौड़ सैन्य, तकनीकी, और रणनीतिक श्रेष्ठता की खोज है। केवल तीन देशों—अमेरिका, चीन, और रूस—के पास यह तकनीक है, लेकिन भारत अपनी AMCA परियोजना के साथ इस विशिष्ट क्लब में शामिल होने की राह पर है। 2035 तक, AMCA के शामिल होने से भारत न केवल अपनी वायु शक्ति को मजबूत करेगा, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी साकार करेगा। यह परियोजना न केवल सैन्य शक्ति का प्रतीक है, बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता और वैश्विक महत्वाकांक्षा का भी प्रमाण है।