सेहत का हवाला देकर जमानत मांग सकता है चोकसी
मेहुल चोकसी, जो पीएनबी घोटाले का आरोपी है, बेल्जियम की अदालत में चिकित्सीय आधार पर जमानत के लिए याचिका दायर कर सकता है। उसके वकील के अनुसार, चोकसी गंभीर बीमारी से ग्रसित है और वह व्हीलचेयर पर निर्भर...

नई दिल्ली, एजेंसी। पीएनबी घोटाले का आरोपी मेहुल चोकसी चिकित्सीय आधार पर जमानत के लिए बेल्जियम की अदालत में याचिका दायर कर सकता है। चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान खुद इस बात कर जिक्र किया।
अग्रवाल ने कहा, चोकसी फिलहाल जेल में हैं और बेल्जियम के नियमों के तहत वह जमानत के लिए सीधे आवेदन नहीं कर सकते, लेकिन अपील दायर कर सकते हैं। इसमें वह कह सकते हैं कि उन्हें हिरासत में न रहते हुए खुद का बचाव करने और प्रत्यर्पण अनुरोध का विरोध करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि अपील के लिए स्पष्ट आधार यह होगा कि चोकसी के भागने का जोखिम नहीं है, वह बहुत बीमार है और कैंसर का इलाज करवा रहा है। उन्होंने कहा कि उनका कानूनी बचाव यह होगा कि यह एक राजनीतिक मामला है और मानवीय स्थिति (भारतीय जेलों में) अच्छी नहीं है।
ब्लड कैंसर से पीड़ित, व्हीलचेयर पर निर्भर
मेहुल चोकसी क्रोनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया नामक ब्लड कैंसर से पीड़ित है। बेल्जियम के अस्पताल में इलाज करा रहा चोकसी की मेडिकल रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति यात्रा के लिए उपयुक्त नहीं है और वह व्हीलचेयर पर निर्भर हैं। चोकसी ने पहले भी एंटीगुआ और डोमिनिका में यह दावा किया था कि उन्हें हृदय रोग है, जिसके चलते वह लंबी यात्रा या जेल में रहने की स्थिति में नहीं हैं।
भारत लाना हो सकता है आसान
भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण समझौते के तहत गंभीर अपराधों जैसे कि हत्या, दुष्कर्म, धोखाधड़ी, गबन और जालसाजी करने वाले भगोड़ों को एक-दूसरे को सौंपा जा सकता है। लेकिन अगर भगोड़ा बेल्जियम का नागरिक है, तो उसे भारत भेजना बेल्जियम की मर्जी पर निर्भर करता है। इसके अलावा, यह भी देखा जाएगा कि जिस वक्त अपराध हुआ, उस समय आरोपी किस देश का नागरिक था।
अब तक
-ईडी अब तक तीन चार्जशीट दाखिल कर चुकी है
-सीबीआई ने भी अलग-अलग धाराओं में केस फाइल किया है
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मामा-भांजा ने मिलकर दिया घोटाले को अंजाम
मेहुल चोकसी, नीरव मोदी का मामा है। चोकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स और नीरव मोदी की कंपनियां सोलर एक्सपोर्ट्स, स्टेलर डायमंड्स आदि मिलकर ही फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के जरिए बैंकों से लोन लेते थे। चोकसी और नीरव मोदी का पारिवारिक रिश्ता भी था और कारोबारी गठजोड़ भी, जिसका फायदा उठाकर इस घोटाले को अंजाम दिया गया।
टाइमलाइन
2011–2017: फर्जीवाड़े की शुरुआत
-चोकसी और नीरव मोदी ने पीएनबी के कुछ अफसरों की मिलीभगत से फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग तैयार करवाए
-इन लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के जरिए विदेशों में बैंकों से हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया
-रकम कभी चुकाई नहीं गई, यही घोटाले की जड़ थी
जनवरी 2018: घोटाले का खुलासा
-पीएनबी ने 11,000 करोड़ रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया
-बैंक ने सीबीआई और ईडी को इसकी जानकारी दी
फरवरी 2018: देश छोड़कर भागे
-मेहुल चोकसी और नीरव मोदी भारत से फरार हो गए
-चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता ली, नीरव मोदी ब्रिटेन चला गया
मार्च 2018: जांच एजेंसियां सक्रिय
-ईडी और सीबीआई ने दोनों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की
-करीब 13,500 करोड़ रुपये तक घोटाले का आंकड़ा पहुंचा
- संपत्तियों की जब्ती और रेड शुरू हुई
2019: नीरव मोदी गिरफ्तार
-प्रत्यर्पण अब भी ब्रिटेन की अदालतों में लंबित
मई 2021: चोकसी डोमिनिका में पकड़ा गया
-उसने दावा किया कि उसका अपहरण हुआ था
-खराब स्वास्थ्य का हवाला देकर भारत आने से बचा
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