तहव्वुर राणा-- डीपी:1-- शिकंजा: तहव्वुर राणा भारत लाया गया: एनआईए
नंबर गेम... - 26 नवंबर 2008 को हुआ था मुंबई आतंकी हमला - 16 साल

नंबर गेम... - 26 नवंबर 2008 को हुआ था मुंबई आतंकी हमला
- 16 साल की कानूनी लड़ाई के बाद हुआ प्रत्यर्पण
क्रॉसर...
- विशेष विमान से राणा को दिल्ली लाया गया
- पटियाला हाउस कोर्ट में हो सकती है पेशी
राणा के हिस्से में हर बार हार
- 16 मई 2023 को कैलिफोर्निया की जिला अदालत ने राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी थी
- 10 अगस्त 2023 को राणा की अपील को अमेरिकी जिला न्यायाधीश ने फिर खारिज किया
- राणा 9वें सर्किट अमेरिकी अपील न्यायालय गया, 15 अगस्त 2024 को याचिका खारिज
- 04 अप्रैल 2025 को अमेरिका की शीर्ष अदालत ने राणा की समीक्षा याचिका को खारिज किया
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता, एजेंसी। मुंबई हमले का साजिशकर्ता 64 वर्षीय तहव्वुर हुसैन राणा गुरुवार को अमेरिका से भारत पहुंच गया है। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने गुरुवार को बयान जारी कर ये जानकारी दी। एनआईए ने कहा कि इसी के साथ राणा द्वारा प्रत्यर्पण रोकने की सभी कोशिशों भी विफल साबित हो गई हैं।
एनआईए ने बताया कि विशेष विमान से राणा को कड़ी सुरक्षा के बीच दिल्ली के पालम एयरपोर्ट लाया गया। राणा की अदालत में पेशी को लेकर पटियाला हाउस कोर्ट में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। पटियाला हाउस कोर्ट में उसकी पेशी की संभावना को देखते हुए कोर्ट परिसर को सुबह से ही पूरी तरह छावनी में तब्दील कर दिया गया है। तिहाड़ जेल सूत्रों की मानें तो राणा को तिहाड़ जेल में रखा जाएगा। राणा पर निगरानी के लिए विशेष टीम भी बनाई गई है जो 24 घंटे उसकी निगरानी करेगी। एनआईए ने बताया कि अमेरिका के न्याय विभाग, स्काई मार्शल और दूसरे देशों की खुफिया एजेंसियों के साथ बेहतर ढंग से समन्वय से ही राणा का सफल प्रत्यर्पण संभव हो सका है। राणा के ट्रॉयल से जुड़े रिकॉर्ड को दिल्ली की विशेष अदालत में पहुंचा दिया गया है। कहा जा रहा है कि आज देर रात तक उसकी अदालत में पेशी हो सकती है। राणा मुंबई आतंकी हमले में 166 लोगों की मौत का आरोपी है। राणा पर डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाउद गिलानी और नामित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (एचयूजेआई) के गुर्गों के साथ-साथ अन्य पाकिस्तान स्थित सह-षड्यंत्रकारियों के साथ मिलकर 2008 में मुंबई में विनाशकारी आतंकवादी हमलों को अंजाम देने की साजिश रचने का आरोप है।
हाई अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसियां
राणा के प्रत्यर्पण के बाद राजधानी में खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां हाई-अलर्ट पर हैं। पटियाला हाउस कोर्ट के गेट नंबर-1 से लेकर 13 तक दिल्ली पुलिस, अर्धसैनिक बलों के जवान तैनात रहे। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए आगंतुकों की गहन तलाशी ली गई। मेटल डिटेक्टर लगाए गए थे और सीसीटीवी निगरानी बढ़ा दी गई थी। सुरक्षा के लिहाज एनआईए मुख्यालय के पास स्थित जेएलएन मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर दो को भी बंद कर दिया गया था।
वकीलों के नाम भी तय हुए
राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अदालत में भारत का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन एनआईए की ओर से अभियोजन पक्ष का नेतृत्व करेंगे। कृष्णन वर्ष 2010 से प्रत्यर्पण कार्रवाई से जुड़े हैं। वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार देर रात आदेश जारी कर कहा कि वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णन को विशेष अभियोजक नरेंद्र मान मदद करेंगे जो आपराधिक मामलों के अनुभवी वकील हैं। आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि मान तीन साल या केस के हल होने तक जुड़े रहेंगे। सूत्रों की मानें तो अभियोजन टीम में एनआईए के वकील के अलावा अधिवक्ता संजीवी शेषाद्रि और श्रीधर काले भी शामिल होंगे।
अमेरिकी अदालत में पेश किया पक्ष
राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी अदालत में भारत का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने मजबूती से अपना पक्ष रखा। इसी का नतीजा है कि राणा भारत पहुंचा है। अमेरिकी अदालत में चली कार्रवाई से जुड़े एक सूत्र ने बताया की राणा के प्रत्यर्पण से जुड़ा सबसे अहम फैसला 16 मई 2023 को आया जब कैलिफोर्निया की जिला अदालत के जज ने दलीलें सुनने के बाद प्रत्यर्पण की अनुमति दे दी थी। अदालती कार्रवाई के दौरान कृष्णन और राणा के वकील पॉल गार्लिक क्यूबी के बीच तीखी बहस भी हुई थी।
मुंबई से आया गुनाहों का रिकॉर्ड
राणा के प्रत्यर्पण से पहले एनआईए ने दिल्ली की अदालत में अर्जी दी थी कि मुंबई हमले से जुड़े रिकॉर्ड मुंबई से मंगाए जाए। 28 जनवरी को दिल्ली के जिला जज विमल कुमार यादव ने मुंबई की अदालत को आदेश जारी कर मामले से जुड़े सभी रिकॉर्ड अदालत को सौंपने को कहा था। सूत्रों की मानें तो राणा के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने का मामला एनआईए दिल्ली ने दर्ज किया था। इसलिए मामले की सुनवाई भी दिल्ली में होगी। राणा को लेकर सुनवाई के लिए जांच एजेंसी ने पूरी तैयारी कर ली है।
पाक ने कहा उसका लेनादेना नहीं
पाकिस्तान ने कहा है कि 26/11 हमले के मामले में कनाडाई नागरिक तहव्वुर राणा से उसका कोई लेना देना नहीं है। पाकिस्तान विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफाकत अली ने गुरुवार को ये बात कही। उन्होंने कहा राणा ने पिछले दो दशक से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया। मालूम हो राणा का जन्म 1960 में पाकिस्तान में हुआ था और पाक सेना में डॉक्टर भी रह चुका है। 1990 में वो कनाडा का नागरिक बन गया था। पाकिस्तान ने कहा है कि हमारे रिकॉर्ड में राणा कनाडाई नागरिक है।
वर्ष 2023 में प्रत्यर्पण का ओदश
कैलिफोर्निया के सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 16 मई 2023 को उसके प्रत्यर्पण का आदेश दिया था। इसके बाद राणा ने नौवीं सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स में कई मुकदमे दायर किए, जिनमें से सभी खारिज कर दिए गए। इसके बाद उसने सर्टिओरीरी रिट, दो बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं और अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक आपातकालीन आवेदन दायर किया। यह सभी याचिकाएं खारिज कर दी गईं। भारत द्वारा वांछित आतंकवादी के लिए अमेरिकी सरकार से आत्मसमर्पण वारंट प्राप्त करने के बाद दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण कार्यवाही शुरू की गई थी।
अमेरिकी जेल में नहीं है राणा
अमेरिका के जेल ब्यूरो ने पहले ही बयान जारी कर कह दिया था कि मुंबई आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा उसकी कैद में नहीं है। संघीय जेल ब्यूरो की वेबसाइट पर अपडेट जानकारी के अनुसार राणा 8 अप्रैल से जेल ब्यूरो की हिरासत में नहीं है। एक अधिकारी ने कहा कि अगर कोई प्रत्यर्पण का कैदी बीओपी की हिरासत में नहीं है, इसका मतलब ये है कि वो किसी अन्य न्याय प्रणाली के तहत हिरासत में रहता है। जेल ब्यूरो ने ये भी कहा है कि वे किसी कैदी की जानकारी सार्वजनिक तौर पर साझा नहीं कर सकता है।
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