मेडिकल कॉलेजों में घोस्ट फैकल्टी पर एनएमसी की सख्ती
- फेस ऑथेंटिकेशन सिस्टम लागू करने के निर्देश, डॉक्टरों के संगठन फाइमा ने फैसले को ऐतिहासिक बताया

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी यानी शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने घोषणा की है कि 1 मई 2025 से सभी मेडिकल कॉलेजों में उपस्थिति दर्ज करने के लिए केवल फेस-बेस्ड आधार ऑथेंटिकेशनप्रणाली का उपयोग किया जाएगा। मौजूदा फिंगरप्रिंट आधारित प्रणाली को पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। यह निर्णय घोस्ट फैकल्टी यानी नकली या केवल कागजों पर मौजूद शिक्षकों की समस्या से निपटने के उद्देश्य से लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक कुछ लोगों ने शिकायतें की थीं कि कुछ निजी और यहां तक कि कुछ सरकारी कॉलेजों में भी डुप्लीकेट फिंगरप्रिंट के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करवाई जा रही थी। अब फेस ऑथेंटिकेशन तकनीक से ऐसी धोखाधड़ी पर पूरी तरह रोक लगाई जा सकेगी।
डॉक्टरों के प्रमुख संगठन फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (फाइमा) ने इस फैसले की सराहना की है। फाइमा के डॉक्टर मनीष जांगड़ा ने कहा कि यह फैसला मेडिकल शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। अब केवल वही शिक्षक उपस्थिति दर्ज करवा पाएंगे, जो वास्तव में कॉलेज में मौजूद होंगे। इससे छात्रों को सही मार्गदर्शन मिल सकेगा और फर्जीवाड़ा रुकेगा।
24 अप्रैल से सक्रिय हो जाएगा ऐप
एनएमसी के नए आदेश के तहत सभी मेडिकल कॉलेजों को 20 अप्रैल 2025 तक उन स्थानों की जीपीएस लोकेशन और नोडल अधिकारी की जानकारी आयोग को ईमेल के माध्यम से भेजनी होगी। कॉलेजों को अपने फैकल्टी सदस्यों को फेस-बेस्ड आधार ऑथेंटिकेशन ऐप इंस्टॉल करवाना होगा, जो एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है। यह ऐप 24 अप्रैल 2025 से सक्रिय किया जाएगा। किसी भी प्रकार की तकनीकी परेशानी होने पर 30 अप्रैल तक सूचना देना अनिवार्य है। इस फैसले को लेकर देशभर के मेडिकल शिक्षण संस्थानों में हलचल है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव मेडिकल शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
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