Supreme Court Criticizes Rajasthan Government Over Rising Student Suicides in Kota कोटा में छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे : सुप्रीम कोर्ट, Delhi Hindi News - Hindustan
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कोटा में छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामलों में वृद्धि पर राजस्थान सरकार को फटकार लगाई। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि राज्य को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए। इस साल 14 छात्र आत्महत्या कर...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 23 May 2025 05:47 PM
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कोटा में छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोचिंग हब के लिए मशहूर कोटा में छात्रों की खुदकुशी के मामलों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को गंभीर बताते हुए राजस्थान सरकार को कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा कि कोटा में छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? एक राज्य के रूप में इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए आप क्या कर रहे हैं? जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि यह काफी चिंताजनक है, इस साल अब तक कोटा में 14 छात्रों द्वारा खुशकुशी करने के मामले सामने आए हैं। जस्टिस पारदीवाला ने राजस्थान से कहा कि आपके शहर में पढ़ने आने वाले ये बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और केवल कोटा में ही? क्या आपने एक राज्य के रूप में इस पर विचार नहीं किया? जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि एक राज्य के रूप में इस तरह की घटना को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

इस पर राजस्थान सरकार ने पीठ से कहा कि छात्रों के खुदकुशी की घटनाओं की जांच के लिए राज्य में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था। प्राथमिकी दर्ज न होना गलत सुप्रीम कोर्ट में छात्रों के आत्महत्या मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने को गलत बताया। सुनवाई के दौरान राजस्थान सरकार के वकील ने पीठ से कहा कि मामले की जांच जारी है और एसआईटी को राज्य में आत्महत्या के मामलों की जानकारी है। इस पर, जस्टिस पारदीवाला ने सवाल किया कि कोटा में अब तक कितने छात्रों की मौत हुई है? इसके जवाब में राज्य के वकील ने कहा कि इस साल अब तक 14 मामले सामने आए हैं। इस पर जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि आखिर ये छात्र क्यों मर रहे हैं? हमारे फैसले की अवमानना कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से कहा कि आप हमारे फैसले की अवमानना कर रहे हैं। आपने एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की? पीठ ने कहा कि छात्रा अपने संस्थान द्वारा प्रदान किए गए आवास में नहीं रह रही थी, जिसे उसने नवंबर 2024 में छोड़ दिया और अपने माता-पिता के साथ रहने लगी। पीठ ने कहा हालांकि, हमारे निर्णय के अनुसार, एफआईआर दर्ज करना और जांच करना संबंधित पुलिस का कर्तव्य था। संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी अपने कर्तव्य में विफल रहे हैं। उन्होंने इस अदालत द्वारा जारी निर्देशों का पालन नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने 14 जुलाई को संबंधित थाना प्रभारी को स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। मामला 4 दिन देरी दर्ज हुआ सुप्रीम कोर्ट आईआईटी, खड़गपुर में पढ़ने वाले 22 साल के छात्र की मौत और कोटा में छात्रों की खुदकुशी से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहा था। आईआईटी खड़गपुर में छात्र 4 मई को अपने छात्रावास के कमरे में लटका हुआ पाया गया था। जबकि कोटा में नीट की तैयारी करने वाली एक छात्रा अपने कमरे में लटकी हुई पाई गई थी, जहां वह अपने माता-पिता के साथ रहती थी। पीठ को पता चला कि आईआईटी खड़गपुर के छात्र की मौत के सिलसिले में 4 दिन की देरी से मुकदमा दर्ज करने पर अधिकारियों को तलब किया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी खुदकुशी पर मुकदमा दर्ज किया जाना जरूरी है और अधिकारी इन बातों को हल्के में न लें। ये बहुत गंभीर बातें हैं। इस मामले में पीठ ने आईआईटी खड़गपुर के अधिकारी और पुलिस के सफाई पर असंतोष जाहिर किया और कड़ी फटकार लगाई।

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