बाघ अभयारण्य : पर्यटकों के रात्रि विश्राम पर रोक से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों में पर्यटकों के रात्रि विश्राम पर रोक लगाने की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इससे स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती...

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को देश के बाघ अभयारण्य मुख्य क्षेत्रों में पर्यटकों के रात्रि विश्राम पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने इन दलीलों को सिरे से ठुकरा दिया कि मुख्य बाघ अभयारण्य क्षेत्रों में पर्यटकों के रात्रि विश्राम से पारिस्थितिकी संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इससे वाहनों की आवाजाही बढ़ेगी। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ बाघ अभयारण्यों के मुख्य क्षेत्रों में पर्यटकों के रात्रि विश्राम पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि इससे स्थानीय लोगों की आजीविका प्रभावित हो सकती है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को देश में बाघों के संरक्षण से संबंधित मामलों पर सरकार के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करने के बजाए, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को दिशा-निर्देश जारी करने की दलील पर विचार करेगी। इससे पहले पीठ ने कहा था कि वह बाघ अभयारण्यों के प्रबंधन के लिए पूरे देश में एक समान नीति चाहती है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि नीति में बाघ अभयारण्यों के अंदर वाहनों की आवाजाही के पहलू को भी शामिल किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा एक घटना पर लिए गए स्वत: संज्ञान का उल्लेख किया, जिसमें पर्यटकों को ले जा रहे सफारी वाहनों ने नए साल की पूर्व संध्या पर महाराष्ट्र के उमरेड-पौनी-करहांडला अभयारण्य में एक बाघिन और उसके शावकों की आवाजाही में बाधा डाली थी।
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