सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को एम्स में इलाज लेने की अनुमति
सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग और सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को एम्स या दिल्ली के किसी उचित अस्पताल में तत्काल इलाज दिलाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दिया है। पीड़िता ने नि:शुल्क चिकित्सा उपचार और...

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को पीड़िता की तत्काल सहायता करने का निर्देश दिया नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिव्यांग एवं सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को एम्स या दिल्ली के किसी उचित अस्पताल में समुचित इलाज पाने में सहायता करने का निर्देश दिया है। शीर्ष अदालत ने एम्स में नि:शुल्क इलाज की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए यह निर्देश दिया। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मामले में केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता जो कि दिव्यांग होने के साथ-साथ सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता भी है, को एम्स नई दिल्ली या किसी अन्य उपयुक्त अस्पताल में तत्काल इलाज पाने में सहायता करे।
इससे पहले, पीड़िता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने पीठ से याचिकाकर्ता को एम्स में नि:शुल्क इलाज मुहैया कराने का आदेश देने का आग्रह किया। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया कि चूंकि पीड़िता अब दिल्ली में रहने लगी है, इसलिए दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण की मदद से याचिकाकर्ता का नि:शुल्क चिकित्सा उपचार और राजधानी दिल्ली में ही पुनर्वास करने की मांग की है। पीड़िता ने स्थायी शारीरिक विकलांगता, अत्यधिक यौन हिंसा, लंबे समय तक आघात और सामाजिक परित्याग का हवाला देते हुए कहा कि वह न केवल 2017 योजना के तहत अधिकतम मुआवजे की हकदार है बल्कि चिकित्सा देखभाल, पोषण, देखभाल करने वाले के समर्थन और आश्रय के लिए मासिक आधार पर वित्तीय सहायता देने की मांग की। यह था मामला शीर्ष अदालत को बताया गया कि पीड़िता एक घटना में जलने से घायल हो गई थी। पीडि़ता ने अपने उपचार के लिए जालंधर के खंबरा चर्च से आश्रय और चिकित्सा सहायता मांगी थी। इलाज के लिए महिला ने सिविल अस्पताल से चर्च जाने के लिए एक ऑनलाइन कैब बुक की, जहां उसका इलाज किया जा रहा था। कैब चालक महिला को चर्च से अलग-अलग जगहों पर ले गया और वहां उससे दुष्कर्म करता रहा। यही नहीं पीडि़ता से सामूहिक दुष्कर्म भी किया गया। मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने मामले में आरोपी को दोषी ठहराते हुए 10 साल की कैद की सजा सुनाई है।
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