भारत-अमेरिकी द्विपक्षीय व्यापार समझौते के जल्द पूरा होने की उम्मीद
- अमेरिकी कोर्ट द्वारा टैरिफ को असंवैधानिक करार दिए जाने से ट्रंप सरकार चाहेगी जल्द

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए जा रहे टैरिफ को अमेरिका की फेडरल ट्रेड कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए रोक लगा दी है। इस रोक के बाद भारत के लिहाज से कई अवसर एवं संभावनाएं दिखाई देती है। जानकार मानते हैं कि कोर्ट के इस आदेश के बाद ट्रंप प्रशासन का रुख नरम पड़ेगा। अगर कोर्ट का आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होता है तो इससे भारतीय निर्यातकों को काफी लाभ होगा। दूसरे, अब ट्रंप सरकार चाहेगा कि भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर जल्द अंतिम सहमति बने। भारतीय निर्यात संगठन महासंघ(फियो) के अध्यक्ष एससी रल्हन कहते हैं कि मौजूदा समय में भारत के अधिकांश निर्यात पर अमेरिका 10 फीसदी बुनियादी शुल्क लागू लगा रहा है।
जबकि 26 फीसदी टैरिफ लगाने संबंधी रोक से जुड़ी 90 दिन की अवधि भी 9 जुलाई को खत्म हो रही है। अभी तक अमेरिका का रुख रहा है कि उसकी शर्तों पर व्यापार हो लेकिन अमेरिकी कोर्ट के आदेश के बाद निश्चित तौर पर ट्रंप प्रशासन का रुख नरम पड़ेगा। भारत के नजरिए से देखा जाए तो मुख्त तौर पर दो तरह के अवसर दिखाई देते हैं। नंबर एक, अभी जिन उत्पादों पर 10 फीसदी तक टैरिफ लग रहा है, अगर वहां की अदालत का आदेश तत्काल लागू होता है तो उससे टैरिफ दरों में कमी आ सकती है। दूसरा, अब ट्रंप सरकार चाहेगी कि व्यापार समझौता जल्द पूरा हो। क्योंकि व्यापार समझौते के जरिए ट्रंप सरकार जो चाहती है, उन उद्देश्यों की प्राप्ति हो सकेगी। हालांकि भारत यह सुनिश्चित करेगा कि उसे कारोबार के लिहाज से कोई नुकसान न हो। इसलिए कोर्ट के फैसले के बाद भारत सरकार अपनी शर्तों को ज्यादा पुख्ता तरीके से रख सकती है। ----------- दोनों देश व्यापार समझौते के नजदीक भारत और अमेरिकी द्विपक्षीय व्यापार समझौते के काफी नजदीक है। सूत्रों का कहना है कि जून के अंत तक दोनों देशों के बीच समझौता हो सकता है। संभावना यह भी है कि 25 मई को भी समझौता हो सकता है। अमेरिका की तरफ से भी कई बार कहा जा चुका है कि दोनों देश समझौते के करीब हैं। बताया जा रहा है कि समझौते में कुछ सीमित वस्तुओं और सेवाओं को शामिल किया जा सकता है। दोनों देशों का लक्ष्य समझौते के जरिए वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा स्तर से बढ़ाकर दोगुना ( 500 बिलियन अमेरिकी डॉलर) करने का है। भारत प्रस्तावित समझौते में कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, चमड़े के सामान, परिधान, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, रसायन और कुछ कृषि उत्पादों के लिए अमेरिका से शुल्क रियायत की मांग रख रहा है।
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