PM मोदी को साइप्रस में मिला सर्वोच्च सम्मान, तो दिल्ली की ये सड़क क्यों चर्चा में आ गई?
पीएम मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा गया। इसके बाद दिल्ली की आर्चबिशप मकरिओस मार्ग काफी चर्चा में है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साइप्रस दौरे पर हैं, जहां उन्हें साइप्रस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकरिओस III से नवाजा गया। इस बीच राजधानी दिल्ली की एक सड़क अचानक चर्चा में आ गई। ये सड़क है आर्चबिशप मकरिओस मार्ग, जोकि लोधी रोड के पीछे है। आखिर ये रोड किसके नाम पर है और इसकी चर्चा क्यों हो रही है? आइए बताते हैं।
किसके नाम पर है दिल्ली की ये सड़क
यह रोड साइप्रस के पहले राष्ट्रपति और चर्च ऑफ साइप्रस के आर्चबिशप (1950-1977) मकरिओस III के नाम पर है। मकरिओस, जिन्हें साइप्रस गणराज्य का 'संस्थापक पिता' माना जाता है। मकरिओस ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से देश को आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। 1980 के दशक में दिल्ली में इस सड़क का नामकरण हुआ, जो पहले गोल्फ लिंक्स रोड के नाम से जानी जाती थी। इतिहासकार सोहेल हाशमी बताते हैं, '1983 में दिल्ली में हुए गुट-निरपेक्ष सम्मेलन (NAM) के बाद कई सड़कों का नामकरण विश्व नेताओं के सम्मान में किया गया। मकरिओस मार्ग उनमें से एक है।'
NAM और नेहरू का प्रभाव
1983 का NAM सम्मेलन दिल्ली के लिए ऐतिहासिक था। फिदेल कास्त्रो, यासर अराफात जैसे दिग्गज नेता दिल्ली आए थे। इस दौरान मकरिओस मार्ग के साथ-साथ जोसिप ब्रोज टीटो मार्ग, गमाल अब्देल नासर मार्ग और हो ची मिन्ह मार्ग जैसे नाम भी दिल्ली की सड़कों को मिले। जेएनयू की स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की पूर्व डीन प्रोफेसर अनुराधा चेनॉय कहती हैं, 'यह वह दौर था जब भारत गुट-निरपेक्ष आंदोलन के प्रति पूरी तरह समर्पित था। सड़कों का नामकरण उस समय की कूटनीति और भारत की वैश्विक सोच को दर्शाता था।'
मकरिओस और भारत का पुराना नाता
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने साइप्रस और भारत के रिश्ते को याद करते हुए एक्स पर लिखा, '1962 में मकरिओस दो हफ्तों के लिए नेहरू सरकार के मेहमान के रूप में भारत आए थे। जब 1964 में पंडित नेहरू का निधन हुआ, तो साइप्रस ने राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया था।' मकरिओस का भारत से यह जुड़ाव दिल्ली की इस सड़क के नाम में आज भी जिंदा है, भले ही साइनबोर्ड पर उनका नाम दो हिस्सों में बंटा हो।
साइप्रस में सम्मान ग्रहण करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'यह सम्मान भारत और साइप्रस की ऐतिहासिक दोस्ती को समर्पित है।' यह पुरस्कार और दिल्ली की यह छोटी सी सड़क दोनों देशों के बीच दशकों पुराने रिश्ते की कहानी कहती है। एक ऐसी कहानी, जो गुट-निरपेक्षता, स्वतंत्रता और कूटनीति के धागों से बुनी गई है।