अक्षय तृतीय का पर्व 30 अप्रैल को है। वैशाख मास शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह पर्व मनाने की परंपरा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी दिन त्रेता युग का आरंभ और भगवान परशुराम का अवतार हुआ। साथ इस दिन दान, अच्छे कार्य, विवाह संस्कार, गृह प्रवेश आदि शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीय के दिन विवाह, रिश्ता पक्का करना, व्यापार आरंभ करना, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना, जॉब ज्वाइन करना आदि शुभ कार्य बिना मुहूर्त कर सकते हैं। इस दिन दान करने का विशेष महत्व है। अक्षय तृतीया के दिन दान करने से जीवन में सुख, संपन्नता, समृद्धि की प्राप्ति होती है। सफेद चीजों का जैसे दूध, दही, शक्कर, खीर, शंख और सफेद कपड़े, अनाज, दान करने चाहिए, इसके अलावा इस दिन जल, कुल्हड़, पंखे, छाता, नमक, घी, मौसमी फल जैसे खरबूजा व तरबूज आदि का दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है।
वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 5:31 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल दोपहर 2:12 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार, अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को मनाई जाएगी। खरीदारी के शुभ मुहूर्त - चर चौघड़िया प्रातः 10:37 से 12:16 बजे तक - अमृत चौघड़िया दोपहर 1:56 से 3:35 बजे तक
अक्षय तृतीया पर अगर सोना चांदी ना खरीद पाएं तो आप मिट्टी के बर्तन खरीद सकते हैं। इससे जीवन में स्थायित्व, समृद्धि और स्थायी सुख की प्राप्ति होती है।इस दिन आप शंख, कौड़ियां, अनाज. नमक, नारियल, फल, लाल कपड़ा, श्रीयंत्र खरीदकर ला सकते हैं। इस दिन धनिया भी खरीदना चाहिए।
एकाक्षी नारियल, लाल कपड़ा, केसर, हल्दी, रोली, गंगाजल, धूप, दीप और फूल भी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए खरीदकर लाने चाहिए। शाम के समय इनकी पूजा करने के बाद इन्हें अपनी तिजौरी में रखना चाहिए। इस दिन तुलसी के नीचे भी शाम के समय दीप जलाना चाहिए।