म्यामांर के मांडले और थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में भीषण भूकंप आने के बाद इमारतों के ढह जाने से कई लोगों की मौत हो गई, जबकि उसके मलबे में अब भी सैकड़ों लोग फंसे हैं। शुक्रवार दोपहर को रिक्टर पैमाने पर 7.7 तीव्रता का भूकंप आने के बाद म्यामांर और थाइलैंड में भारी जानमाल का नुकसान हुआ है। आइए तस्वीरों में देखते हैं कितना भीषण था भूकंप।
28 मार्च 2025 को म्यांमार में आए भीषण भूकंप ने देश को हिलाकर रख दिया। रिक्टर स्केल पर 7.7 तीव्रता वाले इस भूकंप का केंद्र सागाइंग क्षेत्र में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। इसके बाद 6.4 तीव्रता का एक और झटका महसूस किया गया। इस प्राकृतिक आपदा ने म्यांमार के कई हिस्सों में भारी तबाही मचाई, जिसमें अस्पताल ढह गए, यूनिवर्सिटी में आग लग गई और इमारतें जमींदोज हो गईं।
सागाइंग क्षेत्र के एक प्रमुख अस्पताल के ढहने की खबर ने लोगों को स्तब्ध कर दिया। भूकंप के जोरदार झटकों के कारण यह इमारत कुछ ही सेकंड में मलबे में तब्दील हो गई। स्थानीय लोगों के अनुसार, मरीज और स्वास्थ्यकर्मी मलबे में फंस गए, जिससे बचाव कार्य में मुश्किलें बढ़ गईं। राहत टीमें तुरंत मौके पर पहुंची, लेकिन क्षतिग्रस्त संरचना ने अभियान को जटिल बना दिया।
म्यांमार की ऐतिहासिक मांडले यूनिवर्सिटी में भूकंप के बाद आग लगने की घटना ने स्थिति को और भयावह बना दिया। बताया जा रहा है कि भूकंप से बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट हुआ, जिससे आग भड़क उठी। छात्र और कर्मचारी इमारत से बाहर निकलने की कोशिश में जुट गए, लेकिन धुएं और अव्यवस्था के कारण कई लोग अंदर फंस गए। दमकल विभाग ने आग पर काबू पाने की कोशिश की, लेकिन नुकसान व्यापक रहा।
भूकंप के झटकों ने म्यांमार के कई शहरों में ऊंची इमारतों को ताश के पत्तों की तरह ढहा दिया। सागाइंग और आसपास के इलाकों में बहुमंजिला इमारतें मलबे के ढेर में बदल गईं। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में लोग मलबे के बीच मदद की गुहार लगाते दिखे। इस तबाही ने शहरी क्षेत्रों को पूरी तरह बदल दिया, जिससे सामान्य जीवन ठप हो गया।
भूकंप का असर इतना व्यापक था कि इरावदी नदी पर बना एक महत्वपूर्ण पुल भी ढह गया। यह पुल सागाइंग और अवा क्षेत्र को जोड़ता था। इसका ढहना न केवल परिवहन के लिए संकट पैदा कर गया, बल्कि राहत कार्यों में भी बाधा बना। वायरल वीडियो में पुल के ढहने का भयानक दृश्य साफ देखा जा सकता है, जो इस आपदा की गंभीरता को दर्शाता है।
इस भूकंप का असर म्यांमार से बाहर भी देखा गया। थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में 7.7 तीव्रता के झटके महसूस किए गए, जहां कई इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भी हल्के झटके महसूस किए गए। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटों में और झटके आ सकते हैं, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है।
म्यांमार पहले से ही गृहयुद्ध की मार झेल रहा है, और अब यह भूकंप देश के लिए दोहरी मार बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस आपदा से प्रभावित क्षेत्रों में हालात और बिगड़ सकते हैं। पहले से कमजोर बुनियादी ढांचा और संसाधनों की कमी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
म्यांमार सरकार और स्थानीय प्रशासन ने तत्काल राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए। सेना और स्वयंसेवी संगठनों की टीमें मलबे में फंसे लोगों को निकालने में जुटी हैं। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने में देरी और संचार व्यवस्था के ठप होने से चुनौतियां बढ़ रही हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी मदद की पेशकश की है।
सोशल मीडिया पर भूकंप के बाद की तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। इनमें मलबे में दबे लोग, जलती इमारतें और रोते-चिल्लाते नागरिकों के दृश्य दिल दहला देने वाले हैं। ये तस्वीरें न केवल तबाही की गवाही दे रही हैं, बल्कि दुनिया का ध्यान इस संकट की ओर खींच रही हैं।
भूकंप विज्ञानियों ने म्यांमार और आसपास के क्षेत्रों में भविष्य में और झटकों की आशंका जताई है। यह क्षेत्र टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन पर स्थित है, जिसके कारण यह भूकंप के लिए संवेदनशील है। सरकार और नागरिकों को अब ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर तैयारी की जरूरत है, ताकि भविष्य में नुकसान को कम किया जा सके।