अंबेडकर की प्रतिमा पर नेम प्लेट लगाने को लेकर कांग्रेस विधायक-भाजपा नेता में नोंकझोंक, VIDEO
राजस्थान के सवाई माधोपुर के बामनवास क्षेत्र में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर नेम प्लेट लगाने को लेकर विवाद हो गया। कांग्रेस विधायक इंदिरा मीना ने प्रतिमा के पास लगे शिलालेख पर अपना नाम अंकित करवाने की बात कही, जिसका भाजपा नेताओं ने कड़ा विरोध किया।

राजस्थान के सवाई माधोपुर के बामनवास क्षेत्र में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर नेम प्लेट लगाने को लेकर विवाद हो गया। कांग्रेस विधायक इंदिरा मीना ने प्रतिमा के पास लगे शिलालेख पर अपना नाम अंकित करवाने की बात कही, जिसका भाजपा नेताओं ने कड़ा विरोध किया। इसको लेकर विधायक मीना और भाजपा नेता हनुमत दीक्षित में तीखी नोंकझोंक हुई।
सवाई माधोपुर के बामनवास क्षेत्र में संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर नेम प्लेट लगाने को लेकर कांग्रेस विधायक इंदिरा मीना और भाजपा नेता हनुमत दीक्षित के बीच तीखा विवाद हो गया। यह विवाद तब शुरू हुआ जब विधायक इंदिरा मीना ने प्रतिमा के पास लगे शिलालेख पर अपना नाम अंकित करवाने की बात कही, जिसका भाजपा नेताओं ने कड़ा विरोध किया। इस दौरान दोनों पक्षों के समर्थकों के बीच कहासुनी और धक्का-मुक्की का माहौल बन गया।
भाजपा नेता हनुमत दीक्षित ने आरोप लगाया कि यह कदम राजनीतिक प्रचार का एक जरिया है और अंबेडकर जयंती से पहले इसे जानबूझकर किया गया। तनाव बढ़ने पर मौके पर पुलिस पहुंची और हस्तक्षेप कर स्थिति को नियंत्रित किया, हालांकि मामला अभी भी राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है।
विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस विधायक इंदिरा मीना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर टिप्पणी करते हुए भाजपा पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा, "बौंली में संविधान विरोधी और बाबा साहेब अंबेडकर के विरोधियों का चेहरा बेनकाब हो गया है। 2022 में हमने अंबेडकर सर्कल का निर्माण कराया था, जिसका सौंदर्यीकरण कार्य चल रहा था। लेकिन, बाबा साहब की जयंती से कुछ घंटे पहले भाजपा के असामाजिक तत्वों ने शराब के नशे में आकर निर्माण कार्य रुकवाया, टाइलें तोड़ीं और पहले से लगी पट्टिका को क्षतिग्रस्त किया।"
इंदिरा मीना ने आरोप लगाया कि पुलिस की मौजूदगी में यह सब हुआ। जब एक पुलिसकर्मी ने वीडियो बनाना चाहा तो उसके साथ भी बदसलूकी की गई। बावजूद इसके, प्रशासन ने आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यह प्रशासन की कमजोरी को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि बाबा साहब केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि करोड़ों दलितों, वंचितों और शोषितों की आवाज हैं। उन पर हमला केवल एक मूर्ति पर नहीं, बल्कि संविधान पर हमला है। उन्होंने भाजपा शासन पर महापुरुषों के अपमान का आरोप लगाते हुए इसे न केवल चिंताजनक, बल्कि असहनीय बताया।