उदयपुर में मनाई गई बारूद होली; पटाखों, तोपों, बंदूकों और तलवारों से गूंज उठा मेनार- जानिए इतिहास
- उदयपुर के मेनार गांव में जमराबीज का दिन खास होता है। यहां लोग तलवार, तोप, बंदूक और पटाखों को चलाकर होली का आयोजन किया। जानिए ये अनोखी होली कबसे मनाई जा रही है।

राजस्थान के उदयपुर में अनोखी होली मनाई गई। यहां रंगों की जगह बारूद का इस्तेमाल हुआ। एक पल को लगने लगा कि होली नहीं दीवाली मनाई जा रही हो। उदयपुर के मेनार गांव में जमराबीज का दिन खास होता है। यहां लोग तलवार, तोप, बंदूक और पटाखों को चलाकर होली का आयोजन किया। जानिए ये अनोखी होली कबसे मनाई जा रही है।
जानिए कहां से जुड़े हैं बारूद होली के तार
स्थानीय लोगों के अनुसार, यह परंपरा लगभग 400 साल पुरानी है। मेनार गांव में हर साल धुलंडी के अगले दिन जमराबीज पर जबरी गैर के नाम से अनोखी होली मनाई जाती है। इस दिन तलवारों, बंदूकों और तोपों की गूंज सुनाई देती है। इस त्योहार की शुरूआत सबसे पहले इस गांव के योद्वाओं ने मुगलों को युद्ध में हराने के बाद अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए किया था। यहां तलवारों से गैर-नृत्य किया गया। लोगों उत्साह के साथ तोपों, बंदूकों और पटाखों को चलाते हैं।
मेनार के ब्राह्मणों ने मुगल सेना को हराया
पंरपरा से मनाए जा रहे इस अनोखे त्योहार के बारे में लोगों का कहना है कि महाराणा प्रताप के निधन के बाद मुगलों के आतंक से त्रस्त होकर मेनार के मेनारिया ब्राह्मणों ने मुगल सेना को हटाने की रणनीति बनाई है। लोगों ने योजना बनाकर होली के दूसरे दिन जमराबीज पर मेनारिया वीरों ने मुगलों पर हमला किया और मुगलों की चौकी को नष्ट कर दिया। इस दिन से ये त्योहार बारूद होली के तौर पर मनाया जाने लगा।