Four cleaners died in the save tank know what is the whole matter पिछले 10 दिन में 11 सफाई कर्मियों की मौत,गहलोत बोले—सरकार की नींद कब टूटेगी, Jaipur Hindi News - Hindustan
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पिछले 10 दिन में 11 सफाई कर्मियों की मौत,गहलोत बोले—सरकार की नींद कब टूटेगी

जयपुर के सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में एक दर्दनाक हादसे में चार सफाईकर्मियों की जहरीली गैस से मौत हो गई। यह हादसा अचल ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हुआ।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरTue, 27 May 2025 02:23 PM
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पिछले 10 दिन में 11 सफाई कर्मियों की मौत,गहलोत बोले—सरकार की नींद कब टूटेगी

जयपुर के सीतापुरा औद्योगिक क्षेत्र में एक दर्दनाक हादसे में चार सफाईकर्मियों की जहरीली गैस से मौत हो गई। यह हादसा अचल ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान हुआ। सोमवार रात करीब साढ़े आठ बजे चार मजदूर 10 फीट गहरे टैंक में मिट्टी से सोना निकालने के लिए उतरे थे, लेकिन जहरीली गैस की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई। हादसे में चार अन्य मजदूर भी बेहोश हो गए, जिनमें से दो की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि दो मजदूरों को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई।

इस घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "आखिर सरकार की नींद कब टूटेगी?" गहलोत ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सफाईकर्मियों की मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और सरकार इस गंभीर मुद्दे पर चुप्पी साधे बैठी है।

वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने भी सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, "बीकानेर के बाद अब जयपुर में एक और दर्दनाक हादसा हुआ है। यह भाजपा सरकार की घोर लापरवाही और सफाईकर्मियों की सुरक्षा के प्रति उदासीनता को दर्शाता है।" डोटासरा ने हादसे की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अपील की है।

हादसे की गंभीरता को देखते हुए सवाल उठ रहे हैं कि सेप्टिक टैंक में सफाई जैसे खतरनाक कार्यों के लिए जरूरी सुरक्षा उपकरण क्यों नहीं मुहैया कराए जाते? बार-बार ऐसी घटनाओं के बावजूद प्रशासन और संबंधित उद्योगों की लापरवाही क्यों बरकरार है?

यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही की बानगी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े सफाईकर्मियों की सुरक्षा को लेकर सरकार और निजी क्षेत्र कितने संवेदनहीन हैं। अब देखना यह है कि इस बार सरकार क्या कदम उठाती है, या फिर यह भी एक और आंकड़ा बनकर रह जाएगा।

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