दिल्ली में बैठकों की सीरीज... सीएम के दिल्ली दौरे ने बढ़ाई कई मंत्रियों की धड़कनें
राजस्थान की सियासत एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर गरमा गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के हालिया दिल्ली दौरे और शीर्ष केंद्रीय नेताओं से मुलाकातों ने राजनीतिक अटकलों को नया ईंधन दे दिया है।

राजस्थान की सियासत एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर गरमा गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के हालिया दिल्ली दौरे और शीर्ष केंद्रीय नेताओं से मुलाकातों ने राजनीतिक अटकलों को नया ईंधन दे दिया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का जयपुर दौरा और दिल्ली में राजस्थान से जुड़े नेताओं की बैठकों ने इन चर्चाओं को और पुख्ता कर दिया है कि राज्य मंत्रिपरिषद में बड़ा फेरबदल संभव है।
सूत्रों के मुताबिक, डेढ़ साल से कार्यरत मंत्रियों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार की जा चुकी है। रिपोर्ट के आधार पर कुछ मंत्रियों को प्रमोशन का तोहफा मिल सकता है, वहीं कुछ को छुट्टी दी जा सकती है। मंत्रिमंडल विस्तार की बातें बीते छह माह से सुनी जा रही थीं, लेकिन अब जो गतिविधियां दिल्ली दरबार में हुई हैं, उन्हें हल्के में नहीं लिया जा रहा।
दिल्ली में बैठकों का रहस्य
राजस्थान की सियासी भविष्यवाणियों को सबसे ज्यादा हवा दिल्ली में हुई उन बैठकों से मिली, जो एक के बाद एक बेहद सुनियोजित ढंग से हुईं। जानकारी के अनुसार, केंद्रीय कानून मंत्री और बीकानेर सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने शाम 5 बजे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। उसके ठीक एक घंटे बाद शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले। इसके दो घंटे बाद यानी रात 8 बजे जेपी नड्डा और शाह के बीच बैठक हुई। वहीं इसके कुछ ही देर बाद दोनों नेताओं ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी मुलाकात की।
इन मुलाकातों की टाइमिंग और इसके बाद प्रदेश में उठी राजनीतिक सरगर्मियों को जोड़कर देखा जा रहा है। जानकारों का मानना है कि ये बैठकें महज औपचारिक नहीं थीं, बल्कि इनका सीधा संबंध राजस्थान के भावी राजनीतिक समीकरणों से हो सकता है।
संगठन महासचिव का बयान भी बना आधार
बीजेपी के संगठन महासचिव बीएल संतोष भी मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। जयपुर दौरे के दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा था कि यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है और वे जब चाहें इसमें बदलाव कर सकते हैं। उनके इस बयान के बाद से ही सत्ता पक्ष के विधायकों और मंत्रियों के बीच बेचैनी बढ़ गई थी।
अब एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म है। सत्ता पक्ष के नेता लगातार अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं। कोई संगठन से जुड़ाव बढ़ा रहा है, तो कोई जनता और कार्यकर्ताओं के बीच सक्रिय नजर आ रहा है।
क्या हो सकते हैं बदलाव?
भाजपा सूत्रों की मानें तो इस बार विस्तार के साथ-साथ पुनर्गठन भी संभव है। सरकार की परफॉर्मेंस, चुनावी समीकरण, जातीय और क्षेत्रीय संतुलन के आधार पर मंत्रियों की भूमिका तय की जा सकती है। कुछ नए चेहरे मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं, तो कुछ पुराने चेहरों को संगठन में नई जिम्मेदारी भी मिल सकती है।
राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार अब महज अटकल नहीं रहा, बल्कि हालिया घटनाक्रम इसे एक संभावित सच्चाई की ओर इशारा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय नेतृत्व और संगठन के बीच तालमेल को देखते हुए जल्द ही राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। अब सबकी निगाहें दिल्ली से आने वाले अंतिम संकेत पर टिकी हैं।
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