सपा सांसद ने राणा सांगा को बताया 'गद्दार', राजस्थान विधानसभा में BJP विधायकों का हंगामा
समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन की राजपूत शासक राणा सांगा को लेकर की गई 'आपत्तिजनक टिप्पणी' पर सियासी माहौल गर्मा गया है। सांसद के बयान पर सोमवार को राजस्थान विधानसभा में भारी विवाद हुआ।

समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन की राजपूत शासक राणा सांगा को लेकर की गई 'आपत्तिजनक टिप्पणी' पर सियासी माहौल गर्मा गया है। सांसद के बयान पर सोमवार को राजस्थान विधानसभा में भारी विवाद हुआ। भाजपा विधायक श्रीचंद कृपलानी ने सूचना के माध्यम से टिप्पणी के लिए कार्रवाई की मांग की। इसपर जब कांग्रेस विधायक हरिमोहन शर्मा ने कहा कि राज्यसभा सदस्य सुमन की टिप्पणी पर सदन में कोई चर्चा नहीं हो सकती, तो भाजपा विधायकों ने कड़ी आपत्ति जताई।
भाजपा विधायकों ने सवाल उठाया कि 16वीं सदी के मेवाड़ के शासक और राणा प्रताप के दादा राणा सांगा के प्रति अनादर पर चर्चा क्यों नहीं हो सकती। भाजपा विधायकों ने आगे पूछा कि क्या कांग्रेस राणा सांगा को लेकर का गई 'अपमानजनक टिप्पणी' का समर्थन कर रही है। कृपलानी ने कहा, "आपके रुख से यह साफ हो गया है कि आप रामजी लाल सुमन के साथ हैं। कांग्रेस ने खुद को बेनकाब कर लिया है। आप मुगलों का साथ दे रहे हैं।" सरकार के मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि कांग्रेस सुमन के साथ खड़ी है, जिन्होंने राणा सांगा का अपमान किया है।
किस टिप्पणी पर मचा बवाल
दरअसल, बीते शुक्रवार को राज्यसभा में सपा सांसद रामजी सुमन ने राणा को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा के लोगों का तकियाकलाम हो गया है कि इनमें बाबर का डीएनए है। हर जगह वे लोग इस बात को दोहराते हैं। हिन्दुस्तान का मुसलमान बाबर को नहीं मोहम्मद साहब को अपना आदर्श मानता है। मैं जानना चाहता हूं कि बाबर को कौन लाया था। इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को राणा सांगा लेकर आए थे। मुसलमान बाबर की लेकिन तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।
कौन थे राणा सांगा
राणा सांगा यानी महाराणा संग्राम सिंह राजस्थान के उदयपुर में राजपूत वंश के राजा थे। वे राणा रायमल के सबसे छोटे बेटे थे। उनका शासनकाल 1509 से 1528 तक था। राणा रायमल की मृत्यु के बाद राणा सांगा को राजा बनाया गया था। उन्होंने अपनी शक्ति के बल पर मेवाड़ के साम्राज्य का विस्तार किया। उन्होंने विदेशी आक्रमणकारियों के खिलाफ सभी राजपूतों को संगठित किया था। राणा सांगा ने मुगल बादशाहों के आक्रमण से अपने राज्य की रक्षा की थी। वे अपने समय के सबसे शक्तिशाली राजा हुआ करते थे।