Shani Pradosh Vrat : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में।
Shani Pradosh Vrat : हर महीने के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह शुभ दिन भगवान शिव की पूजा-उपासना के लिए समर्पित है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।
हिंदू धर्म में भगवान भोलेनाथ की पूजा-आराधना के लिए प्रदोष व्रत का दिन बेहद खास माना जाता है। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
Shani Pradosh Vrat : हर माह में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 24 मई, शनिवार को पड़ रहा है। शनिवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है।
May Last Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव भगवान शंकर को समर्पित है। इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। जानें मई महीने का आखिरी प्रदोष व्रत कब है-
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सप्ताह के सातों दिन के प्रदोष व्रत का अपना विशेष महत्व होता है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव शंकर की विधिपूर्वक पूजा करते हैं।
Pradosh Vrat Today: प्रदोष व्रत की पूजा संध्या के समय करना फलदायक माना जाता है। वहीं, प्रदोष के दिन राशि अनुसार कुछ उपाय करने से ग्रहों की स्तिथि मजबूत कर सकते हैं साथ ही शिव जी को प्रसन्न भी कर सकते हैं।
Pradosh 2025 timing : इस महीने का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी को है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शनि प्रदोष का व्रत रखने से संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी हो सकती है और संतान सुख भी मिलता है।
Shani Pradosh Vrat January 2025: साल 2025 का पहला प्रदोष 11 जनवरी दिन शनिवार को पड़ रहा है। इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन शिवजी के साथ शनिदेव की पूजा-अर्चना का विशेष मायने रखता है।
Shani Pradosh vrat Katha: शनि प्रदोष व्रत को शनि त्रयोदशी व्रत भी कहा जाता है। प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यहां पढ़ें शनि प्रदोष व्रत कथा-