3 suspended including srn s deputy superintendent 1 dismissed action taken after high court s strictness एसआरएन के उपाधीक्षक समेत 3 सस्पेंड, 1 बर्खास्त; हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एक्शन, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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एसआरएन के उपाधीक्षक समेत 3 सस्पेंड, 1 बर्खास्त; हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एक्शन

प्रयागराज पहुंचने के बाद करीब 3 दिनों तक अपर निदेशक ने अस्पताल की व्यवस्थाओं को परखा और अस्पताल के कर्मचारियों और अधिकारियों के कार्यों की जानकारी ली। उनकी तरफ से शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में उन्होंने भवन निर्माण, सुरक्षा, रसोई घर का काम देख रहे उपाधीक्षक को कार्यों में लापरवाही बरतने का दोषी पाया।

Ajay Singh संवाददाता, प्रयागराजSat, 31 May 2025 10:02 AM
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एसआरएन के उपाधीक्षक समेत 3 सस्पेंड, 1 बर्खास्त; हाईकोर्ट की सख्ती के बाद एक्शन

हाईकोर्ट की ओर से 22 मई को मंडल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसआरएन की दुर्दशा पर की गई सख्त टिप्पणी के बाद शुक्रवार को शासन स्तर पर बड़ी कार्रवाई की गई। इसके तहत महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा की ओर से मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज की प्राचार्य डॉ. वत्सला मिश्रा को भेजे गए निर्देश में एसआरएन अस्पताल के कार्यवाहक उपाधीक्षक नॉन मेडिको गौतम कुमार, नर्सिंग ऑफिसर रंजना लुईस, सिनेटरी इंस्पेक्टर अमरनाथ यादव को निलंबित करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही मेल नर्स मनोज कुमार यादव को बर्खास्त करने को कहा गया है। इस क्रम में तीन बाबू के खिलाफ अनुशासानात्मक कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही ऑर्थोपैडिक विभाग के एचओडी के खिलाफ शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा।

प्राचार्य ने इस संदर्भ में एसआरएन अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ.आरबी कमल को कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है। यह कार्रवाई अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ. नीलम सिंह की ओर से तीन दिनों तक अस्पताल के निरीक्षण के बाद की गई है। अपर निदेशक को हाईकोर्ट की तरफ से एसआरएन अस्पताल में मरीजों को मिल रही स्वास्थ्य सेवाओं और व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए कहा गया था। प्रयागराज पहुंचने के बाद करीब तीन दिनों तक अपर निदेशक ने अस्पताल की व्यवस्थाओं को परखा और अस्पताल के कर्मचारियों व अधिकारियों के कार्यों की जानकारी ली। उनकी तरफ से शासन को सौंपी गई रिपोर्ट में उन्होंने भवन निर्माण, सुरक्षा व रसोई घर का काम देख रहे उपाधीक्षक गौतम कुमार को कार्यों में लापरवाही बरतने का दोषी पाया। इसके अलावा अस्पताल के अन्य कार्यों में भी उनका हस्तक्षेप पाया गया। इसके अलावा नर्सिंग ऑफिसर व सिनेटरी इंस्पेक्टर को भी अपने कार्य में लापरवाही का दोषी पाया गया। वहीं मेल नर्स संविदा कर्मी मनोज कुमार यादव को भी अपने कार्य में लापरवाही करने का दोषी पाया गया।

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मेडिकल कॉलेजों में सुधार के प्रयासों की मांगी जानकारी

प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था पर जवाब देने के लिए प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा शुक्रवार को हाईकोर्ट में हाजिर नहीं हो सके। प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने उनकी हाजिरी को लेकर माफी मांगी, जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने एक जुलाई की तिथि नियत की है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में 42 राज्य चिकित्सा महाविद्यालयों और उनसे जुड़े अस्पतालों की बिगड़ती स्थिति पर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने मेडिकल कॉलेजों की स्थिति में सुधार के लिए किए गए प्रयास की जानकारी मांगी है। डॉ. अरविंद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव को एक जुलाई 2025 को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज क्षेत्र में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे एक संस्थान की स्थापना पर राज्य सरकार विचार करे ताकि पड़ोसी जिलों की जरूरतों को पूरा किया जा सके। अदालत ने टिप्पणी की कि मरीजों को लखनऊ या दिल्ली में रेफर किया जा रहा है, क्योंकि उचित बुनियादी ढांचे और दवाओं की कमी के कारण इन चिकित्सा महाविद्यालयों में उनका इलाज नहीं हो पाता है। अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्य सरकार का पूरा ध्यान राज्य की राजधानी में चिकित्सा बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित प्रतीत होता है, जिससे उत्तर प्रदेश के अन्य शहरों के लोगों को चिकित्सा सहायता से वंचित किया जा रहा है और उन्हें इलाज के लिए लखनऊ या दिल्ली जाना पड़ता है। कोर्ट ने कहा कि करदाताओं का पैसा पूरे राज्य में समान रूप से खर्च किया जाना चाहिए, न कि किसी विशेष शहर को चिकित्सा केंद्र के रूप में विकसित किया जाना चाहिए जबकि अन्य शहरों की उपेक्षा की जाए। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर प्रयागराज के जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस आयुक्त, नगर आयुक्त, स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय के एसआईसी, डिप्टी एसआईसी और सीएमओ को भी उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।

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कोर्ट ने प्रमुख सचिव से इन बिंदुओं पर मांगी जानकारी

-उत्तर प्रदेश के 42 चिकित्सा महाविद्यालयों और उनसे जुड़े अस्पतालों की समग्र स्थिति में सुधार के लिए राज्य सरकार द्वारा क्या प्रयास किए गए हैं।

-कोर्ट ने संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज और राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान सहित राज्य के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों को आवंटित बजट पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

-अगले कुंभ (2031) को ध्यान में रखते हुए स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में मौजूदा 1250 बिस्तरों से कम से कम 3000 बिस्तरों तक चिकित्सा सुविधा को उन्नत करने के लिए राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है।

-राज्य भर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत करने के बारे में उठाए गए कदमों की जानकारी अदालत को दी जाए क्योंकि वे खराब हालत में हैं, जिससे चिकित्सा महाविद्यालयों से जुड़े अस्पतालों पर भारी दबाव पड़ रहा है।

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