Agra Ensures Food Security Amidst Tension Abundant Stock and Stable Prices बोले आगरा, बाजार में भरपूर है खाद्यान्न, कालाबाजारी नहीं होने देंगे, Agra Hindi News - Hindustan
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बोले आगरा, बाजार में भरपूर है खाद्यान्न, कालाबाजारी नहीं होने देंगे

Agra News - आगरा में खाद्यान्न का भरपूर स्टॉक है और दाम स्थिर हैं। व्यापारी युद्ध के बीच लोगों को आश्वस्त कर रहे हैं कि उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। प्रशासन का सहयोग और आपूर्ति चेन की निरंतरता से बाजार में...

Newswrap हिन्दुस्तान, आगराMon, 12 May 2025 01:30 AM
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बोले आगरा, बाजार में भरपूर है खाद्यान्न, कालाबाजारी नहीं होने देंगे

आगरा। हमारे सैनिक बॉर्डर पर मोर्चा संभाले हैं। देश की सुरक्षा के लिए जीजान से जुटे हैं। हम भी पीछे नहीं रहने वाले। यहां रहकर देश के प्रति अपना योगदान देगे। आगरा वासियों को चिंता करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं। गल्ला मंडी में खाद्यान्न का भरपूर स्टॉक है। दालें हैं, चावल हैं, गेहूं, आटा, मैदा, सूजी, बेसन आदि भरपूर तादाद में है। दाम भी वही रहेंगे जो वर्तमान में प्रचलित हैं। न तो स्वयं किसी आइटम पर ब्लैक करेंगे, न ही किसी अन्य को ब्लैक करने देंगे। यदि खौफ की खरीद नहीं रही तो हर घर में चूल्हा जलेगा, अन्नपूर्णा का वास रहेगा।

मोतीगंज खाद्य व्यापार समिति से जुड़े कारोबारियों ने संवाद के दौरान यह आश्वासन दिया। गल्ला कारोबारी कोरोना काल का उदाहरण देते हैं। कहते हैं कि शहर को बिल्कुल भी दिक्कत नहीं आने दी गई। उस समय प्रशासन से भरपूर सहयोग मिला। इसके चलते सप्लाई चेन बाधित नहीं हुई। शहर में आटा दाल आदि सामग्री के रेट नहीं बढ़े। जो प्रचलित दरें थीं, उन्हीं पर उपभोक्ताओं को सामान मिला। यदि लोग व्यवस्था पर विश्वास रखें तो किसी भी सूरत में उनको दिक्कत नहीं आएगी। एक आकलन के अनुसार आगरा शहर में दालों की दैनिक खपत 250 कुंतल है। जबकि गल्ला मंडी और मोतीगंज के कारोबारियों के पास एक हजार टन का स्टॉक रहता है। इस लिहाज से एक महीने तक के लिए स्टॉक तो है ही। वहीं आमद में निरंतरता रहने से स्टॉक के इस स्तर में कमी नहीं होगी। इन हालातों में शहर के लोगों को घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं। उनको सूखी रोटी खाने की नौबत नहीं आएगी। खाद्य तेल विक्रेताओं ने बताया कि आगरा में सभी किस्मों का भरपूर स्टॉक है। ऐसा नहीं कि आमद रुक गई हो। बाजार में कंपनियों के स्टॉक लगातार आ रहे हैं। उत्पादन प्रक्रिया लगातार चल रही है। आगरा के अपने सरसों तेल ब्रांड की इतनी क्षमता है कि कई राज्यों की जरूरत को पूरा कर सकें। इसी प्रकार देशी घी आदि के निर्माता भी बड़ी संख्या में इस जनपद में है। ऐसे में किल्लत होने का सवाल ही नहीं उठता। गल्ला कारोबारियों ने बताया कि युद्ध के बावजूद बाजार में स्थिरता का माहौल है। जिस तरह से भारतीय सेनाएं पाक हमले का करारा जवाब दे रही हैं, उससे तो प्रतीत होता है कि युद्ध लंबा नहीं खिंचने वाला। जितना समय यह हालात रहते हैं, आमजन को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होगी। खानपान से जुड़े लगभग प्रत्येक आइटम के निर्माता इस शहर में हैं। उनके पास प्रत्येक सामग्री का भरपूर स्टॉक बना हुआ है। मोतीगंज खाद्य व्यापार समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि आपूर्ति सुचारू रहेगी। इसमें प्रशासन की अहम भूमिका रहेगी। माल के मूवमेंट में यदि कोई बाधा नहीं आई तो अंतिम खरीदार तक माल आवश्यकता के अनुसार पहुंचता रहेगा। यदि किसी एक कड़ी में बाधा आई तो बाजार का स्वरूप बदल जाएगा। न सिर्फ आपूर्ति प्रभावित होगी, ऐसे हालातों में मुनाफाखोर भी सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे लोगों पर अंकुश लगाया जाना जरूरी है। जेब की पहुंच में दाल दाल कारोबारियों ने बताया कि दाम इस समय उचित स्तर पर चल रहे हैं। लंबे समय तक महंगे दामों पर बिकी अरहर दाल के दाम भी इस समय काफी नीचे आ गए हैं। अन्य दालों के रेट भी अपने उच्चतम स्तर से कम चल रहे हैं। खरीदार यदि अपनी खरीद को नियमित बनाए रखेंगे तो प्रत्येक घर को आवश्यकता के अनुसार माल मिल जाएगा। इन हालातों में दाम बढ़ने की नौबत भी नहीं आएगी। जो रिटेलर संकट काल में अपनी जेबें भरने का मंसूबा पाले हैं। उनको पूरा नहीं होने दिया जाएगा। ऐसी कोई स्थिति आती भी है तो पूर्व की तरह बाजार कमेटी के सहयोग से उचित दर पर खाद्यान्न उपलब्धता कराने के लिए प्रयास किए जाएंगे। गेहूं की उपज भरपूर खाद्यान्न कारोबारियों ने बताया कि इस बार गेहूं की उपज भरपूर रही है। इस वजह से गेहूं के दाम में बड़ी गिरावट रही है। उच्चतम स्तर से छह रुपये किलो तक की कमी आ चुकी है। लोगों को उतना ही आटा खरीदना चाहिए जो उनके यहां खपत के अनुरूप हो। अतिरिक्त ख्ररीद करने से उनका ही नुकसान होगा। अधिक समय तक आटा नहीं रखा जा सकता। उनके अनुसार गेहूं की उपज के दौरान तैयार होने वाला पशु आहार भी भरपूर मात्रा में है। सूजी और मैदा की उपलब्धता भी कम नहीं है। इसी प्रकार बेसन, चना दाल आदि सामान भी बाजार में भरपूर मात्रा में मिल रहे हैं। ऐसे हालात में लोगों को मिल जुलकर सहयोग बनाना चाहिए। चावल में भी आई गिरावट कारोबारियों ने बताया कि इस समय चावल में भी गिरावट का रुख रहा है। बासमती की जो रेंज छह महीने पहले 105 रुपये किलो तक पहुंच गई थी, उसके दाम इस समय 80 रुपये किलो के करीब आ गए हैं। बासमती की तिवार एवं दुवार वैराइटी के दाम मध्य आय वर्ग को मुफीद लग रहे। फिलहाल बिरयानी चावल छोड़ अन्य के रेट नियंत्रण में हैं। बिरयानी चावल का जाना माना ब्रांड हालांकि दस रुपये किलो सस्ता हुआ है। मोटे चावल के दाम स्थिर चल रहे हैं। बासमती की दुवार रेंज 45 रुपये किलो के स्तर के करीब है। इसी प्रकार आटे की रेंज भी लोगों की जेब के अनुकूल हो चुकी है। लोगों को सहयोग करने की जरूरत है। जागरूकता की आवश्यकता कारोबारी कहते हैं कि उपभोक्ताओं में जागरूकता की आवश्यकता है। अपने लिए ही चिंता न करें। समाज के अनुसार अपने निर्णय लें। मसलन किसी परिवार में हर महीने अरहर दाल की खपत चार किलो है। यदि वे युद्ध काल के चलते इस खरीद को बढ़ा देते हैं। चार किलो की जगह दस किलो खरीदते हैं। ऐसा अन्य लोग भी करने लगे तो बाजार में अचानक ही स्टॉक कम हो जाएगी। माल की मांग अचानक बढ़ने की स्थिति में जमाखोर सक्रिय हो सकते हैं। उनके द्वारा अपने रखे हुए स्टॉक को महंगे दामों पर बेचा जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि लोग बिल्कुल भी घबराएं नहीं और आवश्यकता के अनुसार ही खरीद करें। इन दामों पर बिक रहे खाद्यान्न वस्तु थोक रेट रिटेल रेट बासमती अव्वल 75-80 90-100 गोल्डन चावल 90-93 95-100 बासमती तिवार 55-60 65-70 बासमती दुवार 45-46 50-52 मोटा चावल 35-36 38-40 आटा सामान्य 27-28 30-31 आटा बढ़िया 30-32 35-36 अरहर दाल 85-110 90-130 मूंग धुली 90-100 100-115 मूंग छिलका 85-95 90-110 चना दाल 69-72 70-80 मसूर दाल 71-72 80-85 मलका दाल 72-75 80-85 उड़द छिलका 80-100 90-115 उड़द धोवा 90-115 100-130 काबुल चना 80-115 95-140 राजमा 100-125 110-150 लोबिया 80-88 90-100 इस समय स्थिति गंभीर है। हम लोगों से जो भी संभव होगा, करेंगे। लोगों को कतई घबराने की आवश्यकता नहीं। मोतीगंज और गल्ला मंडी में इतना स्टॉक है कि लोगों को खानपान में बिल्कुल भी दिक्कत की स्थिति का सामना नहीं करना होगा। रमनलाल गोयल प्रशासन का सहयोग लगातार रहे तो खाद्यान्न की आपूर्ति बनी रहेगी। ऐसी स्थिति में आमजन को भी समय से उचित दामों पर उपलब्धता रहेगी। हम यह भरोसा दिलाते हैं कि खाद्यान्न पर ब्लैक नहीं करेंगे। न ही किसी को यह करने देंगे। विशन स्वरूप अग्रवाल संकट काल में हम व्यापारी भी समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाएंगे। एक तरफ सैनिक बॉर्डर पर लड़ रहे हैं, यहां हम लोगों को मोर्चा संभालना है। किसी को भी दिक्कत नहीं होने देनी है। सैनिकों के परिजन को हम कोई दिक्कत नहीं होने देंगे। महावीर मंगल युद्ध काल में हर व्यक्ति को अपना योगदान देना है। सेना लड़ाई लड़ रही है। हमें आर्थिक मोर्चे पर डटे रहना है। किसी भी तरह से हमारे लोगों के लिए मुश्किल न हो। उनको उचित दरों पर सभी प्रकार के खाद्यान्न की उपलब्धता बनी रहे। नवीन अग्रवाल इस शहर में खाद्यान्न का स्टॉक भरपूर है। लोगों को इस बात की टेंशन लेने की जरूरत नहीं। जितनी तादाद वे सामान्य तरीके से खरीदते हैं। उनको यह कार्य जारी रखना होगा। खौफ की खरीद से बचना होगा। सामान्य व्यवहार में रहना होगा। कृष्ण कुमार अकसर ही खौफ की खरीद बाजार का स्वरूप बिगाड़ देती है। पेट्रोल का ही उदाहरण लीजिए। अचानक खरीद बढने से पंप ड्राइ हो जाते हैं। जिनके पास एक दो लीटर होता है, वे परेशान होने लगते हैं। मानो पेट्रोल अब कहीं मिलेगा ही नहीं। नरेंद्र कुमार पूर्व में खौफ की खरीद के उदाहरण बाजार में रहे। सोशल मीडिया पर किसी वस्तु विशेष की किल्लत से लोगों ने उसकी जमाखोरी करनी शुरू कर दी। इस वजह से मुनाफाखोर सक्रिय हो गए। उनका रखा स्टॉक ही महंगा होना शुरू हो गया। रिंकु गोयल पब्लिक को भी जमाखोरी से बचने की आदत डालनी होगी। यदि एक व्यक्ति अपनी जरूरत से अधिक सामान खरीदेगा तो वह दूसरों के हक पर डाका डालेगा। वहीं अपने यहां रखा अतिरिक्त सामान भी तय अवधि में खराब होने लग जाएगा। संजीव सिंघल इस समय सभी खाद्यान्न के दाम उचित स्तर पर चल रहे हैं। जिस तरह से उपज की स्थिति है, उसे देखते हुए तो नहीं लगता कि किसी सामान की किल्लत होने वाली है। लोगों को धैर्य रखते हुए अपनी खरीद को अमल में लाना होगा। विकास गुप्ता अधिक तादाद में आटा या अन्य उत्पाद खरीदना समझदारी नहीं। यह अधिक समय तक चलता नहीं। खराब होने लगता है। अधोमानक वस्तु का प्रयोग करना कहीं से भी समझदारी नहीं। खाद्यान्न उतना ही खरीदा जाए जितना की सहेज सकें। अजय गौतम कोई भी समझदार व्यक्ति घर में उतना ही सामान लाएगा जितनी आवश्यकता हो। इससे घर का बजट बना रहेगा। साथ में अतिरिक्त सामान से होने वाला नुकसान भी बचेगा। लोगों को खौफ में कभी भी जरूरत से ज्यादा सामान नहीं खरीदना। अरविंद गुप्ता व्यापारी कभी भी अपनी जिम्मेदारी पूरी करने में पीछे नहीं रहा। आज व्यापारियों के सहयोग से कई संस्थाएं चल रही हैं। मौजूदा समय में भी व्यापारी अपना हर संभव योगदान देंगे। देश के लिए जो भी आवश्यकता होगी, उसे पूरा किया जाएगा। रिंकु अग्रवाल सामाजिक दायित्व तो यही कहता है कि हम सभी शहरवासी समझदारी का परिचय दें। ऐसा कार्य न करें जिससे खौफ की स्थिति हो। अपना आचरण उसी तरह रखें मानो सामान्य स्थिति हो। सैनिकों को हमारे नैतिक सहयोग की जरूरत है। मनोज अग्रवाल अनेकों अवसर रहे हैं जब मोतीगंज के व्यापारियों ने अपना सामाजिक दायित्व पूरा किया है। सीमा पर सैनिक अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। हम भी पीछे नहीं रहेंगे। संकट काल में राष्ट्र के साथ खड़े रहेंगे। यहां रहकर दायित्व पूरा करेंगे। अशोक पोपली बाजार में खाद्यान्न का बिल्कुल भी संकट नहीं। लगातार आमद हो रही। प्रशासन को भी चाहिए कि नियमित मॉनीटरिंग करें। मार्ग किसी भी कारण से अवरुद्ध न हो। अन्यथा की स्थिति में जमाखोर एवं मुनाफाखोर सक्रिय हो जाते हैं। शालू अग्रवाल गल्ला व्यापारी अपना सहयोग हर संभव दे रहे। सरकार को हर मौके पर अपना साथ दिया। आगे भी देते रहेंगे। हम लोग बाजार में खाद्यान्न की कमी नहीं होने देंगे। लोगों को उचित दर पर इन सामानों की उपलब्धता कराते रहेंगे। पुलकित गुप्ता यह राष्ट्र का सवाल है। इसमें हर व्यक्ति की जिम्मेदारी बनती है। लोगों को चाहिए कि वे अपना सर्वस्व योगदान दें। व्यापारी समाज की प्रतिष्ठा एवं साख का ध्यान रखते हुए किसी भी प्रकार की कमी न होने पाए। रेट भी उचित रखें। पवन गोयल हम लोग नए भारत में हैं। इसमें हर व्यक्ति राष्ट्रीयता से ओत प्रोत है। राष्ट्र की तरक्की में अपना योगदान दे रहे। सैनिक बॉर्डर पर अपनी जान खतरे में डालकर हमें महफूज कर रहे। हमको भी अपना कर्तव्य निभाना है। आपूर्ति ठीक रखनी है। सचिन गोयल सभी व्यक्ति अपनी भूमिका निभा रहे। हम भी बाजार के साथ हैं। कमेटी पदाधिकारी लगातार समाज के हित के काम करते रहते हैं। यदि राष्ट्र के लिए किसी योगदान की आवश्यकता पड़ती है, सभी मिलजुल कर वह कार्य कर देते हैं। लक्ष्मी नारायण अग्रवाल खाद्यान्न आम व्यक्ति की जरूरत में रहता है। विशेष रूप से श्रमिक और अन्य कामगार के लिए यह रोज की खरीद का हिस्सा है। सभी को मिल जुल कर यह प्रयास करना चाहिए कि किसी भी खानपान के उत्पाद की किल्लत न होने पाए। दिनेश चंद अग्रवाल

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