कार्य परिषद : विवि ने अधिवक्ता को किया कार्य विरत
Agra News - -डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की कार्य परिषद में हुए कई फैसले आगरा,

डॉ. भीमराव आंबेडकर विवि की कार्यपरिषद बैठक में शुक्रवार को हुई। कार्य परिषद में विवि ने अपने विधिक सलाहकार, अधिवक्ता को कार्य से विरत कर दिया। अधिवक्ता पर विवि विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए जाने का आरोप लगाए गए हैं। इसके लिए कार्य परिषद ने जांच को उच्च स्तरीय समिति का गठन किया। बता दें कि विवि के विधिक सलाहकार और अधिवक्ता के रूप में डॉ. अरुण कुमार दीक्षित पिछले 15 सालों से कार्य कर रहे हैं। वैधानिक मामलों में वह विवि की पैरवी कर रहे थे। कुलपति प्रो. आशु रानी की अध्यक्षता में हुई कार्यपरिषद की बैठक में डॉ. अरुण कुमार दीक्षित पर आरोप तय किए गए।
इसमें उन पर विवि के गोपनीय दस्तावेजों को प्राप्त करने का कुत्सित प्रयास, आंतरिक शिकायत तंत्र का उपयोग किए बिना मुख्यमंत्री व अन्य गणमान्य व्यक्तियों से शिकायत करना विवि की गरिमा को क्षति पहुंचाना और वादों की प्रभावी पैरवी न करना समेत विधिक विरुद्ध भुगतान कराने समेत तमाम आरोप लगाए गए। कार्य परिषद के समक्ष प्रस्तुत हुए प्रकरण के बाद आरोपों की जांच के लिए समिति बना दी गई। वहीं समिति की रिपोर्ट आने तक एडवोकेट डॉ. अरुण कुमार दीक्षित को कार्य से विरत कर दिया गया। साथ ही उन्हें विवि से संबंधित सभी पत्रावलियां एक सप्ताह में विधि विभाग को सौंपने के लिए भी कहा गया है। साथ विवि की वादों की अग्रिम तिथि से अवगत कराने को कहा गया है। रोस्टर पर आत्तियों का हुआ निस्तारण विवि की कार्यपरिषद में अन्य प्रकरणों और पिछले दिनों हुई विभिन्न कमेटियों के कार्यवृत्त को भी रखा गया। इसके बाद कार्य परिषद ने अतिरिक्त नियुक्ति, रोस्टर के अनुपालन के लिए शासन आए संदर्भ के पालन का निर्णय लिया गया। विवि की वेबसाइट पर रोस्टर से संबंधित मांगी गई आपत्तियों का निस्तारण किया गया। डीन छात्र कल्याण प्रो. भूपेंद्र स्वरूप शर्मा और मानद लाइब्रेरियन पे रूप में प्रो. मोहम्मद अरशद को नियुक्त किया गया है। इसके अलावा चार कर्मचारियों को प्रोन्नति देते हुए ऑफिस सुप्रीटेंडेंट बनाया गया है। सुविधा शुल्क मांगा, तो राज्यपाल से की शिकायत अधिवक्ता डॉ. अरुण कुमार दीक्षित का कहना है कि विवि प्रशासन ने साल 2022 से उनका भुगतान रोक रखा है। बार-बार पत्राचार करने के बाद भी जब उनका भुगतान नहीं किया गया तो उन्होंने इसकी विस्तृत शिकायत राज्यपाल से की। शिकायत के बाद से ही विवि प्रशासन ने उन पर आरोप लगाना शुरू कर दिए। जबकि पिछले 15 साल में उन्होंने एक भी मुकदमा विवि को हारने नहीं दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिल भुगतान के एवज में उनसे सुविधा शुल्क मांगा जा रहा था। उन्होंने कहा कि अगर विवि प्रशासन उन पर लगाए गए एक भी आरोप को सिद्ध कर दे तो वह स्वयं विवि का कार्य छोड़ देंगे।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।