बोले कासगंज: कारोबार तो खड़े कर दिए लेकिन कामगारों के लिए सुविधाएं भूले
Agra News - कासगंज में औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना के बावजूद श्रमिकों को सफाई और जल निकासी की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गंदगी और कचरे के ढेरों के कारण स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। स्थानीय व्यापारी...
कासगंज जनपद के आर्थिक सुदृढ़ीकरण के लिए सरकार एवं प्रशासन ने शहर से सटे तरौरा ग्राम पंचायत क्षेत्र में औद्योगिक आस्थान की स्थापना की थी। प्रशासन ने इस क्षेत्र को औद्योगिक आस्थान के लिए इसलिए चुना ताकि यहां जिले के व्यापारी सुगमता पूर्वक उद्योगों को स्थापित करके उनका संचालन कर सकें। उसने यहां उद्योग स्थापित कर रखे हैं, जिनमें तरह-तरह के उत्पाद तैयार होकर बाजार में पहुंचते हैं। ऐसे में इन उद्योगों की रीढ़ कामगारों को काम करने के लिए जाने और आने में दिक्कतें नहीं हों। यह ध्यान रखना भी प्रशासन और उद्योग विभाग का काम है। यहां का औद्योगिक क्षेत्र शहर से सटा हुआ भी है।
यहां के श्रमिक वर्ग को विभिन्न प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। मिकों का कहना है कि नियमित सफाई ना होने से इलाके में चारों तरफ गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। गंदगी के ढेरों से सड़न एवं दुर्गंध तो आती ही है। वहीं तेज हवा के चलने पर ढेरों से उड़कर यह गंदगी सड़कों पर भी फैल जाती है। गंदगी के इन ढेरों पर विभिन्न प्रकार के केमिकल युक्त भट्ठियों की राख भी पड़ी होती है। जोकि धूल के रूप में उड़कर सांस के साथ हमारे अंदर जाती है। यह राख स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही हानिकारक होती है। यदि यहां स्थित सभी उद्योगों से नियमित तौर पर कचरा उठने लगे। तो इस समस्या से निजात मिल सकती है। इसके साथ ही व्यापारी एवं श्रमिक यह भी बताते हैं, कि इस क्षेत्र में काफी लंबे समय से नाले एवं नालियों की सफाई नहीं हुई है। जिसके चलते आस्थान क्षेत्र के सभी नाले-नालियां सिल्ट से अटे पड़े हैं। सिल्ट जमा होने के कारण नाले एवं नालियों में बहने वाला दूषित जल ओवरफ्लो होकर सड़कों एवं उद्योग परिसरों के बाहर जमा हो रहा है। दूषित जल का भराव होने से उद्योगों के बाहर दुर्गंध तो आती ही है। वहीं इससे इलाके में मक्खी एवं मच्छर भी पनप रहे हैं। जल भराव की यह समस्या निकासी का कोई उचित इंतजाम ना होने के कारण बारिश के मौसम में और भी विकराल रूप धारण कर लेती है। व्यापारियों का कहना है कि प्रशासन हमारी ओर कोई ध्यान नहीं देता। इस इलाके में नियमित तौर पर सफाई के लिए कोई कर्मचारी नहीं आता। इलाके में साफ-सफाई तथा जलभराव की समस्या से निजात दिलाने के लिए हमने अनेक बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन आज तक प्रशासन ने हमारी कोई सुध नहीं ली। प्रतिदिन हम गंदगी के बीच से गुजरकर काम पर जाते हैं। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं, जिनसे बदबू आती है और मक्खी-मच्छर भिनभिनाते हैं। सांस लेने में भी दिक्कत होती है। अगर प्रशासन सफाई की व्यवस्था ठीक कर दे तो हम भी स्वस्थ माहौल में काम कर सकें। -अमर सिंह यहां प्रशासन ने उद्योग लगावाने पर तो जोर दिया, लेकिन सफाई और जल निकासी का कोई इंतजाम नहीं किया गया। बरसात में हालत और भी खराब हो जाती है। सड़कों पर पानी भरा रहता है और चलना मुश्किल हो जाता है। प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए। -गुरमीत सिंह नाले-नालियां पूरी तरह से चोक हैं। बरसात का पानी बाहर नहीं निकलता, जिससे कीचड़ और बदबू पूरे इलाके में फैल जाती है। इससे हमारे जूते-कपड़े भी गंदे हो जाते हैं और बीमारियों के फैलने का डर भी रहता है। प्रशासन को इस क्षेत्र की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। -संदीप मनकू गंदगी के ढेरों से उड़ने वाली धूल के कारण सांस की बीमारी और त्वचा रोग भी फैलते हैं। बीमार पड़ने पर हमें अस्पताल भी जाना पड़ता है। केमिकल युक्त राख सांस के द्वारा हमारे फेफड़ों तक पहुंचती है। प्रशासन नियमित रूप से कचरा और नालियों की सफाई करानी चाहिए। -जावेद हम सुबह काम पर आते हैं तो सबसे पहले गंदगी और कीचड़ से जूझना पड़ता है। काम के अलावा सफाई की चिंता सताती रहती है। यह क्षेत्र औद्योगिक विकास के लिए बनाया गया था, लेकिन मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। श्रमिकों की स्थिति को नजरअंदाज किया जा रहा है। -रोहित पुरानी रेल लाइन के पास जो तालाब है, उसमें सारा कचरा डंप होता है। इससे इतना ज्यादा बदबू फैलती है कि आसपास खड़ा होना मुश्किल हो जाता है। मक्खियों की भरमार से खाना भी ठीक से नहीं खा सकते। प्रशासन ने आज तक एक बार भी सफाई नहीं कराई। -इमरान हम यहां कई वर्षों से काम कर रहे हैं। शुरू में थोड़ी बहुत सफाई होती थी, लेकिन अब तो जैसे कोई जिम्मेदारी ही नहीं है। गंदगी, पानी भराव और बदबू ने काम करना मुश्किल कर दिया है। जब तक प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान नहीं जाएगा, हालत ऐसे ही बनी रहेगी। -नबी अहमद यहां फैली गंदगी के कारण हमें बार-बार बीमार पड़ने का डर भी सताता रहता हैं, क्योंकि गंदगी के करन हमारे कपड़ों पर भी कीटाणु चिपक जाते हैं। प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है कि हमें काम करने के लिए साफ-सुथरे वातावरण उपलब्ध कराया जाए। -हमीद इस आस्थान क्षेत्र में काम करना अब खतरे से खाली नहीं है। हर ओर गंदगी है और नालियों का पानी बाहर बहता है। इससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बना रहता है। कई बार हमें खुद ही सफाई करनी पड़ती है। हमार समस्याओं का समाधान हो। -यामीन जब भी तेज हवा चलती है तो केमिकल युक्त राख उड़कर आँख, नाक और मुंह के द्वारा हमें नुकसान पहुंचाती है। इससे कई लोग बीमार भी हो जाते हैं। हमने कई बार सफाई की मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उद्योगों के साथ सफाई भी जरूरी होनी चाहिए। -हफीज नालियों में वर्षों से सफाई नहीं हुई। इतनी सिल्ट भर गई है कि पानी का बहाव रुक गया है। बरसात में हालत और बिगड़ जाते हैं। सड़क पर चलना भी मुश्किल हो जाता है। कई बार गाड़ी फिसल कर गिर भी जाती है। प्रशासन को स्थायी हल निकालना होगा। -दानिश हम रोज़ाना दुर्गंध भरे वातावरण में काम करते हैं, लेकिन कोई अधिकारी यहां आकर देखता तक नहीं। नगर पालिका भी कहती है कि यह क्षेत्र उसके अधीन नहीं आता। हम इंसान हैं, हमें साफ-सुथरा माहौल मिलना चाहिए। प्रशासन को इन समस्याओं की तरफ ध्यान देना चाहिए। -सुभाष गर्मी में दुर्गंध के कारण हालत और बिगड़ जाती है। कई बार हमें मास्क पहनकर काम करना पड़ता है। बच्चों को यहां लाना संभव नहीं है। ऐसे हालात में उद्योगों की प्रगति भी संभव नहीं है। सफाई व्यवस्था को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। अगर स्वस्छ वातावरण रहेगा तो जीवन भी स्वस्थ्य रहेगा। छोटे बच्चों को भी परेशानी नहीं होगी। -अमित
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