Historical Treasures at AMU Jain and Buddhist Heritage Preserved एएमयू संग्रहालय में आदिनाथ से महावीर जैन तक 24 तीर्थांकर, Aligarh Hindi News - Hindustan
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एएमयू संग्रहालय में आदिनाथ से महावीर जैन तक 24 तीर्थांकर

Aligarh News - अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में जैन और बुद्धिस्ट धरोहर की दुर्लभ मूर्तियाँ और स्तंभ हैं। सर सैयद अहमद खान ने इन मूर्तियों को संजोया। महावीर स्वामी का एक टन वजनी सुनहरे पत्थर का स्तंभ यहाँ...

Newswrap हिन्दुस्तान, अलीगढ़Sun, 18 May 2025 02:39 AM
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एएमयू संग्रहालय में आदिनाथ से महावीर जैन तक 24 तीर्थांकर

19वीं शताब्दी से पहले जैन व बुद्धिस्ट स्थल होते थे, बाद में बिखर गए एएमयू संस्थापक सर सैयद अहमद ने जैन मूर्तियों को संजोकर रखा था महावीर स्वामी का एक टन वजनी सुनहरे पत्थर का स्तंभ भी है मौजूद फोटो 00 अलीगढ़ । कार्यालय संवाददाता अलीगढ़ मुस्लिम विवि में केवल तालीम ही नहीं, बल्कि अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस विश्वविद्यालय में कई संग्रहालय हैं, जिनमें मूसा डाकरी संग्रहालय विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र है। यह संग्रहालय दुर्लभ ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजे हुए है, जिन्हें देखकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। सर सैयद अहमद खां ने 24 मई 1875 में मदरसा-तुल-उलूम की नींव रखी थी।

सात छात्रों से शुरू हुआ मदरसा आज एएमयू के रूप में दुनिया भर में छाई हुई है। सर सैयद ने इससे पहले ही देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को जुटाना शुरू कर दिया था। 1863 में अलीगढ़ के डिप्टी कलक्टर व साइंटिफिक सोसायटी के संस्थापक सदस्य राजा जयकिशन ने भी सर सैयद को कुछ देव प्रतिमाएं भेंट की थीं। ऐसी ही 27 प्रतिमाएं व स्तंभ एएमयू में हैं। महावीर स्वामी का एक टन वजनी सुनहरे पत्थर का स्तंभ सबसे आकर्षित करने वाला है। एक ही पत्थर पर ऋषभ देव, आदिनाथ से लेकर महावीर जैन तक 24 तीर्थांकर तरासे गए हैं। म्यूजियम में एटा के अतरंजीखेड़ा व बुलंदशहर आदि जिलों में खुदाई में निकले लोहे, तांबे व मिट्टी के बने बर्तन, पशुओं को मारने में इस्तेमाल होने वाले हथियार, श्रृंगार का सामान भी है। यह धरोहर 3000 से 3200 साल पुरानी है। कुरान की आयत लिखी कुर्ता भी मौजूद एएमयू आजाद लाइब्रेरी के संग्रहालय में 14 लाख से ज़्यादा किताबें व कई बेशकीमती वस्तुएं मौजूद है। फाउंडर सर सैयद अहमद खान के पोते सर रॉस मसूद को लॉर्ड लुथियन ने 1933 में लंदन में एक कुर्ता सौंपा था। कुर्ता सौंपते वक्त उसने कहा था कि 1857 के गदर यानी कि जो जंग हुई थी उस जंग में इसे हिंदुस्तान से लूट कर अंग्रेजो के द्वारा लंदन लाया गया था। रॉस मसूद ने हिंदुस्तान वापस आकर कुर्ते को एएमयू की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में जमा कर दिया था। इस कुर्ते का क़िस्सा बड़ा ही खास है, क्योंकि एक तो इस पर कुरान की आयतें लिखी हुई हैं। 19वीं शताब्दी से पहले जैन व बुद्धिस्ट स्थल हुआ करते थे। जो धीरे-धीरे बिखर गए। सर सैयद ने इन्हीं मूर्तियों को संजोया। महावीर स्वामी का स्तंभ दुर्लभ है। स्तंभ के चारों ओर 24 तीर्थांकर हैं। खोदाई में मिलीं अन्य चीजें भी म्यूजियम में हैं। - प्रो. एमके पुंढीर, इतिहास विभाग एएमयू

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