Neeraj Chopra s Hurdles Lack of Facilities and Support for Athletes in Aligarh कैसे बनेंगे नीरज चोपड़ा, जब भाला फेंक के अभ्यास पर ही रोक , Aligarh Hindi News - Hindustan
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कैसे बनेंगे नीरज चोपड़ा, जब भाला फेंक के अभ्यास पर ही रोक

Aligarh News - कैसे बनेंगे नीरज चोपड़ा, जब भाला फेंक के अभ्यास पर ही रोक फोटो

Newswrap हिन्दुस्तान, अलीगढ़Thu, 9 Jan 2025 05:18 PM
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कैसे बनेंगे नीरज चोपड़ा, जब भाला फेंक के अभ्यास पर ही रोक

कैसे बनेंगे नीरज चोपड़ा, जब भाला फेंक के अभ्यास पर ही रोक फोटो

अलीगढ़। भाला फेंक खेल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का परचम लहराने वाले नीरज चोपड़ा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। कॉमनवेल्थ, एशियन गेम्स, ओलंपिक जैसे सैकड़ों आयोजनों में उन्होंने देश का सम्मान बढ़ाया है। लेकिन, अलीगढ़ के जिला स्टेडियम में भाला फेंक के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है। खिलाड़ियों का स्टेडियम में अभ्यास करना लगभग निषेध हैं। इस बतइतंजामी की वजह से अलीगढ़ से नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ी निकलना लगभग असंभव सा हो गया है।

भाला फेंक में राष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बना चुके अतरौली निवासी खिलाड़ी सोनू कुमार बताते हैं कि उन्हें जिला स्टेडियम में भाला फेंक के अभ्यास को मना कर दिया जाता है। सुबह-शाम यहां खिलाड़ी इसी आस में आते हैं कि वो भाला फेंक का अभ्यास कर पाएं। लेकिन, एक अरसे से यहां अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं। जिसके कारण कुछ खिलाड़ियों की रुचि भी दूसरे खेलों की तरफ बढ़ रही है। अगर स्टेडियम में इसकी उचित व्यवस्था बन जाए, तो वो दिन दूर नहीं कि अलीगढ़ से भी नीरज चोपड़ा जैसे खिलाड़ी देश-विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाएंगे। सोनू ने वर्ष 2024 में ओडिशा के कलिंगा स्टेडियम में आयोजित राष्ट्रीय स्तर प्रतियोगिता में भाग लिया था। जहां नीरज चोपड़ा ने भी भाला फेंका था।

महिला खिलाड़ियों के लिए शौचालय बना शर्मिंदगी

अलीगढ़। जिला स्टेडियम में वैसे तो महिला और पुरुष दोनों खिलाड़ियों के लिए शौचालय बने हुए हैं। हालांकि पुरुष शौचालय पर ताला लटका रहता है। वहीं महिला खिलाड़ियों का शौचालय शर्मिंदगी से भरा हुआ है। इसमें प्रवेश करना किसी भी खिलाड़ी के लिए नामुमकिन सा है। शौचालय में गंदगी का अंबार है। इसकी प्रकाश व्यवस्था भी अंधेरे में है। अभ्यास के दौरान जब महिला खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना पड़ रहा है। आपात स्थिति में इस शौचालय का प्रयोग करना ही महिला खिलाड़ियों के लिए सबसे भारी काम है। अगर इस शौचालय का रख रखाव ठीक से हो जाए, तो इस शर्मिंदगी से खिलाड़ी बच पाएं और अपने अभ्यास पर ध्यान दें।

अखाड़े में उगी घास-फूस, पहलवान नदारद

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अलीगढ़। कोई लौटा दे वो मेरे बीते हुए दिन, किशोर कुमार का यह गाना जिला स्टेडियम में बने अखाड़े पर बिल्कुल सटीक बैठता है। स्टेडियम का ये अखाड़ा मानों खुद ही अपनी स्थिति बयां कर रहा है। घास-फूस से सराबोर ये अखाड़ा अपनी दुर्दशा पर रो रहा है। स्टेडियम के एक छोर पर बने इस अखाड़े में अब कोई पहलवान अभ्यास करते नजर नहीं आता। प्रतियोगिताओं के आयोजन पर ही इसे चमकाया जाता है। आयोजकों की मानें तो प्रतियोगिताओं के दौरान वे खुद अपने वित्तीय बजट से इसको दुरुस्त कराते हैं। प्रतियोगिता खत्म होने के बाद इसके रखरखाव का ख्याल नहीं रखा जाता। जिससे अखाड़े की हालात दोबारा ऊबड़-खाबड़ रूप ले लेती है और स्टेडियम में आने वाले लोग इसे देख हंसते नजर आते हैं। अगर इसकी दशा में सुधार हो जाए, तो शायद फिर से यह अखाड़ा पहलवानों के जमघट से हरा-भरा दिखने लगे।

नवंबर से रुका पड़ा है भारोत्तोलन हॉल का कार्य

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अलीगढ़। अहिल्याबाई स्पोर्टस स्टेडियम में बने भारोत्तोलन हॉल का हाल भी बद से बदतर है। यहां जगह से अभाव में खिलाड़ी ठीक से अभ्यास नहीं कर पाते। महिला और पुरुष वर्ग के लिए एक कोच तो है। लेकिन, संसाधनों के अभाव में खिलाड़ी परेशान हैं। इस हॉल को विस्तार करने का कार्य नवंबर से रुका पड़ा है। वहीं मौजूदा हॉल में जगह का अभाव होने के कारण खिलाड़ियों को अभ्यास में परेशानी होती है। राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी उत्कर्षा सैनी बताती हैं कि जगह के बाद यहां सबसे ज्यादा कमी प्लेट की है। अक्सर अभ्यास के दौरान प्लेट टूटी जाती हैं। भारोत्तोलन के जरिए हॉल में प्लेटफार्म तो बना हुआ है। लेकिन इसका बेस नहीं है। जिससे प्लेटफॉर्म जमीन में धंस गया है। खिलाड़ियों की आस है कि अगर जल्द ही हॉल का निर्माण पूरा हो जाए, तो कुछ राहत मिले।

टूटी दीवारों से असामाजिक तत्वों का खतरा

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अलीगढ़। जिला स्टेडियम की टूटी दीवारों से यहां असामाजिक तत्वों का खतरा बना रहता है। बाहरी लोग इन टूटी दीवारों से स्टेडियम में सीधे प्रवेश कर जाते हैं। सुबह-शाम के समय यहां असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहता है। महिला खिलाड़ियों ने बताया कि स्टेडियम की दीवार टूटने से यहां बाहरी लोग घुस जाते हैं। जिसके कारण कई बार यहां विवाद भी होते हैं। इसके अलावा स्टेडियम की ज्यादातर सीवर लाइन चोक पड़ी हैं। जिससे मैदान में पानी भर जाता है। बारिश के दिनों में सड़क का पानी स्टेडियम में घुस जाता है। जो कई-कई दिनों तक ऐसे ही रहता है। उन्होंने बताया कि पानी पीने के लिए यहां वाटर कूलर की व्यवस्था है। लेकिन, इसकी टोटियां गायब हैं। केवल दो टोंटी से पूरा स्टेडियम पानी पीता है।

अंधेरे में खेल रहे वॉलीबॉल, संसाधन भी नहीं

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अलीगढ़। अहिल्याबाई स्पोर्टस स्टेडियम में वॉलीबॉल खेलने के लिए एक छोर पर कोर्ट बनाया गया था। लेकिन, यहां खिलाड़ी अंधेरे में ही अभ्यास करने को मजबूर हैं। पिछले चार माह से कोर्ट की प्रकाश व्यवस्था खस्ताहाल में है। खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें नेट, बॉल, कोच किसी चीज की व्यवस्था नहीं है। अंधेरा होने पर प्रकाश की व्यवस्था पूर्ण रूप से चौपट है। कई बार इसकी शिकायत करने के बाद भी समस्या का कोई निस्तारण नहीं हुआ। खिलाड़ियों ने बताया कि वह सामूहिक व्यवस्था से ही अपनी खेल प्रतिभा को निखार रहे हैं। कोर्ट की साफ-सफाई से लेकर अन्य कार्य वह खुद ही करते हैं। उन्हें आस है कि एक दिन इस स्टेडियम की दिशा और दशा भी बदलेगी।

वर्जन

सरकार एडवेंचर स्पोर्ट्स को लेकर काफी गंभीर है। लेकिन, जिला स्तर पर बाइकिंग, हाइकिंग, पैराग्लाइडिंग आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। स्टेडियम में इसके लिए भी भविष्य में एक स्थान नियत किया जाए। जिससे खिलाड़ियों को पंख लगेंगे।

योगेश शर्मा, अध्यक्ष, बाइक एंड एडवेंचर स्पोर्ट्स फाउंडेशन

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स्टेडियम में इंडोर बहुप्रयोजक जिम्नेशियम का निर्माण होना चाहिए। जिसमें 5 हजार दर्शक एक साथ बैठ सकें। जिम से जुड़ी गतिविधियों के लिए एक अलग स्थान बनाया जाए। जिससे खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिलेगा।

तस्लीम मुख्तार, अध्यक्ष, अलीगढ़ बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस एसोसिएशन

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स्टेडियम में बिना ट्रैक के ही खिलाड़ी दौड़ लगा रहे हैं। ट्रैक कहीं नजर ही नहीं आता। इसकी खुदाई करा पुनर्निर्माण कराया जाए। मैदान में छोटी-छोटी गिट्टियां की भरमार है। जो खिलाड़ियों को घायल करती हैं। लाइट के पोल को ट्रैक से हटाकर शिफ्ट करें।

राशिद हुसैन, खेल शिक्षक, गोपीराम पालीवाल इंटर कॉलेज

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स्टेडियम में कोच के साथ ही जगह का काफी अभाव है। एक ही मैदान में खेलों का काफी बिखराव है। मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का निर्माण कराया जाए। जिससे इंडोर गेम्स स्थानांतरित हो सके और दूसरे खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए जगह मिलेगी।

वली उज्जमा खान, सचिव, डिस्ट्रिक्ट खो-खो एसोसिएशन

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जिला स्टेडियम का मैदान खिलाड़ियों को चोटिल कर रहा है। ट्रैक की लाइन तो दिखती ही नहीं है। हॉकी खेलते समय अक्सर खिलाड़ी गिर जाते हैं और चोट लग जाती है। कई बार खिलाड़ी गंभीर घायल भी हो चुके हैं।

प्रियंका रानी, हॉकी खिलाड़ी

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वॉलीबॉल के खिलाड़ियों के लिए स्टेडियम में न तो कोच की व्यवस्था है। न ही कोई संसाधन हैं। पिछले कई महीनों से अंधेरे में ही खिलाड़ी अभ्यास कर रहे हैं। स्वयं अपनी व्यवस्था से बॉल, नेट आदि की व्यवस्था करते हैं।

रणवीर सिंह राघव, वॉलीबॉल खिलाड़ी

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