नाथ संप्रदाय और योग पुस्तक पर गंभीर चर्चा
Aligarh News - अलीगढ़ में नाथ संप्रदाय और योग पर एक संवाद समारोह आयोजित किया गया, जिसमें डॉ. असगर ने नाथ साहित्य के पंजाबी साहित्य और संस्कृति पर प्रभाव की सराहना की। दीप जगदीप सिंह ने बताया कि नाथ साहित्य और योग...

- नाथ संप्रदाय और योग पुस्तक के बारे में एएमयू में गंभीर संवाद - डा. असगर ने उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी के उपक्रम को सराहा
अलीगढ़ । कार्यालय संवाददाता
नाथ साहित्य का पंजाबी साहित्य और संस्कृति पर गहरा प्रभाव है। आज के समय में पृथ्वी और मनुष्य की सेहत पर पड़े संकट को समझने और दूर करने के लिए नाथ साहित्य और योग अभ्यास महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यह विचार अनुवादक दीप जगदीप सिंह ने एएमयू के आधुनिक भारतीय भाषाओं विभाग में आयोजित ‘नाथ संप्रदाय अते योग एक संवाद समारोह में व्यक्त किए।
मुख्य अतिथि जामिया मिल्लिया इस्लामिया नई दिल्ली के पूर्व प्रोफेसर, प्रसिद्ध लेखक डॉ. असगर वजाहत, फैकल्टी ऑफ फाइन आर्ट्स के डीन डा. टीएन सतीसशन, हिंदी विभाग के प्रो. वेद प्रकाश, पंजाबी सेक्शन के प्रमुख डा. क्रांतिपाल और उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी, लखनऊ के कार्यक्रम कोऑर्डिनेटर अरविंद नारायण मिश्रा ने डा. दया सिंह पंजाबी द्वारा लिखी पंजाबी पुस्तक ‘नाथ संप्रदाय अते योग का विमोचन किया। विभाग से पीएचडी पूरी कर चुके डा. दया सिंह ने अपने सुपरवाइजर डा. क्रांतिपाल के मार्गदर्शन में यह पुस्तक लिखी, जिसे उत्तर प्रदेश पंजाबी अकादमी द्वारा प्रकाशित किया गया है। डा. असगर वजाहत ने कहा कि नाथ परंपरा का पंजाबी साहित्य और संस्कृति के साथ गहरा संबंध है। डा. दया राम ने पंजाबी में नाथ परंपरा और योग के बारे में सरल भाषा में यह किताब लिख कर नई पीढ़ी को पंजाब की ऐतिहासिक विरासत से परिचित कराने का प्रयास किया है। समारोह के आयोजन सचिव, पंजाबी इंचार्ज डा. क्रांतिपाल ने धन्यवाद करते हुए कहा कि आधुनिक भारतीय भाषाएं विभाग भारत की सात भाषाओं का संगम स्थल है। कार्यक्रम का संचालन मराठी सेक्शन के इंचार्ज ताहिर एच. पठान ने किया।
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