Ayodhya s Plastic Waste Crisis Government Initiatives and Environmental Impact बोले अयोध्या:प्लास्टिक कचरा बड़ी चुनौती जागरूक रहेंगे तभी पाएंगे पार, Ayodhya Hindi News - Hindustan
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बोले अयोध्या:प्लास्टिक कचरा बड़ी चुनौती जागरूक रहेंगे तभी पाएंगे पार

Ayodhya News - अयोध्या में प्लास्टिक कचरे की समस्या गंभीर हो गई है, जिससे पर्यावरण और स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक के बावजूद इसका इस्तेमाल जारी है। नगर निगम ने कचरे के प्रबंधन के लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, अयोध्याMon, 26 May 2025 12:15 AM
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बोले अयोध्या:प्लास्टिक कचरा बड़ी चुनौती जागरूक रहेंगे तभी पाएंगे पार

अयोध्या। पर्यावरण से लेकर व्यवस्था और आमजन तथा पशुओं के स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या बना प्लास्टिक कचरा मुख्य रूप से शहर क्षेत्र के लिए बड़ी समस्या बनकर उभरा है। तीन वर्ष पूर्व सरकार की ओर से एक जुलाई 2022 को सिंगल यूज प्लास्टिक के निर्माण,आयत, संग्रहण, वितरण तथा बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगाई थी। 120 माइक्रॉन से कम मोटाई के प्लास्टिक आइटम पन्नी,थैली,गिलास,कप,प्लेट आदि को प्रतिबंधित किया गया था। रोकथाम के लिए अयोध्या नगर निगम की ओर से प्रवर्तन दस्ता गठित किया गया है और फुटपाथ से लेकर गोदाम तक छापेमारी और कार्रवाई कराई जा रही है। सिंगल यूज प्लास्टिक के आवागमन को रोकने के लिए भी कार्रवाई हुई है और सिंगल यूज प्लास्टिक लदी डीसीएम भी पकड़ी गई।

पर्यारवण ही नहीं आमजन के स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदेह होने के बावजूद आमजन और व्यवस्था की लापरवाही के कारण इसका इस्तेमाल और वितरण तथा निर्माण बंद नहीं हो पाया है। जिसके कारण प्लास्टिक युक्त कचरा छुट्टा पशुओं का निवाला बन रहा है। लोग फल-सब्जी से लेकर खाद्य पदार्थ को खरीदकर लाने में धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। फुटपाथ पर आबाद फल-सब्जी की दुकान से लेकर खाद्य पदार्थों आदि के ठेला पर सिंगल यूज प्लास्टिक सर्वसुलभ ही नहीं है बल्कि खुलेआम इसका इस्तेमाल हो रहा है। परिणाम यह होता है कि इस्तेमाल के बाद लोग इसको फेंक देते हैं,जो नाली-नाला को चोक कर देता है। नगर निगम को इसको शहर के बाहर फेंकवाना पड़ता था, जिससे आसपास के लोगों को बदबू तथा संक्रमण से दो-चार होना पड़ता था। ठोस अपद्रव्य प्रबंधन अधिनियम 2016 तथा स्वच्छ भारत मिशन के तहत अन्य कचरों के साथ प्लास्टिक कचरा के प्रबंधन तथा इसके निस्तारण की दिशा में योजना बनाकर कार्रवाई हुई। जिसके तहत अयोध्या नगर निगम क्षेत्र में भी कचरे को दो भागों में बांटा गया है- गीला कचरा और सूखा कचरा। साथ ही दोनों प्रकार के कूड़ा संग्रहण के लिए अलग-अलग व्यवस्था लागू की गई है तथा सार्जनिक स्थलों को दो हिस्सों में विभाजित तथा अलग-अलग रंग वाले कंटेनर रखवाए गए हैं। इतना ही नहीं संग्रहित कूड़े से अलग-अलग प्रकार के कचरे को छांटने के लिए निगम क्षेत्र में कुल छह मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी (एमआरएफ) केंद्र स्थापित किये गए हैं। इस केंद्र पर अलग-अलग तरीके से एकत्र किए गए कचरे को फिर से अलग किया जाता है और रीसाइकल या पुनर्विक्रय के लिए उपयोगी घटकों को अलग कर लिया जाता है। संग्रहित कचरे को जैविक और अजैविक आदि में विभाजित किया जाता है और कूड़े से प्लास्टिक,कागज,धातु आदि को छांटा जाता है। जैविक कचरे से खाद निर्माण की योजना है। इससे 14 कोसी परिक्रमा मार्ग किनारे काफी दूरी में खड़े हुए कचरे के पहाड़ को काफी हद तक काम करने में मदद मिली है। वहीं मठ-मंदिरों से निकलने वाले जैविक कचरे फूल-माला को प्रवर्धित कर अगरबत्ती बनाने की योजना पर काम शुरू कराया गया है। उधर, पर्यावरण के प्रति जारूकता और संरक्षण के लिए विभागों की ओर से समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। स्कूल-कालेज से लेकर अंग्रेजी माध्यम से संचालित कान्वेंट में भी यह केवल इवेंट तक सीमित रह गया है। जागरूकता की सारी कवायद प्रदर्शनी, मॉडल, भाषण, संगोष्ठी आदि के आयोजन तक सीमित रहती है। नगर निगम की ओर से पर्यावरण संरक्षण के लिए दो वर्ष पूर्व क्षेत्र में पांच स्थानों पर पांच-पांच टन क्षमता के बॉयो मीथेनेशन प्लांट लगाने की योजना भी काम शुरू हुआ था और अभिरुचि का प्रस्ताव माँगा गया था। प्लास्टिक कचरा से निजात के लिए सरकार और जिम्मेदार विभाग की ओर से पहल तो की गई है और कई योजनाओं पर काम भी शुरू हुआ है लेकिन जनजागरूकता में कमी तथा लोगों की लापरवाही के कारण अभी इस समस्या से निजात नहीं मिल पाई है। प्लास्टिक का खेती पर भी पड़ता है प्रभाव:प्लास्टिक भूमि के लिए एक बड़ा खतरा है। यह मिट्टी को प्रदूषित करता है,उसकी उर्वरा शक्ति को कम करता है और जलवायु परिवर्तन को भी बढ़ाता है। प्लास्टिक जब लैंडफिल में फेंका जाता है,तो वह वहां वर्षों तक बना रहता है और धीरे-धीरे हानिकारक रसायनों को मिट्टी में छोड़ता है। कृषि वैज्ञानिक रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि प्लास्टिक मिट्टी में हानिकारक रसायनों को छोड़ता है,जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है और पौधों के विकास को प्रभावित करता है। प्लास्टिक मे पाए जाने वाले छोटे कण ‘माइक्रोप्लास्टिक मिट्टी में घुले रहते हैं जो पौधों और जानवरों के लिए हानिकारक हो सकते हैं। मिट्टी मे फैले हानिकारक रासायनिक तत्वों की वजह से पशुओं व मनुष्यों की पाचन क्रिया प्रभावित होती है। पीपीपी माडल पर होना था प्रबंधन केंद्र: स्वच्छ भारत अभियान दो तथा ठोस अपद्रव्य प्रबंधन अधिनियम 2016 के तहत अयोध्या नगर निगम ने दो वर्ष पूर्व शासन-प्रशासन की पाबंदी के बावजूद आमजन से लेकर व्यवस्था के लिए परेशानी का सबब बने सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रभावी प्रबंधन के लिए योजना बनाई थी। योजना बनाने के लिए अधिकारियों की ओर से देश भर के नगर निगमों में प्लास्टिक कचरा के प्रबंधन को लेकर किये जा रहे उपाय का अध्ययन किया था और महानगरों में चल रही व्यवस्था की जानकारी ली थी। मथुरा में स्थापित प्रबंधन संयत्र की भांति पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप ( पीपीपी ) मॉडल पर नवोन्मेषी प्लास्टिक आफ फ्यूल (पी 2 एफ) संयंत्र की स्थापना के लिए इस क्षेत्र में दक्ष देश की कंपनियों से अभिरुचि का प्रस्ताव आमंत्रित किया था। संयंत्र के संचालन, निर्माण, वित्तीय व्यवस्था, मालिकाना हक और रखरखाव इच्छुक कंपनी के हवाले रखे जाने की शर्त रखी गई थी। साथ ही संयंत्र की क्षमता20 टीडीपी,20 वर्षों तक संयंत्र और कूड़ा कलेक्शन केंद्र का कंपनी की ओर से संचालन,वार्षिक टर्नओवर एक करोड़ तथा प्रसंस्करण क्षमता का अनुभव 10 टीडीपी तय किया गया था। योजना के तहत सिंगल यूज प्लास्टिक कचरे से डीजल-पेट्रोल,वैक्स,गैस तथा कार्बन का निर्माण किया जाना था लेकिन अभी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई। विभागीय जानकारों का कहना है कि प्लास्टिक कचरा प्रबंधन केंद्र के लिए अयोध्या नगर निगम के पास पिरखौली में जमीन उपलब्ध है। योजना के मुताबिक निगम क्षेत्र में सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण के लिए प्रदेश के मथुरा में बायो फ्यूल निर्माण संयंत्र की भांति उससे उन्नत और ज्यादा क्षमता का आधुनिक संयंत्र स्थापित कराया जाना है। बोले जिम्मेदार: इस बारे में सहायक नगर आयुक्त गुरू प्रसाद पांडे का कहना है कि नगर निगम क्षेत्र में जो भी कूड़ा एकत्र होता है उसे छह एमआरएफ सेंटर पर एकत्र किया जाता है। इसमें से काशीराम आवासीय कॉलोनी के पास अयोध्या में जो एमआरएफ केंद्र स्थापित है वहां नगर निगम द्वारा प्लास्टिक के कचरे को अलग करके उसका निस्तारण कराया जाता है। यहां पर प्लास्टिक का जो भी कचरा निकलता है उसे नगर निगम द्वारा ‘द कबाड़ी वाला नामक संस्था को दिया जाता है।

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