Auto Parts Market Struggles Amid Poor Infrastructure and Security Concerns बोले आजमगढ़ : बाबजार कैसे ले अंगड़ाई, जब खुद करनी पड़ती है सफाई, Azamgarh Hindi News - Hindustan
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बोले आजमगढ़ : बाबजार कैसे ले अंगड़ाई, जब खुद करनी पड़ती है सफाई

Azamgarh News - नरौली तिराहे से हरबंशपुर तक सड़क किनारे 500 से अधिक आटो पार्ट्स की दुकानें हैं, लेकिन दुकानदारों को बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। लॉकडाउन के बाद व्यापार मंदी में है और सुरक्षा के...

Newswrap हिन्दुस्तान, आजमगढ़Fri, 11 April 2025 05:43 PM
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बोले आजमगढ़ : बाबजार कैसे ले अंगड़ाई, जब खुद करनी पड़ती है सफाई

शहर के नरौली तिराहे से हरबंशपुर तक सड़क की दोनों पटरियों के किनारे 500 से अधिक आटो पार्ट्स की दुकानें हैं। इनमें कई दुकानें चार और दो पहिया वाहनों के मेंटेनेंस और उनकी साज-सज्जा से संबंधित हैं। बलिया मऊ से लखनऊ, वाराणसी और प्रयागराज जाने वाल राजमार्ग के किनारे इस इलाके में दुकानदारों को नगरपालिका की बुनियादी सुविधा भी मुहैया नहीं हैं। स्ट्रीट लाइटें तो लगाई गई हैं, लेकिन शाम को एक भी नहीं जलती हैं। हजारों लोगों का प्रतिदिन आना-जाना है, लेकिन शौचालय और पेयजल की व्यवस्था नहीं है। पार्किंग बड़ी समस्या है और साफ-सफाई भी नहीं होती। नरौली मार्केंट में ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि लॉकडाउन में कार, बाइक एसेसरीज और स्पेयर पार्ट्स के बाजार को तगड़ा झटका लगा। अभी तक यह बाजार उससे उबर नहीं पाया है। मार्केट में मंदी का दौर चल रहा है। जिससे दिनभर में रोटी-दाल चलने लायक आमदनी हो जाए तो गनीमत है। लॉकडाउन से पहले नोटबंदी के दिनों में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। लॉकडाउन ने तो कमर ही तोड़ दी। वो दौर खत्म हुए तीन वर्ष बीत गए, लेकिन अभी भी दुकानों पर बैठकर दिनभर ग्राहकों का इंतजार करना पड़ता है।

शाम होते ही अंधेरा, सताती है सुरक्षा की चिंता

अजय सिंह ने बताया कि यहां पर दोनों पटरियों को मिलाकर दुकानों की संख्या करीब 500 है। नगरपालिका की तरफ से स्ट्रीट लाइट की समुचित व्यवस्था नहीं हुई है। डिवाइडर पर लाइट लगी हैं, लेकिन रात में ज्यादातर लाइट नहीं जलती हैं। पूरे क्षेत्र में दुकानदारों की तरफ से जलाई गई रोशनी ही सहारा होती है। नगरपालिका की तरफ से लगाई गई फैंसी लाइट किसी काम की नहीं है। रात होते ही सुरक्षा को लेकर दुकानदार आशंकित हो जाते हैं।

खुद सफाई कर कूड़े में लगानी पड़ती है आग

जावेद ने बताया कि नरौली में दिनभर में हजारों लोग दुकानों पर आते-जाते हैं। उनके लिए पूरे क्षेत्र में एक भी शौचालय की व्यवस्था नहीं है। नरौली तिराहे से लेकर हरबंशपुर के आगे तक बड़ा इलाका है। यहां पर एक हैंडपंप की व्यवस्था भी नगरपालिका की तरफ से नहीं हो सकी है। लोगों की सुविधा के लिए इस क्षेत्र में तत्काल एक शौचालय की व्यवस्था की जाए। जितेंद्र यादव ने बताया कि बाजार में साफ-सफाई की भी व्यवस्था नगरपालिका की तरफ से सही नहीं है। एक तो यह हाईवे का इलाका है। खाली रोड पर वाहनों की रफ्तार तेज रहती है। सफाईकर्मी बहुत मुश्किल से इधर आते हैं। यहां के ज्यादातर दुकानदार खुद से सफाई करते हैं और कूड़ा इकट्ठा कर उसमें आग लगाकर उसका निस्तारण करते हैं।

नए वाहन मॉडलों के चलते नहीं बिक पाते सामान

नवनीत ने बताया कि दो और चार पहिया वाहनों के रोज नए-नए मॉडल कंपनियों की तरफ से मार्केट में लांच किए जा रहे हैं। दुकानदार एक मॉडल के पार्ट्स ऑर्डर कर मंगाते हैं तभी दूसरे मॉडल की गाड़ी के मार्केट में आ जाने से उससे संबंधित एसेसरीज और स्पेयर पार्ट्स की डिमांड होने लगती है। इससे पहले वाले मॉडल के सामान के साथ उसकी लागत भी फंस जाती है। एक साथ सभी मॉडल के पार्ट्स रख पाना संभव नहीं है। मॉडल के अनुसार ही पार्ट्स की बिक्री होती है। एक नंबर के उपकरण को दूसरे मॉडल के वाहन में नहीं लगाया जा सकता है। जैसे एक टायर को उसी कंपनी के दूसरे मॉडल में नहीं लगा पाते हैं। ऐसे में कई सामान दुकान में ही फंस जाते हैं। जितनी भी गाड़ियां आ रही हैं, उनका अपना नंबर है।

फोरलेन बनने के बाद पार्किंग की समस्या

अमित जायसवाल ने बताया कि नरौली के दुकानदारों की सबसे बड़ी समस्या वाहनों की पार्किंग की है। यहां लोक निर्माण विभाग ने सड़क को चौड़ा कर फोरलेन बना दिया, लेकिन पार्किंग की व्यवस्था नहीं दी गई। लोगों को अपने वाहनों को सड़क किनारे खड़ा करना पड़ता है। दुकानदारों के लिए भी समस्या रहती है। सैकड़ों की संख्या में यहां पर दुकानें हैं, लेकिन रोड से दूरी होने और बीच में प्लेटफार्म होने के चलते वाहनों को खड़ा करने से रोक भी नहीं पाते। काउंटर पर बैठकर काम करने में व्यस्त रहते हैं, तभी लोग गाड़ी खड़ी कर कहीं अन्य जगह चले जाते हैं। वाहनों के दुकान के सामने खड़े रहने से दुकानदारी पर भी असर होता है और कई बार लड़ाई-झगड़ा की भी नौबत आ जाती है।

इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति बढ़ रहा शहरियों का झुकाव

नवीन ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों ने भी दुकानदारों का सिरदर्द बढ़ा दिया है। वाहनों के लिए यह बड़े बदलाव का समय चल रहा है। डीजल और पेट्रोल के अधिक दाम से परेशान स्थानीय लोग शहर व आसपास दौड़भाग के लिए बैटरी वाली स्कूटी प्रयोग करने लगे हैं। इसमें आने-जाने का खर्च तो कम होता ही है, जाम के दौरान प्रदूषण भी कम होता है। आने वाला समय इलेक्ट्रिक वाहनों का है। अभी तक परंपरागत तरीके से पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों के लिए दुकानदार सामान मंगाते थे, लेकिन बदलाव के दौर में बदलती मांग का असर दुकानदारी पर भी पड़ रहा है। जो समय के साथ नहीं चलेंगे, वे वाहन मार्केट से धीरे-धीरे गायब हो जाएंगे।

पुलिसकर्मी कर देते हैं वाहनों का चालान

धर्मवीर यादव ने बताया कि सड़क चौड़ी होने से उनके लिए जगह अब काफी कम हो गई है। हमारे पास अन्य स्थान भी नहीं बचा है। अब यह मार्ग पीडब्ल्यूडी की तरफ से फोर लेन हो गया है। ग्राहक दुकान के सामने ही वाहन खड़ाकर उसकी मेंटेनेंस का काम कराते हैं। हमारी और वाहन चालकों की मजबूरी है। जब कोई वीआईपी मूवमेंट होती है तो पुलिसवाले यहां पर ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। वहीं, मऊ, बलिया से वाराणसी, प्रयागराज का मुख्य मार्ग होने के चलते कई बार वाहनों की संख्या बढ़ जाती है। पुलिस का अभियान भी चलता रहता है। इन सभी कारणों से पुलिसवाले दुकानों के सामने मरम्मत के लिए खड़े वाहनों का चालान काट देते हैं। वहीं, दुकानदारों को वाहनों के खड़े होने को लेकर अपशब्द भी कहते हैं।

एसेसरीज के दाम में होता रहता है उतार-चढ़ाव

जमुना जायसवाल ने बताया कि एसेसरीज और स्पेयर पार्ट्स के मार्केट में दाम में हर दूसरे-तीसरे दिन उतार-चढ़ाव आता है। कॉपर और अन्य मेटल के बने उपकरणों के दाम में आए दिन फेरबदल होने से बिक्री का रेट भी बदलता रहता है। कंपनी की तरफ से बदलते रेट के बाद उपकरणों के निर्धारित दाम को व्हाट्सएप के माध्यम से दुकानदारों को अपडेट किया जाता है। हमारे लिए भी दाम बदलता है और ग्राहकों के लिए भी। कई बार एक दिन पूर्व जिस दाम पर ग्राहक सामान ले जाता है, उसी सामान को अगले दिन बढ़े दाम पर बेचने पर नोकझोंक की स्थिति बन जाती है। ग्राहक ज्यादा दाम को लेकर आशंकित हो जाते हैं। जबकि हम लोगों की मजबूरी है कि हर दिन की बिक्री का दाम कंपनी के साथ साझा करना पड़ता है।

खुले इलाके में सुरक्षा की सताती है चिंता

सलमान ने बताया कि यहां पर पार्किंग के साथ सुरक्षा की समस्या है। खुला इलाका और हाईवे होने के चलते लगातार वाहन तेज गति से दौड़ते रहते हैं। कौन किस रूप में आ रहा है, इसके बारे में किसी को पता नहीं होता है। घनी आबादी के मार्केट में इस प्रकार की समस्या नहीं होती है। दुकानदार जब तगादा कर आते-जाते हैं तो उनके पास कैश होता है। ऐसे में वे हमेशा अनहोनी को लेकर आशंकित रहते हैं। यहां पर सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है। नरौली तिराहे पर कभी-कभी पुलिसकर्मी दिखाई देते हैं, लेकिन वह मार्केट से दूर है।

प्रशासन की तरफ से दी जाए ट्रेनिंग

मोहम्मद शाह आलम ने बताया कि उनकी कार के फैंसी आइटम व एसेसरीज की दुकान है। दुकान के सामने जगह छोटी पड़ जाती है। वहीं, प्रशासन की तरफ से गाड़ियों की साज-सज्जा से संबंधित किसी प्रकार की ट्रेनिंग की व्यवस्था नहीं होने से प्रशिक्षित लोग नहीं मिल पाते हैं। ज्यादातर सीखने वाले लोग ही मिल पाते हैं। जबकि इस ट्रेड में युवाओं के लिए अच्छे अवसर हैं। दूरदर्शिता की कमी के चलते पुराने परंपरागत कोर्स की ट्रेनिंग दी जाती है, जिसकी कार पार्लर के ट्रेड में कोई जगह नहीं है। दिनकर यादव ने बताया कि वह आईटीआई की पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन वहां पर केवल थ्योरी ही पढ़ाई जाती है। यहां पर काम कर वास्तविक जानकारी भी हो जाती है और जेब खर्च भी निकल जाता

ऑटो पार्ट्स विक्रेताओं की पीड़ा

-कोरोना काल के बाद से धंधा मंदा हो गया है। आनलाइन कार के उपकरणों की की बिक्री से व्यवसाय प्रभावित हुआ है।

-बृजेश कुमार सिंह

-हर तीसरे दिन मोटर पार्ट्स के दाम बढ़ते और घटते रहते हैं। इसकी वजह से ग्राहकों को संतुष्ट रखने के लिए कई तरह की परेशानी झेलनी पड़ती है।

-नवनीत जायसवाल

-नगर के सिविल लाइंस इलाके के बाद नरौली रोड कार एसेसीरिज और आटो पार्ट्स का बाजार है। यहां मूलभूत सुविधाओं पर नगर पालिका की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

-अमित जायसवाल

-नरौली रोड का सुंदरीकरण तो किया गया, लेकिन कार पार्किंग की व्यवस्था नहीं की गई। जबकि यहां पर पूरे दिन वाहनों का ठहराव होता है।

-नवीन

-इस रोड से किसी वीआईपी के जाने पर ही पूरा अमला सफाई अभियान में जुटता है। इसके बाद रोड किनारे सफाई नहीं होती है।

-धर्मवीर यादव

-नरौली इलाके में लगभग ढाई सौ दुकानें और गोदाम हैं। जलनिकासी की व्यवस्था न किए जाने से बारिश में गोदाम में पानी भर जाता है।

-जमुना जायसवाल

-शहर में जगह नहीं होने से कारोबारी इस इलाके में ही कारोबार करना मुनासिब समझते हैं। इसके बाद भी ग्राहकों के लिए कहीं पर पेयजल की व्यवस्था नहीं है।

-सलमान

-क्या समस्या बताएं। सामने देखिए, रोड किनारे के ग्राहक की गाड़ी खड़ी है। पुलिस वाले कब चालान कर दें, कुछ कहा नहीं जा सकता।

-मो.शाह आलम

-इस क्षेत्र में युवा आना चाहते हैं, मगर आईटीआई पास होने के बाद प्रशासनिक स्तर पर किसी तरह का प्रशिक्षण दिए जाने की व्यवस्था नहीं है।

-दिनकर यादव

-जिले में शिल्पियों को जिस तरह से हुनरमंद बनाने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है, उस तरह से इलेक्ट्रानिक वाहनों के लिए ट्रेनिंग नहीं दी जाती है।

-वीरेंद्र यादव

-बिजली विभाग की लापरवाही से रोड के डिवाइडर पर लगी स्ट्रीट लाइट शाम को नहीं जलती हैं। अंधेरे में काम करने में दिक्कत आती है।

-अजय सिंह

-नई कारों की सजावट के लिए दिनभर इस रोड पर ग्राहकों का आना-जाना रहता है, मगर नरौली तिराहे से लेकर पहलवान तिराहे तक एक भी सार्वजनिक शौचालय नहीं है।

-जावेद अहमद

सुझाव :

युवाओं को कार मैकेनिक के रूप में प्रशासनिक स्तर पर ट्रेनिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाए। ट्रेनिंग का प्रमाण पत्र जारी किया जाए।

मोटर वर्कशाप में प्रशिक्षण ले चुके मैकेनिकों को रोजगार मेले में अनुभव के आधार पर चयनित कर कंपनियों में नौकरी दिलाई जाए।

कार की सजावट के लिए आने वाले ग्राहकों के लिए सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया जाए। जिससे उन्हें दिक्कत न हो।

विकसित हो रहे मार्केट को देखते हुए वाहन पार्किंग की व्यवस्था की जाए। अनावश्यक रूप से पुलिस वाहनों का चालान न करे।

भीषण गर्मी को देखते हुए पेयजल की व्यवस्था की जाए। जिससे दूर-दराज से आने वाले राहगीरों और ग्राहकों की प्यास बुझ सके।

शिकायतें :

फोरलेन का निर्माण कर लोगों को सहूलियत देने का प्रयास किया गया, मगर मूलभूत सुविधाओं को नजरअंदाज कर दिया गया है।

पांच सौ मीटर के एरिया में मोटर पार्ट्स, कार पार्लर की दुकानें हैं। इसके बाद भी पेयजल की सप्लाई से इलाके को वंचित कर दिया गया है।

नरौली तिराहे के सुंदरीकरण के नाम पर सार्वजनिक शौचालय ध्वस्त कर दिया गया। इसके बाद कहीं पर निर्माण नहीं किया गया।

दुकानों के आस-पास नगर पालिका की ओर से नियमित सफाई नहीं की जाती है। इसकी वजह से कूड़ा बिखरा रहता है।

रोड पर लगीं स्ट्रीट लाइट कभी नहीं जलती हैं। जिसके चलते अंधेरा पसरा रहता है। अंधेरे में अराजकतत्वों का खतरा रहता है।

बोले जिम्मेदार :

नगरपालिका की तरफ से लगवाई गईं स्ट्रीट लाइटों की जांच कराई जाएगी। खराब होने पर उनकी मरम्मत कराई जाएगी। सफाईकर्मियों को भेजकर इस इलाके में नियमित सफाई कराई जाएगी। शौचालय और पानी की समस्या दूर करने के लिए भी प्रयास किया जाएगा। सार्वजनिक शौचालय के लिए जगह की तलाश की जाएगी।

विवेक त्रिपाठी, ईओ।

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