लोन चुकाए बिना दूसरे बैंक से लिया कर्ज, सात किसानों पर केस
Barabanki News - मसौली में किसानों ने बिना कर्ज चुकाए दूसरी बैंक से केसीसी लोन लेकर धोखाधड़ी की। आर्यावर्त ग्रामीण बैंक ने सात किसानों के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया है। इन किसानों ने बंधक भूमि का गलत तरीके से...

मसौली। बिना कर्जा चुकाए दूसरे बैंक से भी केसीसी बनवाकर किसानों ने ऋण ले लिया। इतना ही नहीं बंधक बनी जमीन को कूटरचित कागजातों को लगाकर बेच दिया गया। ऐसे एक नहीं सात मामले जांच के बाद आर्यावर्त ग्रामीण बैंक मसौली के अधिकारियों ने पकड़े। इसे लेकर प्रबंधक ने ऐसे सात किसानों के खिलाफ धोखाधडी का मुकदमा दर्ज कराया है। इसे लेकर केसीसी के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले किसानों में हड़कम्प मचा हुआ है। आर्यावर्त बैंक के शाखा प्रबंधक त्रिपुरेश शुक्ल ने बताया कि ग्राम देवकलिया निवासी रामफल पुत्र हजारी ने आर्यावर्त ग्रामीण बैंक शाखा मसौली से 23 मई 2015 को अपनी कृषि भूमि को बंधक रखकर केसीसी से पांच लाख का ऋण लिया। बिना कर्ज अदा किए रामफल ने 29 मार्च 2017 को आईडीबीआई बैंक शाखा नाका सतरिख से अपनी उसी भूमि के नाम पर नौ लाख 71 रुपए का ऋण ले लिया। इसी प्रकार देवकलिया गांव के ही अखिलेश कुमार व अरविन्द कुमार पुत्रगण राधेश्याम ने अपनी कृषि भूमि को ग्रामीण बैंक मे बंधक बनाते हुए 21 अक्टूबर 2018 को चार लाख 90 हजार का केसीसी लोन लिया। इसके बाद ऋण अदा न करके अखिलेश कुमार ने 29 सितंबर 2019 को बैंक आफ बड़ोदा शाखा जीआईटीएम लखनऊ से पांच लाख 65 हजार का ऋण ले लिया। इसके अलावा उसके भाई अरविन्द ने 31 जुलाई 2019 को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा सुल्तानपुर से सात लाख का ऋण ले लिया। वहीं भूलीगंज कस्बा मसौली निवासी मयंक सिंह पुत्र नागेश्वर ने अपनी भूमि को बैंक से बंधक करते हुए चार लाख 10 रुपए का केसीसी लोन लिया। उसे अदा न करके जमीन को ही बेच डाला। इसके अलावा कटरा मसौली निवासी राधेश्याम पुत्र छेदा ने 28 जून 2014 को ग्रामीण बैंक से दो लाख 62 हजार का केसीसी से लोन लिया। कर्ज न चुकता करके राधेश्याम ने सहकारी ग्रामीण विकास बैंक शाखा बाराबंकी से एक लाख का ऋण ले लिया। इसी प्रकार ग्राम मलौली के मीरपुर निवासी पिता पुत्र रामसरन व राजेश ने 17 नवंबर 2017 को ग्रामीण बैंक से तीन लाख का केसीसी लोन लिया। इसके बाद 27 जून 2019 को कूटरचित अभिलेखों के जरिए उत्तर प्रदेश सहकारी ग्रामीण विकास बैंक शाखा रामनगर से भी चार लाख का ऋण के लिया। ऋण की अदायगी न होने पर खाता एनपीए हुआ तो मामले की जांच बैंक ने कराई तो पूरा मामला सामने आया। आर्यावर्त बैंक के शाखा प्रबंधक त्रिपुरेश शुक्ल का आरोप है कि भूमि को बिना अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए दूसरी बैंक से लोन ले लिया गया। उच्चाधिकारियों के आदेश पर संबंधित किसानो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
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