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आईवीआरआई द्वारा निर्मित जैविक जाल 15 दिन में खत्म करेगा हर्निया की बीमारी

Bareily News - इंसानों की तरह जानवरों में भी हर्निया की समस्या होती है। आईवीआरआई के वैज्ञानिकों ने पशुओं के उत्तकों से जैविक जाल बनाया है, जो हर्निया को जल्दी ठीक करता है। यह जाल घुलनशील है और उपचार के बाद अदृश्य हो...

Newswrap हिन्दुस्तान, बरेलीMon, 26 May 2025 06:08 AM
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आईवीआरआई द्वारा निर्मित जैविक जाल 15 दिन में खत्म करेगा हर्निया की बीमारी

इंसानों की ही तरह ही कुत्ता, बिल्ली, गाय, घोड़ा, बकरी, भैंस, खरगोश आदि में भी हर्निया की समस्या पायी जाती है। यह बीमारी जानवरों के लिए गंभीर विकार है, जिसमें आंते एबडोमिन की परत को फाड़कर बाहर आ जाती हैं। पशुओं को इस बीमारी से छुटकारा दिलाने के लिए इंडियन वेटनेरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (आईवीआरआई) के वैज्ञानिकों ने जैविक जाल बनाया है। वैज्ञानिकों के अनुसार कई बार हार्निया रोग से पशुओं के शरीर में स्थित एक मुख्य अंग डायाफ्राम के मस्कुलर-टेंडिनस जंक्शन पर टूटने से पेट के कुछ हिस्से छाती में चले जाते हैं। इससे पशु के हृदय की क्रिया प्रणाली व श्वसन क्रिया में बाधा उत्पन्न होने लगती है।

गंभीर चोटों में, इस विकार से आमतौर पर अधिकतर पशुओं की मृत्यु हो जाती है। आईवीआरआई के सर्जरी डिवीजन की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रेखा पाठक और उनकी टीम ने हर्निया का जाल पशुओं के उत्तकों से बनाया है। डॉ. रेखा ने बताया कि इस जाल की मदद से हर्निया की समस्या बहुत ही जल्दी और कम समय में ठीक हो जाती है। इस जाल को बायो ऑबजरबेबल्स (बायोएक्टिव जाल) का नाम दिया गया है। क्योंकि न केवल यह हर्निया को जल्दी ठीक करता है बल्कि ठीक करने के पश्चात घुलकर अदृश्य हो जाता है। एक खास तकनीक द्वारा और कोशिकाओं की मदद से इस हर्निया के जाल को बनाया गया है। जाल का प्रयोग अभी तक कुत्ते, बिल्ली, बकरी, गाय, भैंस, खरगोश आदि में सफलता पूर्वक किया जा चुका है। बनाए गए जाल में हैं विशेष प्रकार ग्रोथ फैक्टर डॉ. रेखा पाठक ने बताया कि हर्निया के उपचार को बनाए गए इस जाल में विशेष प्रकार के ग्रोथ फैक्टर होते हैं, जिनकी वजह से हर्निया के जल्दी ठीक होने की संभावना होती है। निर्मित हर्निया का जाल मृत पशुओं के स्वस्थ उत्तकों से बनाया गया है। जो कि घुलनशील होने के कारण हर्निया को ठीक करने के बाद अदृश्य हो जाता है। अभी तक ऑपरेशन में लगाया जाता था सिंथेटिक जाल वैज्ञानिकों ने बताया कि पूर्व की तकनीकि में यह जाल सिंथेटिक होता था। जो कि पॉलीप्रोपेलीन अथवा नायलॉन से निर्मित होता था। यह घुलनशील भी नहीं था। इसकी वजह से हमेशा चुभन बनीं रहती थी। वर्तमान अध्ययन में बनाया गया जाल न केवल घुलनशील है बल्कि घाव भरने की प्रक्रिया को भी तेज कर देता है। इससे किसी प्रकार का रिसाव या प्रतिकूल प्रभाव पशु के स्वास्थ्य पर नहीं पड़ता है और न ही किसी प्रकार की प्रतिरोधक क्षमता को घटाने के लिए दवा का इस्तेमाल होता है। काफी सस्ता होगा यह जाल डॉ. रेखा पाठक ने बताया कि सिंथेटिक जाल की तुलना में पशुओं के उत्तकों से तैयार किया गया यह जाल पशु पालकों को काफी कम दाम में उपलब्ध हो सकेगा।

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