पॉजिटिव मां से पैदा हुए थे 350 बच्चे, 348 हुए निगेटिव
Basti News - बस्ती में लाइलाज एड्स के मामलों में वृद्धि हो रही है। हालांकि, पॉजिटिव मां से पैदा हुए 350 बच्चों में से 348 बच्चे निगेटिव हैं। जागरूकता और नियमित दवा के जरिए संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है। हर...

बस्ती, निज संवाददाता। लाइलाज एड्स बीमारी का नाम सुनते लोग सिहर जाते हैं। चूंकि इस बीमारी को कोई ठीक करने वाली दवा बनी नही है। नहीं कोई इंजेक्शन है। बस, इससे बचाव ही एक रास्ता है। जागरूकता से इस गंभीर बीमारी से खुद के साथ दूसरे को बचा सकते हैं। लेकिन, जिले में संख्या लगातार बढ़ रही, जो चिंता का विषय है। हालांकि, एक रिपोर्ट सुखद है जो पॉजिटिव मां से पैदा हुए 350 बच्चे में से दो को छोड़ 348 निगेटिव हुए। ऐसा तब हुआ, जब शुरू से दवा चली और लगातार वह फालोअप में हैं। जिले में 5465 एड्स रोगी पंजीकृत हुए हैं।
इसमें से 2565 की दवा चल रही। 113 दवा खाने से इनकार करते हुए छोड़ दिए। 1233 लोगों ने शहर छोड़ दूसरे जगह शिफ्ट हो गए। वहीं 171 की मौत हो गई है। जिला अस्पताल एआरटी सेंटर के नोडल अधिकारी महेश प्रसाद का कहना है कि एड्स एक गंभीर बीमारी है, जो कई बार जानलेवा तक साबित होती है। आज भी समाज में इसे लेकर जागरूकता की कमी है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका अभी तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है। ऐसे में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने और इसकी वैक्सीन विकसित करने के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 18 मई को वर्ल्ड एड्स वैक्सीन डे मनाया जाता है। जब तक यह वैक्सीन लांच नहीं हो जाए और असर नहीं दिखे तब तक बचाव ही सहारा है। जो मां, बाप या युवा इस बीमारी की चपेट में हैं वह नियमित दवा खाएं, इससे संक्रमण का प्रभाव कम होगा। संक्रमित मां यदि बच्चे को जन्म देती है तो वह संस्थागत अस्पताल में ही प्रसव कराए, ताकि बच्चे का प्रारंभिक उपचार शुरू हो जाए। सेंटर नोडल ने बताया कि डेढ़ साल तक बच्चा फालोअप में रहता है, नियमित उसका दवा दी जाती है। इससे बच्चा निगेटिव हो जाता है। मां को नियमित दवा एआरटी सेंटर से लेकर खाना होता है। महिला अस्पताल में 350 बच्चे संक्रमित मां से पैदा हुए। जिसमें से दो पॉजिटिव हैं, शेष सभी निगेटिव हैं। यह दवा और फालोअप के जरिये हुआ। बताया गया कि जो दो बच्चे पॉजिटिव हैं उनका प्रसव घर पर हो गया था। ऐसे में संस्थागत प्रसव ही कराएं। बता दें कि जिला अस्पताल, महिला अस्पताल, कैली समेत सीएचसी रुधौली, बनकटी, बहादुरपुर, गौर, हर्रैया, परशुरामपुर में एड्स जांच और पुष्टि दोनों की सुविधा है।
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