सावधान! दबे पांव किडनी खराब कर रही पथरी-प्रोस्टेट, इस एज के हैं सबसे ज्यादा मरीज
- ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजिस्ट डॉ. रवि प्रकाश मिश्रा ने बताया कि ओपीडी में रोजाना 60 से अधिक किडनी के मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इनमे से 10 फीसदी मरीजों की किडनी का फंक्शन खराब हो चुका है।

सबके लिए सावधान रहने की बात है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बिहार में किडनी के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खास बात यह है कि करीब 10 फीसदी मरीजों को बीमारी का पता किडनी खराब होने के बाद चल रहा है। यह मरीज पथरी और प्रोस्टेट से पीड़ित हैं। इनमें से ज्यादातर मरीजों की उम्र 55 वर्ष से अधिक है।
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऐसे मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। मेडिकल कॉलेज के यूरोलॉजिस्ट डॉ. रवि प्रकाश मिश्रा ने बताया कि ओपीडी में रोजाना 60 से अधिक किडनी के मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इनमे से 10 फीसदी मरीजों की किडनी का फंक्शन खराब हो चुका है। उन्हें बीमारी का पता तब चला जब किडनी खराब होने की स्थिति में पहुंच गई। किडनी खराब होने के कारण सीरम क्रिएटनिन मानक से चार से पांच गुना तक अधिक मिला।
किडनी में थी पथरी नहीं हुआ दर्द
डॉ. रवि ने बताया कि पूर्वी यूपी में किडनी के मरीजों में पथरी की समस्या सबसे आम है। आमतौर पर किडनी में पथरी छह मिलीमीटर से अधिक बड़ा होने पर दर्द होता है। करीब 10 फीसदी मरीजों में यह दर्द नहीं हुआ। जबकि किडनी में पथरी का आकार बढ़ता गया। इससे किडनी में सूजन और संक्रमण हो गया।
सीरम क्रिएटिनिन का लेवल सामान्य से चार गुना अधिक हो गया। खून में यूरिया की मात्रा बढ़ने पर मरीज को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। फेफड़ों पर दबाव बढ़ गया। तब जांच में पथरी का पता चला।
बुजुर्गों में बढ़ जाता है प्रोस्टेट का आकार, होता है संक्रमण
डॉ. रवि ने बताया कि प्रोस्टेट की बीमारी 55 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों को होती है। यह मूत्र मार्ग के अंतिम सिरे पर स्थित होती है। बुजुर्गों में इसका आकार बढ़ जाता है। इससे मूत्र मार्ग पर दबाव बढ़ जाता है। यूरिन ब्लैडर एक बार में खाली नहीं होता। बुजुर्गों को रुक-रुक कर कई बार में यूरिन होता है। जिसके कारण यूरिन ट्रैक इन्फेक्शन और किडनी इन्फेक्शन हो जाता है। उन्होंने बताया कि 10 फीसदी बुजुर्गों में इस दौरान दर्द नहीं होता। पता तब चलता है जब क्रिएटनिन उछलता है।
डायलिसिस कर खून से निकालनी पड़ी यूरिया
डॉ. रवि ने बताया कि ऐसे मरीजों को डायलिसिस की आवश्यक्ता पड़ती है। डायलिसिस के दौरान खून से यूरिया को निकाला जाता है। किडनी पर दबाव कम होता है। यह तात्कालिक उपाय है। इलाज में लापरवाही होने पर ऐसे मरीजों की किडनी फेल हो जाती है।