Bijnor s Hockey Talents Struggle for Resources Despite Rich Heritage बोले बिजनौर : जिले में बने एस्ट्रो टर्फ मैदान तो खिलाड़ियों को मिले नई पहचान, Bijnor Hindi News - Hindustan
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बोले बिजनौर : जिले में बने एस्ट्रो टर्फ मैदान तो खिलाड़ियों को मिले नई पहचान

Bijnor News - बिजनौर में हॉकी की समृद्ध परंपरा है, लेकिन आज के खिलाड़ी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं। हॉकी के लिए एस्ट्रो ट्रफ ग्राउंड की कमी और स्कूलों का सहयोग न मिलने के कारण खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर नहीं पा...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिजनौरMon, 5 May 2025 01:16 AM
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बोले बिजनौर : जिले में बने एस्ट्रो टर्फ मैदान तो खिलाड़ियों को मिले नई पहचान

बिजनौर में खेल प्रतिभाओं का खजाना है। हॉकी में बिजनौर ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी दिए। जिन्होंने जिले का नाम रोशन किया, लेकिन आज हालात जुदा है। जिले की खेल प्रतिभाएं हॉकी में नाम रोशन तो करना चाहती हैं लेकिन संसाधनों से जूझ रही हैं। अगर संसाधन मिले तो जिला ही नहीं देश का नाम भी रोशन हो सकता है । जिले में एस्ट्रो ट्रफ हॉकी ग्राउंड तक नहीं है। जिले के हॉकी खिलाड़ियों का कहना है कि हॉकी को बढ़ावा देने के लिए जिले में नया एस्ट्रो ट्रफ हॉकी ग्राउंड होना चाहिए। सुबह और शाम नेहरू स्टेडियम में हॉकी खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाए।

एक खेल के मैदान से भला नहीं होगा। ब्लॉक स्तर पर भी खेल के मैदान होने चाहिए। हॉकी में बिजनौर का शानदार इतिहास रहा है। महात्मा विदुर की धरती पर रजिया जैदी ने हॉकी की स्टिक थामकर जिले का नाम देश भर में रोशन किया। बिजनौर ने हॉकी में भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रजिया जैदी जैसे खिलाड़ी दिए हैं। बिजनौर की धरती पर जन्मी रजिया जैदी ने हॉकी खिलाड़ी के रूप में जहां छाप छोड़ी वहीं जनपद ही नहीं देश का नाम रोशन किया। रजिया जैदी 1980 से 1990 तक देश के लिए हॉकी खेली। रजिया जैदी ने 1982 में एशियन गेम्स में हॉकी टीम की नम्बर वन गोलकीपर के रूप में भारत को गोल्ड दिलाया था। बिजनौर में कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी दिए लेकिन आज हॉकी खिलाड़ी सुविधाओं को लेकर जूझ रहे हैं। नेहरू स्टेडियम में करीब 40 हॉकी खिलाड़ी रजिस्टर्ड है तो वहीं रोज करीब 60 हॉकी खिलाड़ी पसीना बहा रहे हैं। जिले में हॉकी खिलाड़ी संसाधनों से जूझ रहे हैं जिले में हॉकी खिलाड़ियों की सबसे बड़ी समस्या बिजनौर में एस्ट्रो ट्रफ हॉकी ग्राउंड का न होना है। जिले में आज एस्ट्रो ट्रफ हॉकी ग्राउंड की आवश्यकता है। आजकल की हॉकी प्रतियोगिता इसी ग्राउंड पर होती है। यह जिले का दुर्भाग्य है कि अभी तक यहां पर एस्ट्रो ट्रफ हॉकी ग्राउंड नहीं है । साथ ही हॉकी को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों द्वारा भी सहयोग नहीं किया जाता है। जिले के स्कूलों द्वारा बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाने के लिए नेहरू स्टेडियम नहीं भेजा जाता है। नेहरू स्टेडियम के हॉकी कोच लगातार स्कूलों से संपर्क करते हैं। बावजूद इसके भी हॉकी खिलाड़ी नेहरू स्टेडियम में नहीं भेजे जाते हैं। हॉकी खिलाड़ियों ने कहा कि एक परमानेंट सरकारी हॉकी कोच की व्यवस्था नेहरू स्टेडियम में होनी चाहिए ताकि वह नियमित रूप से हॉकी का प्रशिक्षण दे सकें। साथी खेलने के लिए गेंद पर्याप्त मात्रा में खिलाड़ियों को मिलनी चाहिए। हॉकी खिलाड़ियों ने कहा कि हॉकी को बढ़ावा देने के लिए पूर्व खिलाड़ियों का सहयोग लिया जाए । अगर ऐसा होगा तो हॉकी में सुधार होना लाजिमी है । नेहरू स्टेडियम में खिलाड़ियों की संख्या बढ़ानी चाहिए। शाम को जितने खिलाड़ी प्रशिक्षण ले रहे हैं सुबह में भी उतने ही खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाए। हॉकी खिलाड़ियों ने कहा कि एक नेहरू स्टेडियम के अलावा भी अन्य खेल के मैदान होने चाहिए। हर ब्लॉक स्तर पर खेलों के मैदान होने चाहिए। वर्तमान में खेल के मैदान पर नियमित रूप से घास काट कर पानी लगना चाहिए। हॉकी खिलाड़ियों की संख्या अधिक से अधिक बढ़ाई जाए। पुलिस लाइन में होते थे मैच हॉकी के मैच पुलिस लाइन में होते थे। उस समय हॉकी के मैच देखने के लिए लगभग 20 हजार दर्शक पहुंचते थे। हॉकी मैच देखने के लिए लोग दूर दराज से आने में भी नहीं कतराते थे। हॉकी के बिजनौर में अंतरर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रजिया जैदी, सौरभ विश्नोई, साधना सक्सेना, प्रवीण कुमार शर्मा, झम्मन लाल। हॉकी के बिजनौर में नेशनल खिलाड़ी डॉ. वीके त्यागी, महेंद्र नाथ खन्ना, राजेश्वर प्रसाद विश्नोई, चेतन विश्नोई और खालिद इसरार। जरूरत मंद खिलाड़ियों को दी जाए हॉकी स्टिक हॉकी खिलाड़ियों को संसाधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। कुछ स्पॉन्सर आगे आने चाहिए ताकि जरूरत मंद खिलाड़ियों को हॉकी स्टिक आदि मिल सकें। सभी अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ खेलों में आगे बढ़ाए। वहीं खेलों को उच्च स्तर तक ले जाने के लिए स्कूलों को भी सहयोग करना चाहिए। बोले जिम्मेदार हॉकी खिलाड़ियों को पर्याप्त संख्या में गेंद उपलब्ध कराई जाती है। जरूरतमंद खिलाड़ियों को हॉकी की स्टिक भी दी जाती है। हॉकी की कोच नेहरू स्टेडियम में हॉकी खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रही है। एस्ट्रो ट्रफ हॉकी ग्राउंड बनाने के लिए पर्याप्त भूमि नहीं है। भूमि न होने के कारण एस्ट्रो ट्रफ ग्राउंड नहीं बन पाया है। हॉकी खिलाड़ियों को संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कई खिलाड़ियों में प्रतिभा है। हॉकी खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने का हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है। - राजकुमार, जिला क्रीड़ा अधिकारी बिजनौर। हमारी भी सुनिए खेल प्रतिभाओं को निखारना के लिए सरकार और प्रशासन को हम बच्चों के लिए सुविधाएं उपलब्ध करानी चाहिए, ताकि हम सुरक्षित और बेहतर माहौल में खेल सकें। - सलोनी बिजनौर में हॉकी खेलने के लिए एक ही मैदान है। उसी मैदान में क्रिकेट, फुटबॉल और अन्य खेल भी होते हैं। हमें परेशानी होती है। अलग मैदान होने चाहिए। - हर्ष युवा खिलाड़ियों के लिए विभिन्न स्तरों पर प्रतिस्पर्धी लीग का आयोजन होना चाहिए, ताकि उन्हें मैच खेलने का अनुभव मिले और उनमें आत्मविश्वास भी बढ़े। - अर्शित हॉकी को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करना बेहद आवश्यक है। इससे खिलाड़ियों को बेहतर कोचिंग और तकनीकी ज्ञान मिल सकता है। - शिवा खिलाड़ियों के खेलने के लिए अलग से मैदान मिलना चाहिए। जिससे खिलाड़ी मन लगाकर ठीक से प्रैक्टिस कर सके। -दिपेश समाज में हॉकी के प्रति जागरुकता बढ़ाना बेहद जरूरी है, ताकि इस खेल को जमीनी स्तर पर मजबूती मिल सके। - रविन्द्र हॉकी को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों और पंचायत स्तर पर हॉकी से जुड़ी गतिविधियां आयोजित की जानी चाहिए। जिससे हॉकी के प्रति रूझान बढ़े। - देव हॉकी मैदान पर खिलाड़ियों को सुविधा मिलनी चाहिए। खिलाड़ियों के लिए बुनियादी सुविधाएं ही उपलब्ध होनी चाहिए। - दिव्यांशी हॉकी खेलने के लिए घास का मैदान होना चाहिए, जिससे खेलते समय खिलाड़ियों को चोट न लग सके और खिलाड़ी बेखौफ होकर खेल सके। - निशा हॉकी को अधिक लोकप्रिय बनाने और व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने के लिए मीडिया की भूमिका बेहद अहम है। इसके लिए टीवी और रेडियो पर हॉकी मैचों का नियमित प्रसारण किया जाना चाहिए। - प्रियंका सरकार को खिलाड़ियों के लिए छात्रवृत्ति योजनाएं शुरू करनी चाहिए, ताकि वह आर्थिक रूप से सशक्त होकर खेल पर ध्यान केंद्रित कर सके। - भूमि आज भी कई परिवार महिलाओं के खेलों में भाग लेने को ठीक नहीं मानते। हॉकी खेलने वाली महिला खिलाड़ियों को घर से पर्याप्त समर्थन नहीं मिल पाता। - विधि जब हम बाहर हॉकी खेलने जाते हैं तो हमें अपना सारा खर्च खुद उठाना पड़ता है। सफर का किराया, रहने और खाने की व्यवस्था सब कुछ खिलाडियों को अपनी जेब से करना होता है। - स्पर्श खेलों को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए स्कूल-कालेजों में खेलों के लिए जागरूक किया जाना चाहिए। जिससे विद्यार्थी खेलों की तरफ रूझान बढ़े। - दीपक अपने जिले में भी एक एस्ट्रो टर्फ हॉकी ग्राउंड होना चाहिए। जिससे जिले के बच्चें उस पर अभ्यास कर सकें। क्योकि अब अधिकतर प्रतियोगिता इसी ग्राउंड पर होती है। - चित्रा चौहान, हॉकी कोच सुझाव 1. सरकार द्वारा खिलाड़ियों को हॉकी के आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराए जाए। 2. जिले में हॉकी एस्ट्रो टर्फ मैदान होना चाहिए। 3. खेलों को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए विद्यालयों को सहयोग देना चाहिए। 4. स्पोर्ट्स कालेज में प्रवेश के लिए 12 वर्ष की आयु होनी चाहिए। 5. पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों को खेल पर भी ध्यान देना चाहिए। शिकायतें 1. हॉकी खिलाड़ियों के लिए अलग मैदान नहीं है। 2. हॉकी खिलाड़ियों के पास सभी उपकरण नहीं है। 3. जिले में नहीं है कोई एस्ट्रो टर्फ हॉकी मैदान। 4. स्कूल-कालेजों में नहीं दिया जाता है हॉकी पर ध्यान 5. ब्लाक स्तर पर नहीं है खेल के मैदान। क्या होता है एस्ट्रो टर्फ मैदान एस्ट्रो टर्फ मैदान एक ऐसा खेल मैदान है जिसकी सतह कृत्रिम घास (सिंथेटिक टर्फ) से बनी होती है। यह असली घास की तुलना में अधिक टिकाऊ और कम रखरखाव वाला होता है। इसे पानी देने या काटने की आवश्यकता नहीं होती है, और यह जल्दी से सूखा जाता है। इसके अलावा एस्ट्रो टर्फ का उपयोग कई खेलों में किया जाता है। जैसे कि फुटबॉल, हॉकी और सॉफ्टबॉल। यह मैदान को अच्छी सतह प्रदान करता है, जिससे खिलाड़ी तेजी से चल सकते हैं और बिना चोट लगने का डर रहते हैं।

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