बोले बिजनौर : पिंजरा न प्लान, कैसे बचे गुलदार से जान
Bijnor News - बिजनौर जनपद में गुलदार का आतंक बढ़ता जा रहा है, जिसमें अब तक 29 लोगों की जान जा चुकी है। वन विभाग के पास ठोस रणनीति नहीं है, जिससे ग्रामीणों में डर और असुरक्षा बढ़ रही है। गुलदार के हमलों से लोग खेतों...

बिजनौर जनपद में गुलदार का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। आए दिन गुलदार ग्रामीणों, मासूम बच्चों और पशुओं पर हमला उनकी जान ले रहा है। उधर, लाख कोशिशों के बावजूद गुलदार के हमले रोकने को वन विभाग के पास कोई ठोस रणनीति नहीं है, जो सबसे बड़ी समस्या है। ट्रैप कैमरे और पिंजरा लगाने के अलावा उनके पास ऐसा कुछ नहीं जो गुलदार के हमले रोकने के लिए प्रभावी हो। पिछले ढाई साल में 29 लोगों की जान ले चुके और सैकड़ों से ऊपर लोगों पर जानलेवा हमला कर चुके गुलदार मौत बनकर खेतों में छिपे बैठे हैं। खेतों में ही क्यों अब तो गुलदार घरों में घुसने लगे हैं, आए दिन गुलदार के घरों से पालतू पशु उठा ले जाने के घटनाएं आम हैं।
जनपद बिजनौर के समूचे इलाके में गुलदार आतंक का पर्याय बना हुआ है। गुलदार के हमलों में अब तक 29 लोगों ने अपनी जान गवांई जबकि सैकड़ों लोग घायल हो चुके हैं, वहीं हजारों की संख्या में पशु गुलदार का निवाला बने हैं। अब हालात यह हैं कि खेतों में छोड़ों लोग अपने घरों तक में सुरक्षित नहीं हैं। दूसरी ओर गुलदार के सामने वन विभाग लाचार सा नजर आ रहा है। इसके पीछे विभाग की मजबूरियां भी हैं, ऐसा नहीं है विभाग लोगों की रक्षा के प्रति जागरूक या गंभीर नहीं है लेकिन शेड्यूल्ड वन श्रेणी में आने वाले गुलदार का क्या किया जाए, यह वन विभाग को भी समझ नहीं आ रहा। इस वर्ष में ही गुलदार के करीब 100 से ज्यादा हमले सामने आ चुके हैं, वन विभाग ने 2023 से अब तक करीब 100 गुलदार और शावकों का सफल रेस्क्यू भी किया है। बावजूद इसके गुलदार के हमले कम नहीं हुए। इसके बाद अब एक ही उपाय बचता है कि ग्रामीण वन विभाग के भरोसे न रहकर खुद ही अपनी रक्षा करें, जिसके लिए जरूरी है कि वन विभाग की एडवाइजरी का पालन भी करें। गुलदार ने दो दिन में दो घटनाओं को दिया अंजाम चांदपुर क्षेत्र में आतंक पसरा है। चांदपुर के गांव सबदलपुर तेली में रविवार शाम गुलदार ने महिला को अपना निवाला बनाया। इससे पूर्व शुक्रवार की रात चांदपुर के गांव संसारपुर में किसान कमलजीत को भी गुलदार ने हमला कर मार डाला था। दोनों गांवों के बीच करीब 15 किलोमीटर का फासला है। जो गुलदार के लिए काफी कम है। ग्रामीण करन सिंह का कहना है कि प्रशासन गुलदार को आदमखोर घोषित कर इसको मारने की इजाजत दे। गुस्साए अवनीश कुमार ने यहां तक कहा कि अगर नियमों के चक्कर में वन विभाग गुलदार को मारने में अक्षम है तो हमें इजाजत दे दी जाए। हम खुद देख लेंगे, लेकिन बाद में मुकदमे न हों। किसान हामिद अहमद के अनुसार खेतों में लगातार गुलदार देखे जा रहे हैं। लोग खेतों में जाने से कतरा रहे हैं। आरोप लगाया कि वन विभाग पिंजरा लगाने की औपचारिकता करने के अलावा कुछ नहीं करता। 400 से ऊपर गुलदारों से कैसे निपटें 175 वनकर्मी बड़ा सवाल यह भी है कि जनपद में चहुंओर फैले 400 से अधिक गुलदारों से मात्र 175 वन कर्मी कैसे निपटें। इसके अलावा गुलदारों को पकड़ने के लिए सीमित उपकरण में भी विभाग के सामने समस्या हैं। गुलदार जहां एक्टिव होता है, वहां तत्काल पिंजरा तो लगा दिया जाता है कि लेकिन उसमें बांधने के लिए बकरी या अन्य जानवर भी वन विभाग को ही जुटाना पड़ता है। कई तो गुलदार के पिंजरे में बंधी बकरी चोरी भी हो चुकी है। बिजनौर में स्थायी डीएफओ न होने से अभी तक नहीं बनी कोई ठोस प्लानिंग बिजनौर डीएफओ का चार्ज मुरादाबाद डीएफओ को दिया गया है। मुरादाबाद डीएफओ मुश्किल से दो बार बिजनौर आए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गुलदार द्वारा चांदपुर क्षेत्र में सबलदलपुर तेली और संसारपुर गांव में घटना को अंजाम देने के बावजूद भी डीएफओ मौके पर नहीं पहुंचे। डीएफओ ने 1 मई को ज्वाइन किया था और उनके समय में गुलदार ने दो लोगों को निवाला बना लिया है। जबकि पूर्व डीएफओ ज्ञान सिंह टीम के साथ गांव गांव घूमकर ग्रामीणों को वन विभाग की एडवाइजरी का पालन करने के लिए जागरुक कर रहे थे। डीएफओ के बिजनौर में न रहने पर विभाग के पास गुलदार से ग्रामीणों को बचाने के लिए कोई ठोस प्लांनिंग नहीं है। बोले ग्रामीण, हमे पकड़ने नही देते खुद से पकड़ा नही जाता ग्रामीणों का कहना है कि हमें इजाजत मिले तो गुलदार को पकड लें, लेकिन मुकदमे भी हम पर ही होंगे। बतादें कि 10 दिन पूर्व इनामपुरा में फार्म हाउस में घुसे गुलदार को पीटने पर 12 ग्रामीणों पर मुकदमें दर्ज हो गए हैं। ग्रामीण मुकदमों से पीछा छुटाने के लिए कलक्ट्रेट में धरने पर बैठे हैं। चांदपुर ही नहीं जिले भर में गुलदार का आतंक गुलदार का आतंक चांदपुर में नहीं जिले भर में है। गुलदार का आतंक मंडावर, किरतपुर, नजीबाबाद, गंज, हीमपुरदीपा, चांदपुर, जलीलपुर, नगीना, कोतवाली देहात, अफजलगढ़, रेहड़, धामपुर आदि पूरे जिले में है। कब कहा गुलदार किसान को हमला कर निवाला बना लें कहना मुश्किल है। हमारी भी सुनो समस्या प्रशासन इस गुलदार को आदमखोर घोषित किया जाए और इसको जल्द पकड़ कर कहीं बाहर भेजा जाए। लगातार क्षेत्र में गुलदार देखे जा रहे हैं जिससे किसान भी भयभीत है। वन विभाग के डीएफओ व गांव में नहीं पहुंचे काफी नाराजगी है। - करन सिंह, किसान प्रशासन हम लोगों को छूट दे तो हम मार देंगे कोई भी मुकदमा नहीं लिखा जाना चाहिए या खुद विभाग इस आदमखोर को मार दे या इसे पकड़ ले। - अवनीश कुमार, ग्रामीण रात में सिंचाई करने के लिए खेत पर जाता है जब से यह घटना हुई है कोई भी अपने खेतों पर नहीं जा पा रहे हैं वन विभाग की बड़ी लापरवाही देखी जा रही है 15 घंटे बाद भी गांव में पिंजरा नहीं लगाया गया। - हामिद अहमद किसान गुलदार के डर से लोग खेतों में नहीं जा रहे हैं, चारा न ला पाने से पशु भी भूखे मर रहे हैं। जंगल जाने में सभी लोग कतरा रहे हैं। वन विभाग और जिला प्रशासन को गंभीरता से गुलदार को जल पकड़वाना चाहिए। - सोमपाल क्षेत्र में गुलदार आए दिन घटना को अंजाम दे रहा है, लेकिन वन विभाग का कोई बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। सोमवार को जरूर कुछ अधिकारी आए। वन विभाग के इंतजाम नाकाफी हैं। - असलम ग्रामीण डर की वजह से बच्चे स्कूल में भी नहीं पहुंचे, लोगों ने डर के कारण बच्चों को घरों में कैद कर लिया है। महिलाओं ने भी घर से निकलना बंद कर दिया है। सारा काम चौपट हो रहा है। गुलदार बड़ी परेशानी बनता जा रहा है। - अलताफ बार बार गुलदार देखे जाने पर भी वन विभाग कोई संतोषजनक कदम नहीं उठाता दिखता। जिससे लग रहा है कि वन विभाग के अधिकारी दुघर्टना का इंतजार कर रहे हैं। - राकेश कुमार। पदमपुर गांव व रतनपुर रियाय में मंगलवार को गुलदार का जोड़ा सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया था। लेकिन सप्ताह बीत चुका है लेकिन वन विभाग ने गुलदार के जोड़े को पकड़ने का प्रयास तक नहीं किया। ये वन विभाग की लापरवाही है। - धर्मेन्द्र राठी। किसान मजदूर खेतं में जाने से कतरा रहे हैं। गुलदार का भय बना हुआ है। एक के बाद एक ग्रामीण को गुलदार मार रहा है और वन विभाग के लोग एडवाइजरी का पालन करने के लिए बोल रहे हैं। - अनित कुमार। गुलदार देखे जाने से किसान, मजदूर, महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को खतरा बना हुआ है। वन विभाग को इस समस्या का निराकरण करना चाहिए। गुलदार के हमले लगातार बढ़ रहे हैं। - चेतन प्रकाश गुलदार का भय ग्रामीणों व किसानों में बना हुआ है। गुलदार ने पिछले दो सालों में 29 लोग मार दिए हैं। वन विभाग के अधिकारी ग्रामीणों के गुलदार द्वारा मारे जाने का इंतजार कर रहे हैं। गुलदार की समस्या को लेकर वन विभाग आंखे मूदें है। - आकाश राजपूत वन विभाग सूचना के बाद भी आज तक गुलदार पकड़ने को पिंजरा तक भी नहीं लगा पा रहा है। गुलदार की समस्या से निजात को वन विभाग ठोस रणनीति बनाए। - जितेन्द्र राजपूत। रतनपुर रियाय, पदमपुर, रानीपुर के खेतों में गुलदार दर्जनों जंगली जानवरों को अपना शिकार बना चुका है। गुलदार को पकड़ने के लिए वन विभाग को पिंजरा लगाना चाहिए, ना कि दुघर्टना का इंतजार करना चाहिए। - चेतन कुमार सुझाव 1. अभियान चलाकर गुलदारों को पकड़कर चिड़ियाघर भेजा जाए। 2. लोगों को मारने वाले गुलदार को नरभक्षी घोषित करना चाहिए। 3. ग्रामीणों पर हमला करने पर गुलदार को मारने की छूट ग्रामीणों को मिलनी चाहिए। 4. ग्रामीण कि शिकायत पर तुरंत पिंजरे लगवाए जाए। 5. गुलदार की समस्या से निजात को अधिक से अधिक पिंजरे बनवाए जाएं। शिकायतें 1. गुलदार के बढ़ रहे हमले, वन विभाग के पास नहीं ठोस प्लानिंग। 2. आत्मरक्षा में गुलदार को मारने के बाद ग्रामीणों पर हो रहे मुकदमें दर्ज। 3. गुलदार की समस्या से निजात को विभाग के पास पर्याप्त नहीं वनकर्मी। 4. गुलदार की सूचना पर तत्काल घटना स्थल पर नहीं पहुंचती वन विभाग की टीम। 5. गुलदार द्वारा मारे जाने के बाद समय पर नहीं मिलता मुआवजा
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