बोले बुलंदशहर: मैन्स हेयर सैलून चाहते हैं सस्ते लोन की सौगात
Bulandsehar News - बुलंदशहर में हेयर कटिंग सैलून संचालक समाज की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। आर्थिक तंगी और प्रतिस्पर्धा के कारण उन्हें सम्मान और सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। सैलून संचालक सरकार से सस्ती...
बुलंदशहर। हेयर कटिंग कारोबार से जुड़े नाई समाज के लोग संस्कृति और संस्कार का अभिन्न अंग हैं। जन्म से लेकर मृत्यु के समय तक इनके बिना कोई भी संस्कार अधूरा माना जाता है। हेयर कटिंग और शेविंग के लिए सैलून हर वर्ग के लोगों के लिए काफी अहम होता है। इसलिए गली-मोहल्लों से लेकर बड़े-बड़े मॉल में इनकी दुकानें होती हैं। शहर में कहीं पर लग्जरी सैलून संचालित हो रहे हैं तो कहीं पर कोई कुर्सी डालकर इस काम को कर रहा है। रोजमर्रा की जिंदगी में इनकी जितनी जरूरत हैं, उस हिसाब से इन्हें सम्मान और सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में सैलून संचालक चाहते हैं कि उन्हें भी सरकार सस्ते दामों पर लोन की सौगात दें और सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें भी मिले।
शहर के दिल्ली रोड, काला आम, भूड़ चौराहा, अंसारी रोड, डीएम रोड, जिला अस्पताल रोड, पुरानी जेल रोड, रेलवे रोड, लल्ला बाबू चौराहा सहित ऐसा ही शायद कोई इलाका होगा, जहां पर हेयर कटिंग सैलून संचालित नहीं हो रहे हो। शहरभर में करीब तीन सौ दुकानें होंगी। इस कारोबार से करीब 600 से एक हजार लोग जुड़े हुए हैं। इन हेयर कटिंग सैलून संचालकों का दर्द है कि आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इस धंधे में अलग-अलग वर्गों के लोग भी आ गए हैं। जिस वजह से इस कारोबार में काफी प्रतिस्पर्धा हो गई है। ऐसे में नाई समाज के लोगों को या तो मजदूरी करनी पड़ रही हैं या फिर कोई अन्य कारोबार करना पड़ रहा है। सैलून संचालक चाहते हैं कि सभी दुकानों का पंजीकरण होना चाहिए और उनके भी कार्ड जारी हो। ताकि उन्हें समय से सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
हेयर कटिंग के कारोबार में पिछले कुछ वर्षों में काफी बदलाव आया है। कई नामी-गिरामी ब्रांडों के हेयर कटिंग सैलून खुलने की वजह से कारोबार में कड़ी प्रतिस्पर्धा हो गई है। इन सैलूनों में लोग सुंदर दिखने के नाम पर भारी-भरकम रकम भी खर्च कर रहे हैं, लेकिन इनमें काम करने वाले ज्यादातर की आर्थिक स्थिति खराब है। हैयर सैलून संचालकों का कहना है कि वह लोग हेयर कटिंग, फेस मसाज आदि कर उन्हें सुंदर बनाने का काम करते हैं। इसके बाद भी हमें समाज में सम्मान नहीं मिलता। सरकार की योजनाओं में भी उनके लिए अलग से कुछ खास नहीं है। नाई समाज को आर्थिक, सामाजिक और पेशेवर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। काम के घंटे लंबे होते हैं। ग्राहकों की बदलती उम्मीदें और मुनाफे का लगातार दवाब ने काम करने के बावजूद इस काम को करने वालों को सराहना नहीं मिलती। इसक साथ ही बढ़ती महंगाई और सामाजिक संरचनाओं में हो रहे बदलाव भी उनकी कठिनाईयों को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
उद्योग विभाग के माध्यम से मिलनी चाहिए आर्थिक मदद : सैलून संचालकों का कहना है कि जब वह बैंकों से लोन लेने जाते हैं तो उन्हें मना कर दिया जाता है। कुछ बैंक यदि लोन दे भी देते हैं तो ब्याज काफी ज्यादा लिया जाता है। इससे उन्हें काफी परेशानी होती है। ऐसे में यदि जिला प्रशासन जिला उद्योग के माध्यम से सैलून संचालकों को भी कम ब्याज और आसान किस्तों पर लोन की सुविधा उपलब्ध करा देगा तो बेहतर होगा। इसके अलावा शहर के हर चौराहा, बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों आदि के पास में सैलून की जगह को मुहैया कराया जाए।
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मेहनत के हिसाब से नहीं मिलता मेहनताना
सैलून संचालकों का कहना है कि उन्हें मेहनत के हिसाब से मेहनताना नहीं मिलता। मुदस्सर का कहना है कि सामान्य तौर पर बाल कटिंग 30 से 60 रुपये और शेविंग 20 से 50 रुपये तक है। कुछ लग्जरी सैलूनों में यह धनराशि सैकड़ों रुपये में पहुंच जाती है। बड़े सैलूनों को छोड़ दिया जाए तो काफी समय से कटिंग और शेविंग के दामों में कोई बढ़ोत्तरी हुई ही नहीं है। मंगलवार, गुरूवार और शनिवार को काफी कम लोग सैलूनों पर काम कराने के लिए आते हैं। हालांकि रविवार को दुकानों पर ग्राहकों की ठीक-ठाक भीड़ रहती है। उनका कहना है कि कुछ लोग महंगे सैलून में तो मनमाने दाम दे देंगे, लेकिन जब छोटे दुकानदार उनसे मेहनत के रुपये मांगेंगे तो वह आनाकानी करते हैं। ऐसे में परिवार का पालन-पोषण करना भी मुश्किल हो जाता है।
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बाजार के हिसाब से मिलना चाहिए प्रशिक्षण
सैलून संचालक योगेश तोमर का कहना है कि आज के समय में बड़े ब्रांड से मुकाबला करने के लिए छोटे सैलून संचालकों को सरकार की ओर से बेहतर प्रशिक्षण मिलना चाहिए। प्रशिक्षण बेहतर प्रशिक्षित लोगों के द्वारा दिलवाया जाए। बाजार के हिसाब से वह लोग किस प्रकार अपने कारोबार को अपडेट रख सकें, इसके बारे में भी पूरी जानकारी शिविर लगाकर दी जाने चाहिए। आपात या आपदा की स्थिति में भी नाईसमाज के लोगों को आवश्यक आवश्यकताओं में शामिल करना चाहिए। प्रशिक्षण मिलने से छोटे सैलून संचालकों को काफी सहूलियत होगी। जिला प्रशासन को इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।
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सौंदर्य प्रसाधन की महंगाई से भी हो रही है परेशानी
सैलून संचालक सत्यम कुमार का कहना है कि शेविंग से लेकर कटिंग में प्रयोग होने वाले सौंदर्य प्रसाधन निरंतर महंगाई की ओर अग्रसर हैं। जो शेविंग फोम पहले 170 रुपये में मिलता था, अब वहीं फोम 280 रुपये में मिल रहा है। इसके साथ ही आफ्ट शेव लोशन की कीमतों में भी काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में ग्राहक ब्रांड को लेकर काफी सजग हो गए हैं। अच्छे ब्रांड के सारे लोशन 200 रुपये से अधिक कीमत वाले हैं। बढ़ती महंगाई के चलते शेविंग की लागत भी बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में सौंदर्य प्रसाधन के दाम कम हो जाएंगे तो सैलून संचालकों को काफी सहूलियत मिल सकती है।
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सैलून संचालक के मन की बात
सैलून संचालकों के साथ-साथ दुकानों पर काम करने वाले कारीगरों के लिए पेंशन की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके अलावा सरकार की ओर से बीमा योजना का भी उन्हें लाभ मिलना चाहिए।
-मुदस्सर
सरकार को हमारे समाज के लिए केस कला बोर्ड का गठन करना चाहिए। इससे सैलून संचालकों को काफी फायदा होगा।
-रिंकू
नगर पालिका के अधिकारियों को सैलून संचालक कारोबार से जुड़े लोगों के लिए अलग दुकानों और जगह को आरक्षित करना चाहिए। ताकि सैलून संचालक अपना कारोबार बढ़ा सकें।
-ताकिर
काफी संचालक किराये की दुकानों में कारोबार कर रहे हैं। ऐसे में जब दुकान को खाली कराने के लिए कहा जाता है तो सैलून संचालकों पर ही गलत आरोप लगते हैं। ऐसे में एकतरफा कार्रवाई नहीं होनी चाहिए और दुकानदारों का पक्ष भी सुनना चाहिए।
-प्रदीप तोमर
नगर पालिका की ओर से बनाए गए बाजारों में हेयर कटिंग सैलून संचालकों के लिए दुकान आवंटित होनी चाहिए।
-मोहम्मद आदिल
सरकार हर समाज की तरह अलग से नाईसमाज के लोग भी कोई व्यवस्था बनाए, जिसके तहत हम लोगों को सभी सुविधाएं मिलें।
-प्रमोद
किसी सड़क किनारे जब हम लोग कुर्सी डालकर अपना काम शुरू करते हैं तो वहां से भगा दिया जाता है। हम लोगों को भी बाजार में कम से कम दो दुकानें खोलने दी जाए। ताकि आजीविका बेहतर चल सके।
-योगेश तोमर
जिला प्रशासन के अधिकारियों को सैलून संचालकों के लिए एक रेट लिस्ट बनानी चाहिए। इसका सख्ती से पालन भी कराया जाए। ताकि दामों में कोई हरेफेर ना हो।
-यासीन
सरकार की ओर से संचालित योजनाओं का लाभ सैलून संचालकों को मिलना चाहिए। इससे परिवार को चलाने में काफी फायदा होगा।
-सादिक
साप्ताहिक बंदी के साथ-साथ महीने में एक दिन सभी सैलून बंद होने चाहिए। इस काम में नियम बनने चाहिए और प्रशासन के अधिकारियों को सहयोग करना चाहिए।
-जीतू
सौंदर्य प्रसाधन के दामों को कम कर सैलून संचालकों को राहत देनी चाहिए। दिन-प्रतिदिन बढ़ती इन प्रसाधनों पर महंगाई ने काम प्रभावित किया है।
-सत्यम कुमार
महंगे ब्रांड वाले सैलून संचालकों को टक्कर देने के लिए बेहतर प्रशिक्षण मिलना चाहिए। इससे काफी राहत मिल सकती है।
-इरफान
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सुझाव:
1.सैलून संचालकों के लिए लाइसेंस प्रणाली को आसान बनाना चाहिए।
2.शहरी क्षेत्रों में हर सैलून पर एक रेट होनी चाहिए।
3.सैलून खोलने के लिए मिलने वाले उपकरणों को सस्ता किया जाए।
4.सौंदर्य प्रसाधन के दामों को कम करने से इस कारोबार को मिल सकती है आसानी।
5.सैलून खोलने के लिए आसानी से कर्ज मिलने की प्रक्रिया होनी चाहिए।
शिकायत:
1.सैलून संचालकों की दुकानों पर काम करने वालों का होना चाहिए पंजीकरण।
2.शहरी और नामी ब्रांडों की रेट लिस्ट अलग-अलग होने से दिक्कत।
3.सैलून खोलने के लिए मिलने वाले उपकरणों का महंगा होना।
4.सौंदर्य प्रसाधन के दामों का दिन-प्रतिदिन दाम बढ़ना।
5.सैलून खोलने के लिए कर्ज की प्रक्रिया को बहुत ही सरल बनाया जाए।
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कोट::
हेयर कटिंग सैलून संचालकों की समस्याओं को शासन स्तर पर रखा जाएगा। कोशिश की जाएगी कि उन्हें भी सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध हो। उद्योग विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर उनकी समस्याओं का हल कराने का प्रयास होगा।
-प्रदीप चौधरी, सदर विधायक
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