विवाह बंधन नहीं, भावना और एकता का अद्भुत संगम
Chandauli News - इलिया, हिन्दुस्तान संवाद।विवाह वंधन नहीं भावना और एकता का अद्भुत संगम:किंकरविवाह वंधन नहीं भावना और एकता का अद्भुत संगम:किंकरविवाह वंधन नहीं भावना और

इलिया, हिन्दुस्तान संवाद। विवाह बंधन नहीं संस्कार है। भावनाओं और एकता का अद्भुत संगम है। प्रभु श्रीराम माता जानकी का विवाह पवित्र संस्कार, सच्ची भावनाओं का आध्यात्मिक सामंजस्य का मिलन है। यह बातें इलिया कस्बा में आयोजित संगीतमय श्रीराम कथा के चौथे दिन काशी से पधारे कथावाचक रामानुजाचार्य मारुति किंकर जी ने कहीं। उन्होंने कहा कि ब्रह्मचर्य, सन्यास, वानप्रस्थ और गृहस्थ यह चार प्रकार के आश्रम होते हैं, इन चारों आश्रमों में बहुत ही सुंदर गृहस्थ आश्रम होता है। जिसमें देवता, मनुष्य, पशु, पक्षी सभी लोगों का कल्याण होता है। प्रभु श्रीराम ने धरती पर अवतार लेकर आसुरी शक्तियों का वध करके देवताओं और मनुष्य का कल्याण किया। माता अहिल्या को श्राप से मुक्ति दिलाया। माता कैकेयी और पिता राजा दशरथ का आदर्श बनकर राजपाठ का त्याग करके सीता मैया के साथ 14 वर्ष तक वन में बिताया। आज समाज में जिस तरह से विकृतियां फैली हुई है, ऐसी परिस्थितियों में भगवान श्री राम के आदर्श की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। अगर सभी लोग प्रभु श्रीराम और भारत के त्याग को अपना लें। माता-पिता के आज्ञा का पालन करें तो समाज में फैल रहे विकृतियों स्वत: समाप्त हो जाएंगें और घर परिवार स्वर्ग जैसा सुंदर बन जाएगा। कथा में सेंचु सिंह, विवेक तिवारी, हनुमान चौरसिया, मुरारी मद्धेशिया, महेंद्र मुखिया, रेखा देवी, सुशीला देवी, नैतिक कुमार, मीना देवी मौजूद रही।
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