सीएम योगी ने दिया है जिसकी जांच का आदेश, पीएम मोदी से करा दिया उसका लोकार्पण
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में विकास के लिए आ रहे सैकड़ों करोड़ रुपए को लेकर किस तरह से अधिकारी कारस्तानी कर रहे हैं, इसका एक बड़ा मामला सामने आया है। सीएम योगी ने जिस काम की जांच का आदेश दिया है, पीएम मोदी से उसी का लोकार्पण करा दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने से वाराणसी के विकास के लिए खजाना खुला हुआ है। सैकड़ों करोड़ की योजनाएं लगातार चल रही हैं। इन योजनाओं में घपले-घोटाले के आरोप खुद वाराणसी के विधायक भी लगाते रहे हैं। इस बीच एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने यहां के अफसरों की कारस्तानी की पोल खोलकर रख दी है। पर्यटन विभाग ने उन दो परियोजनाओं का भी पीएम मोदी के हाथों लोकार्पण करा दिया जिनकी जांच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर चल रही है। ये काम रामनगर में शास्त्रीघाट और सामनेघाट के पुनर्विकास से जुड़े हैं।
स्थानीय विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने ही निर्माण पर उंगली उठाई थी। निर्माण सामग्री के नमूने अपने खर्च पर जांच के लिए दूसरी लैब में भिजवाया है। अभी इसकी रिपोर्ट आनी बाकी है। विधायक ने कहा कि यह मुद्दा मुख्यमंत्री की आगामी बैठक में उठाया जाएगा। हालांकि सवाल यह भी उठ रहा है कि जब प्रधानमंत्री विधायक के इलाके की किसी योजना का लोकार्पण या शिलान्यास करने जा रहे हैं तो उन्हें इसकी जानकारी लोकार्पण के बाद क्यों मिली। कहा जा रहा है कि विभाग ने लोकार्पण की जानकारी क्षेत्रीय विधायक तक को नहीं दी। जबकि सरकार की तरफ से जारी विज्ञापन और अखबारों में भी दोनों योजनाओं के लोकार्पण की जानकारी छपी थी। मतलब साफ हैै कि जो लिस्ट छपी, उसे भी विधायक ने नहीं देखा था।
पीएम मोदी ने 11 अप्रैल को वाराणसी समेत पूर्वांचल को 3900 करोड़ की परियोजनाओं की सौगात दी थी। इसी सौगात में 21 करोड़ रुपये से शास्त्री घाट और सामनेघाट के पुनर्विकास के काम का भी लोकार्पण किया था। 10.50 करोड़ से पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर गंगा किनारे घाट का निर्माण कराया गया है। 13 सितंबर 2024 को घाट पर निर्माणाधीन बारादरी की छत गिरने से मलबे में दबकर चंदौली निवासी मजदूर की मौत हो गई थी। जिलाधिकारी ने घटनास्थल को तत्काल सील कराते हुए एडीएम सिटी के नेतृत्व में पीडब्ल्यूडी और आरईएस विभाग की जांच समिति गठित कर दी थी।
क्षेत्रीय विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने वाराणसी दौरे पर मुख्यमंत्री की बैठक में कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठाया था। उन्होंने बताया था कि पूर्व में एक अन्य दीवार गिरने की घटना पर कार्यदायी संस्था यूपीपीसीएल के अधिकारियों को चेताया गया था। विधायक ने खराब निर्माण सामग्री के इस्तेमाल की बात की थी। उन्होंने इतनी ही धनराशि से सामनेघाट में चल रहे घाट के पुनर्विकास कार्यों की भी शिकायत की थी।
मुख्यमंत्री ने बैठक में ही डीएम को विधायक की मौजूदगी में जांच का आदेश दिया था। इसी क्रम में डीएम और कैंट विधायक दोनों मौके पर पहुंचे और निर्माण सामग्री की सैम्पलिंग कराकर आईआईटी बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग को भेजा। जांच रिपोर्ट आने तक काम रोक दिया गया। बाद में मुख्यमंत्री के निर्देश पर ही आईआईटी कानपुर में भी सैम्पल भेजे गए। उसी दौरान विधायक ने भी कुछ नमूने को अपने खर्च पर जांच कराने के लिए दूसरे राज्य के लैब में भेजा था।
विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने सवाल उठाया कि जिस परियोजना की जांच अभी चल रही है, उसे लोकार्पित कैसे किया जा सकता है। उन्होंने पर्यटन विभाग की कार्यशैली को मनमाना बताया। कहा कि इसकी जानकारी तक मुझे नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि जो नमूने मैंने जांच के लिए भेजे हैं, उसी की रिपोर्ट को अंतिम मानूंगा।
एडीएम सिटी की जांच में मिली थी लापरवाही
एडीएम सिटी के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि बारादरी की छत को खम्भों से जोड़ने के लिए किसी पत्थर या लोहे के क्लैम्प की जगह गोंद का इस्तेमाल किया गया था। जो सीजन की पहली बारिश में ही तेज हवा के कारण गिर गया। प्लेटफार्म को जोड़ने के लिए खराब क्वालिटी के बालू और सीमेंट का इस्तेमाल किया गया।
बिजली गिरने से ढही थी बारादरी की छत
पर्यटन विभाग के उपनिदेशक राजेंद्र रावत ने कहा कि आकाशीय बिजली गिरने से बारादरी की छत क्षतिग्रस्त हुई थी। उन्होंने दावा किया है कि आईआईटी बीएचयू और आईआईटी कानपुर ने अपनी रिपोर्ट में निर्माण सामाग्री को 100 फीसदी सही बताया है। मौसम विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट में आकाशीय बिजली की बात कही थी।
मौके पर अब केवल चबूतरा
फिलहाल रामनगर में शास्त्री घाट परियोजना में दो बारादरी बनाई गई थी। घटना के बाद दोनों बारादरी की छत और चारों ओर के खम्भे हटा दिए गए हैं। मौके पर अब केवल चबूतरा ही रह गया है। वहीं लोकार्पण के बावजूद घाट को जोड़ने वाली सड़क तक नहीं बनी है। पास से गुजर रहा नाला नए घाट पर बह रहा है। घटनास्थल का मलबा आज भी मौके पर पड़ा है।