संभल जामा मस्जिद सर्वेक्षण मामले में हाईकोर्ट का फैसला सुरक्षित, पोषणीयता को दी है चुनौती
संभल की जामा मस्जिद सर्वेक्षण के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। हाईकोर्ट में मामले की पोषणीयता को चुनौती दी गई है। इंतजामिया कमेटी ने पुनरीक्षण याचिका में दीवानी मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती दी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संभल जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद को लेकर दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर निर्णय सुरक्षित कर लिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर मंगलवार को सुनवाई पूरी होने पर दिया।हरिशंकर जैन व सात अन्य ने सिविल जज सीनियर डिवीजन संभल की अदालत में एक मुकदमा किया है, जिसमें यह तर्क दिया गया है कि संभल के कोट पूर्वी स्थित जामा मस्जिद एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी। वादी ने हरिहर मंदिर में प्रवेश के अधिकार की घोषणा की मांग की है। दीवानी अदालत ने इस मामले में सुनवाई करते हुए एएसआई को एडवोकेट कमिश्नर के साथ सर्वे का निर्देश दिया था और मुकदमे की पोषणीयता पर भी सवाल उठाया था। हाईकोर्ट ने संभल की दीवानी अदालत के समक्ष लंबित मूल मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
जामा मस्जिद इंतजामिया कमेटी की पुनरीक्षण याचिका पर हाईकोर्ट ने भारतीय एएसआई को दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। कोई हलफनामा दाखिल नहीं होने पर कोर्ट ने आगे का समय दिया। यह पुनरीक्षण याचिका सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद की गई, जिसमें संभल की दीवानी अदालत के समक्ष पूरी कार्यवाही के साथ मुकदमे की पोषणीयता को चुनौती दी गई।
याचिका में कहा गया है कि मुकदमा 19 नवंबर 2024 की दोपहर दाखिल किया गया था और कुछ ही घंटों के भीतर अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। साथ ही उसे मस्जिद में प्रारंभिक सर्वेक्षण का निर्देश दिया, जो उसी दिन यानी 19 नवंबर को और फिर 24 नवंबर 2024 को किया गया था। अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि सर्वेक्षण की रिपोर्ट 29 नवंबर तक दाखिल की जाए। दीवानी अदालत ने 19 नवंबर को ही हिंदू पक्ष के इस तर्क को स्वीकार कर लिया कि मस्जिद मुगल सम्राट बाबर द्वारा 1526 में संभल में हरिहर मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाई गई थी।