संभल हिंसा मामले में गिरफ्तार जामा मस्जिद के सदर जफर अली मंगलवार को एक पुराने मामले में कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट परिसर में इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे।
यूपी में संभल हिंसा के बाद बनाई गई सत्यव्रत पुलिस चौकी जल्द ही जिला पुलिस कंट्रोल रूम के रूप में विकसित की जाएगी। जिला प्रशासन अब सत्यव्रत चौकी को कंट्रोल रूम के रूप में विकसित करने की योजना में जुटा है। इसके लिए क्षेत्र में नापजोख शुरू हो चुकी है।
यूपी में संभल हिंसा की जांच कर रहे न्यायिक जांच आयोग के सामने शुक्रवार को एसपी कृष्ण विश्नोई ने बयान दर्ज कराया। उनसे आयोग ने पूछा कि ये हिंसा अचानक भड़की या पूरी साजिश के साथ उपद्रव कराया गया। संभल के एसपी कृष्ण विश्नोई ने आयोग को घटना से जुड़े कई साक्ष्य भी दिए।
संभल में जिस शाही मस्जिद का सर्वेक्षण नवंबर में शुरू हुआ और हिंसा भड़क गई, अब उसका नाम बदलने की तैयारी हो रही है। नए नाम वाला नया बोर्ड भी बनकर तैयार हो गया है। यहां पहले से हरे रंग के बोर्ड पर मस्जिद का नाम लिखा है। नया बोर्ड नीले रंग का है और उस पर नया नाम लिखा गया है।
संभल में नवंबर में हुई हिंसा को लेकर यहां के सांसद जियाउर्रहमान बर्क से तीन घंटे से ज्यादा समय तक एसआईटी ने पूछताछ की। इस दौरान सांसद से दर्जनों सवाल पूछे गए।
संभल हिंसा के बाद बनाई गई सत्यव्रत पुलिस चौकी का रविवार को उद्घाटन हुआ। जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में आठ वर्षीय गुनगुन कश्यप ने फीता काटकर चौकी का उद्घाटन किया।
संभल की शाही जामा मस्जिद पर एक बार फिर हिंदुवादी संगठन के लोगों ने पूजा अर्चना की कोशिश की है। दिल्ली से यहां हवन के लिए पहुंचे आधा दर्जन लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
यूपी में संभल हिंसा के मामले में सांसद जियाउर्रहमान बर्क और विधायक के बेटे को जांच आयोग का नोटिस कर किया गया है। दोनों को 5 अप्रैल को लखनऊ में आयोग के समक्ष बयान दर्ज कराने होंगे।
24 नवंबर को हुई संभल में हिंसा के बाद जामा मस्जिद के सामने बनी नई सत्यव्रत चौकी इन दिनों चर्चा के केंद्र में है। चौकी का उद्घाटन रामनवमी को होगा। आमतौर पर पुलिस चौकियां शांति व्यवस्था बनाए रखने का काम करती हैं, लेकिन यह चौकी धार्मिक-सांस्कृतिक संदेशों से भी परिपूर्ण है।
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि इतिहास को बदलने के लिए हम 30 हजार मस्जिदों की खुदाई तो नहीं कर सकते। क्या इससे समाज में वैमनस्य नहीं बढ़ेगा। क्या हमें एक समाज के तौर पर आगे नहीं बढ़ना चाहिए या फिर इतिहास में ही उलझे रहना चाहिए। आखिर हम इतिहास कितना दूर तक जा सकते हैं।