संभल हिंसा में सांसद जियार्रहमान बर्क तलब, थाने में तीन घंटे से ज्यादा समय तक एसआईटी ने दागे दर्जनों सवाल
संभल में नवंबर में हुई हिंसा को लेकर यहां के सांसद जियाउर्रहमान बर्क से तीन घंटे से ज्यादा समय तक एसआईटी ने पूछताछ की। इस दौरान सांसद से दर्जनों सवाल पूछे गए।

जामा मस्जिद क्षेत्र में सर्वे के दौरान हुई हिंसा के मामले में एसआईटी ने मंगलवार को सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क से करीब सवा तीन घंटे तक पूछताछ की। इस दौरान उनसे दर्जनों सवाल पूछे गए। सांसद बर्क पूर्वाह्न 11:05 बजे नखासा थाने पहुंचे, उनके साथ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुलेमान खान समेत अन्य वकील भी मौजूद थे। एसआईटी प्रभारी और अन्य अधिकारियों ने लगभग तीन घंटे सांसद से विस्तार से पूछताछ की। इस दौरान थाना परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। मीडिया से बातचीत में बर्क ने कहा कि पूछताछ में अफसरों का पूरा सहयोग किया गया है।
पिछले साल 24 नवंबर को जामा मस्जिद में सर्वे के विरोध में भड़की हिंसा में सांसद बर्क और जामा मस्जिद की इंतजामिया कमेटी के सदर जफर अली को हिंसा के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में चिन्हित किया गया था। इस मामले में पुलिस जफर अली को पहले ही जेल भेज चुकी है। इसके बाद मुकदमे की जांच के सिलसिले में एसआईटी ने सांसद को 26 मार्च को उनके दिल्ली आवास पर नोटिस दिया था। जिसमें आठ अप्रैल को पूछताछ के लिए पेश होने के किए कहा गया था। दिल्ली से मंगलवार सुबह सांसद संभल पहुंचे। इसके बाद वह करीब 11:05 बजे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुलेमान खान समेत अन्य अधिवक्ताओं की टीम के साथ नखासा कोतवाली पहुंचे।
थाने के बाहर उनके समर्थन में अधिवक्ताओं की भीड़ जुट गई। एसआईटी की टीम में सीओ कुलदीप कुमार और विवेचक अमरीश कुमार की टीम ने हिंसा मामले में सांसद से प्रभारी निरीक्षक के कमरे में करीब सवा तीन घंटे गहन पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार, एसआईटी ने सांसद से पूछा कि 24 नवंबर को वह कहां थे, किससे मिले और किस स्थान पर मौजूद थे? इसके अलावा, हिंसा से पूर्व जामा मस्जिद के सदर जफर अली से हुई बातचीत की प्रकृति और समय को लेकर भी सवाल किए गए। जफर अली के बयान के आधार पर एसआईटी ने सांसद से स्पष्ट किया कि क्या उन्होंने भीड़ जुटाने और सर्वे का विरोध करने के लिए कोई निर्देश दिए थे?
एक अहम सवाल व्हाट्सएप ग्रुप को लेकर किया गया, जिसमें सांसद की तस्वीर डीपी में लगी हुई है। बताया जा रहा है कि 21 और 22 नवंबर को इस ग्रुप में जुमे की नमाज के दौरान भारी भीड़ जुटाने को लेकर संदेश साझा किए गए थे। एसआईटी ने सांसद से यह भी पूछा कि इस ग्रुप के एडमिन कौन हैं और इन संदेशों का उद्देश्य क्या था?
एसआईटी ने यह भी जानना चाहा कि क्या सांसद ने मस्जिद कमेटी के सदस्यों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की थी, और क्या उन्होंने कोर्ट के आदेश पर चल रहे सर्वे को किसी भी कीमत पर रुकवाने की बात कही थी? साथ ही यह भी पूछा गया कि हिंसा की सूचना उन्हें सबसे पहले किस माध्यम से प्राप्त हुई और उस पर उन्होंने क्या प्रतिक्रिया दी?
सांसद बर्क को कोतवाली में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, लेकिन वह सीधे अपने घर से नखासा थाने पहुंच गए, जहां एसआईटी की टीम पहले ही मौजूद थी। इस दौरान कोतवाली में मीडिया और समर्थक उनका इंतजार करते रहे। नखासा थाने में पूछताछ के दौरान एक-एक करके अधिवक्ता भी पहुंचते रहे, जिनमें दिल्ली हाईकोर्ट और अन्य वरिष्ठ वकील शामिल थे। पूछताछ के बाद एसआईटी ने सांसद को जाने की अनुमति दे दी, लेकिन प्रभारी अधिकारी कुलदीप कुमार ने स्पष्ट किया कि जरूरत पड़ने पर सांसद को दोबारा भी तलब किया जा सकता है।
जफर अली से बातचीत को लेकर भी पूछे तमाम प्रश्न
संभल। जांच के दौरान जफर अली द्वारा दिए गए बयानों का हवाला देते हुए, एसआईटी ने पूछा कि क्या भीड़ जुटाने के लिए उन्होंने जफर अली से कोई बात की थी? बात की थी तो कितनी देर? जफर अली का आरोप है कि सांसद ने उन्हें सीधे तौर पर सर्वे का विरोध करने और भीड़ इकट्ठा करने के लिए कहा था। एसआईटी ने सवाल किया कि क्या यह बात उन्होंने फोन पर कही थी या मुलाकात में? एसआईटी ने सांसद से यह भी जानना चाहा कि क्या उन्होंने किसी भी कीमत पर कोर्ट के आदेश में चल रहे सर्वे को रुकवाने की बात कही थी? उन्होंने सर्वे के विषय में और किन-किन लोगों से बातचीत की, यह भी पूछा गया। टीम ने यह भी जानना चाहा कि सांसद को 24 नवंबर को हुई हिंसा की जानकारी सबसे पहले किस माध्यम से मिली और उन्होंने उसके बाद क्या कदम उठाए? तीन घंटे की पूछताछ के बाद सांसद को जाने की अनुमति तो दे दी गई, लेकिन एसआईटी प्रभारी कुलदीप कुमार का कहना है कि जरूरत पड़ने पर उन्हें दोबारा बुलाया जा सकता है।
कोतवाली में इंतजार करते रहे लोग, सांसद पहुंच गए नखासा
संभल। एसआईटी ने जांच के लिए सांसद को कोतवाली में आने का नोटिस दिया था। इसको लेकर सभी मीडियाकर्मी व अन्य पुलिस अधिकारी कोतवाली में सांसद जियाउर्रहमान बर्क के आने का इंतजार करते रहे। सांसद बर्क करीब पौने 11 बजे दो ब्लैक स्कॉरपियो से अपने घर से निकले। वह एकता चौकी से होते हुए कोतवाली आने के बजाय सीधे नखासा थाने पहुंच गए। सांसद के नखासा थाने पहुंचते ही एसआईटी की टीम नखासा पहुंची। और उनसे पूछताछ की। जिसके बाद उनके पीछे से एक-एक कर अधिवक्ता पहुंचने लगे।
पूछताछ के दौरान यह अधिवक्ता थाने में रहे मौजूद
एसआईटी द्वारा सांसद से पूछताछ के दौरान उनके साथ सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता सुलेमान खान, अब्दुल वारी खां साथ में रहे। इसके अलावा बाहर दिल्ली हाईकोर्ट अधिवक्ता फारूख, नावेद अहमद, जकी अनवर एडवोकेट, शहनवाज एडवोकेट, मो. कासिम जमाल एडवोकेट, सलमान आरिफ एडवोकेट, यावर फराज एडवोकेट, तौफिक अहमद एडवोकेट, जमाल एडवोकेट, मो. यामीन एडवोकेट, मो. आमिर एडवोकेट, मो. शैफ एडवोकेट, अरमान खां एडवोकेट, मो. अदनान एडवोकेट मौजूद रहे। सभी अधिवक्ता हर कार्रवाई के लिए तैयार थे। लेकिन पूछताछ के बाद एसआईटी ने सांसद को जाने दिया।