संभल हिंसा के बाद मस्जिद के सामने बनी सत्यव्रत चौकी का रामनवमी पर उद्घाटन, दीवार पर लिखे गीता श्लोक
- 24 नवंबर को हुई संभल में हिंसा के बाद जामा मस्जिद के सामने बनी नई सत्यव्रत चौकी इन दिनों चर्चा के केंद्र में है। चौकी का उद्घाटन रामनवमी को होगा। आमतौर पर पुलिस चौकियां शांति व्यवस्था बनाए रखने का काम करती हैं, लेकिन यह चौकी धार्मिक-सांस्कृतिक संदेशों से भी परिपूर्ण है।

24 नवंबर को हुई संभल में हिंसा के बाद जामा मस्जिद के सामने बनी नई सत्यव्रत चौकी इन दिनों चर्चा के केंद्र में है। चौकी का उद्घाटन रामनवमी को होगा। आमतौर पर पुलिस चौकियां शांति व्यवस्था बनाए रखने का काम करती हैं, लेकिन यह चौकी धार्मिक-सांस्कृतिक संदेशों से भी परिपूर्ण है। इसका निर्माण इस तरह किया गया है कि यह सुरक्षा और अध्यात्म, दोनों का प्रतीक बन गई है। चौकी की दीवार पर श्रीमद्भगवद्गीता के प्रसिद्ध श्लोक 'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत...' उकेरा गया है।
राजस्थान के पत्थरों पर कुरुक्षेत्र केमैदान में अर्जुन को गीता का ज्ञान देते हुए भगवान श्रीकृष्ण की कलाकृति भी दर्शाई गई है। धर्म-अधर्म के बीच संघर्ष को दिखाने वाले इस चित्र में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान दे रहे हैं। इन चित्रों का उद्देश्य समाज को यह संदेश देना है कि धर्म की रक्षा के लिए सही मार्ग पर चलना आवश्यक है। एएसपी डॉ. श्रीश्चंद्र ने बताया कि संविधान से ली गई कलाकृति के बीच में गीता के इस श्लोक को लिखा गया है। यह सार्वभौमिक आध्यात्मिकता का प्रतीक है। चौकी के निर्माण में कारीगरों ने पत्थरों पर अत्यंत सुंदर और जीवंत चित्रकारी की है।
बीते वर्ष 24 नवंबर को हुई हिंसा के बाद संवेदनशील क्षेत्र में जामा मस्जिद के सामने पुलिस चौकी का निर्माण किया गया है। यह पुलिस चौकी बनकर तैयार हो गई है, पुताई का काम अंतिम दौर में है। छह अप्रैल को रामनवमी पर चौकी का भव्य उद्घाटन होगा। चौकी के अंदर मुख्य गेट के सामने दीवार पर 12 फिट ऊंचाई और 12 फिट चौड़ाई में भव्य मंदिर की कलाकृति उकेरी गई है।
एएसपी डॉ. श्रीश्चंद्र ने बताया कि संविधान से ली गई इस कलाकृति के बीच में गीता का श्लोक लिखा है, जो इसकी सांस्कृतिक पहचान को और सशक्त बना रहा है। राजस्थान के कारीगरों की कड़ी मेहनत से इसे तैयार किया गया है। अनूठी सत्यव्रत चौकी का उद्घाटन रामनवमी के पावन अवसर पर किया जाएगा। रामनवमी भगवान श्रीराम के जन्म का दिन होने के साथ-साथ धर्म और न्याय की स्थापना का भी प्रतीक है।