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ईद उल अजहा की नमाज कल, 20 हजार में बिके बकरे

Deoria News - ईद उल अजहा की नमाज 7 जून को अदा की जाएगी। मुस्लिम भाई 3 दिन तक अल्लाह की राह में कुर्बानी देंगे। बकरों की खरीद-फरोख्त जोरों पर है, इस साल बकरों के दाम पिछले साल की तुलना में बढ़ गए हैं। कुर्बानी के...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाFri, 6 June 2025 10:18 AM
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ईद उल अजहा की नमाज कल, 20 हजार में बिके बकरे

रामपुर कारखाना/देवरिया, हिन्दुस्तान टीम ईद उल अजहा की नमाज शनिवार को अकीदत के साथ पढ़ी जाएगी। नमाज अदा करने के बाद मुस्लिम भाई अल्लाह की राह में 3 दिन तक कुर्बानी देते हैं। मुस्लिम भाइयों ने ईद उल अजहा की तैयारी तेज कर दी है। अल्लाह ताला की राह में कुर्बानी देने के लिए बकरों की खरीद-फरोख्त जोरों पर है। गुरुवार को मंडी में 20 हजार तक के बकरे बिके। कुर्बानी देने वाले बकरों के दाम इस साल सवा गुना तक बढ़ गए हैं। पूर्व सदस्य समतुल्लाह मंसूरी कहते हैं कि इस साल 10 किलो के बकरों का दाम 7 हजार रुपए से लेकर 8000 तक लग रहा है।

जबकि पिछले साल इन्हीं बकरों का मूल्य साढ़े पांच हजार रुपए से साढ़े छह हजार रुपए तक लगते थे। कुर्बानी के जानवर का फर्बा होना जरूरी है। इसलिए बकरी पालक मुंह मांगा दाम मांगते हैं। इसी तरह 15000 से ₹20000 में अच्छी नस्ल के बकरे मिल रहे हैं। शहर के अबू बकर नगर, गोरखपुर ओवर ब्रिज, अमन गेट और स्टेशन रोड पर सुबह और शाम बकरों के बाजार लग रहे हैं। ईद उल अजहा के मद्देनजर शहर के तहसील रोड, अमन गेट, स्टेशन रोड में सेवई और खजूर की दुकानें सज गई हैं। मुस्लिम समुदाय के लिए ईद उल अजहा दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। ईद उल फितर के बाद यही एक त्यौहार है, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोग ईदगाह में नमाज अदा करते हैं। 7 जून को अल्लाह ताला के बंदे ईदगाह में ईद उल अजहा की नमाज अदा करेंगे। नमाज अदा करने के बाद अल्लाह ताला की राह में कुर्बानी देने का सिलसिला शुरू हो जाएगा। मुस्लिम भाई नमाज अदा करने के बाद 3 दिनों तक अल्लाह की राह में कुर्बानी पेश करते हैं। पेश इमाम हाफिज मोहम्मद इरफान खान ने कहा कि कुर्बानी देने वाले जानवर के शरीर पर जितने बाल होंगे, इतनी ही नेकियां कुर्बानी कराने वाले के आमाल में लिखी जाएंगी। हर माले निसाब पर कुर्बानी जायज है। अल्लाह ताला की राह में कुर्बानी देने से बहुत सवाब मिलता है। माले निसाब पर वाजिब है कुर्बानी हाफिज खान कहते हैं कि जिन लोगों पर जकात वाजिब है, उन्हें कुर्बानी जरूर कराना चाहिए। कुर्बानी के जानवर का फर्बा होना जरूरी है। जानवर सेहतमंद होना चाहिए। माले निसाब का नियत भी साफ होना चाहिए। दिल में गुब्ज रखकर कुर्बानी देने वाले की कुर्बानी अल्लाह ताला कबूल नहीं फरमाते हैं। कुर्बानी के जानवर का अवशेष दफन करने की ताकीद पेश इमाम हाफिज मोहम्मद इरफान खान कहते हैं कि कुर्बानी के जानवर का अवशेष गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए। अल्लाह ताला की प्यारे रसूल इरशाद फरमाते हैं कि कुर्बानी के जानवर का खून जमीन पर गिरने से पहले ही अल्लाह ताला के हजूर में कबूल हो जाता है। कुर्बानी के जानवर का अवशेष इधर-उधर फेंकने और खून नाली में बहाने से अल्लाह ताला नाराज होता है। इसके अलावा दूसरे समुदाय के लोगों को तकलीफ होती है। सेंवई की सज गई है दुकान ईद उल फितर के बाद ईद उल अजहा कुर्बानी के साथ-साथ खुशी का पर्व भी माना जाता है। इन्हीं दोनों त्यौहार में मुस्लिम भाई सेंवई बनाते हैं और गले मिलकर मुबारकबाद देते हैं। शहर के तहसील रोड, अबू बकर नगर, अमन गेट समेत रामपुर कारखाना के गुदरी बाजार, मेन रोड और मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सेवई की दुकानें सज गई है। शाम को खरीदार भी उमड़ रहे हैं।

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