Tribute to Dr Indradev Tripathi on 26th Death Anniversary Ayurveda Pioneer and Scholar आयुर्वेद को समर्पित रहा डॉ. इंद्रदेव त्रिपाठी का जीवन, Deoria Hindi News - Hindustan
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आयुर्वेद को समर्पित रहा डॉ. इंद्रदेव त्रिपाठी का जीवन

Deoria News - भाटपाररानी में डॉ. इंद्रदेव त्रिपाठी की 26वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर विद्वानों ने उनके योगदान और व्यक्तित्व पर चर्चा की। डॉ. त्रिपाठी का जीवन आयुर्वेद के प्रति समर्पित रहा और उन्होंने 40 से...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाMon, 28 April 2025 10:32 AM
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आयुर्वेद को समर्पित रहा डॉ. इंद्रदेव त्रिपाठी का जीवन

भाटपाररानी(देवरिया),हिन्दुस्तान टीम। स्थानीय शिवमन्दिर के देव कुंज में आयुर्वेद, साहित्य और ज्योतिष के प्रकांड विद्वान व आयुर्वेद के अनेक ग्रन्थो के टीकाकार ,भाष्यकार व मौलिक रचनाकार डॉ इंद्रदेव त्रिपाठी की 26वीं पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर उपस्थित विद्वानों और सम्बन्धियों ने उनके व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें श्रद्धासुमन समर्पित किया। इस अवसर पर डॉ. जनार्दन सिंह ने कहा कि डॉ इंद्रदेव त्रिपाठी का जीवन आयुर्वेद के द्वारा कठिन रोगों के निदान व उसके उपचार पर नवीन शोधों को समर्पित रहा। लालजी यादव ने उन्हें आयुर्वेद का महान चिकित्सक बताया तथा उनके सरल व्यक्तित्व पर चर्चा की। अभाविप के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अमित मिश्र ने डॉ त्रिपाठी को राष्ट्रीय विभूति बताया और कहा कि भारतीय मेधा तथा भारतीय चिकित्सा परम्परा के ध्वजवाहक आचार्य रहे हैं। उनकी कृतियाँ आज भी आयुर्वेद के अध्ययनकर्ताओं के लिए सामवेद की तरह है। कार्यक्रम संयोजक व उनके ज्येष्ठ पुत्र अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य रमाशंकर त्रिपाठी ने उनकी स्मृतियों को याद करते भावविह्वल हो गए तथा कहा कि महान पिता का पुत्र होने पर गर्व होता है उनके दिखाए गए मार्ग पर ही हम सब चलते हैं। इस अवसर पर आलोक मिश्रा, रामजी मिश्रा, धनन्जय पांडेय,संजय पांडेय, धनेश्वर भारती, विजय यादव, अमानत अंसारी , शमसाद आलम , जगलाल चौधरी ,सोनू पांडेय ,अमित पांडेय आदि ने अपने श्रद्धासुमन समर्पित किये।इस अवसर पर अतिथियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित भी किया गया।

जानें कौन थे इंद्रदेव त्रिपाठी

बचपन से ही अत्यंत मेधावी रहे इंद्रदेव त्रिपाठी का जन्म 1919 में गोपालगंज जिले में हुआ था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से उन्होंने साहित्याचार्य, मीमांसाचार्य, वैद्यविशारद तथा आयुर्वेदाचार्य की उपाधि प्राप्त की तथा राज्य सरकार के आयुर्वेद तथा संक्रामक रोग अधिकारी तथा वाराणसी में ही चिकित्साधिकारी के पद पर कार्य किया। उन्होंने 40 से अधिक ग्रन्थों का प्रणयन किया। जिनमें अधिकांश आयुर्वेद की अनुदित पुस्तकें हैं, जिनमें क्षेम कुतूहल टीका ,गद निग्रह, महौषधनिघन्टु, नाड़ीविज्ञान, नाडी परीक्षण , रसार्णव आदि प्रमुख हैं।

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