Women Forced to Leave Villages Due to Microfinance Debt Pressure माइक्रो फाइनेंस के तगादे से त्रस्त महिलाओं ने छोड़ा गांव , Deoria Hindi News - Hindustan
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माइक्रो फाइनेंस के तगादे से त्रस्त महिलाओं ने छोड़ा गांव

Deoria News - माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के तगादे से परेशान होकर कुछ महिलाओं को गाँव छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। एक ही परिवार को कई कंपनियों ने कर्ज दिया है, और अब कर्ज की किस्त न चुका पाने के कारण उन्हें गाँव...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवरियाTue, 6 May 2025 06:13 AM
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माइक्रो फाइनेंस के तगादे से त्रस्त महिलाओं ने छोड़ा गांव

देवरिया, निज संवाददाता। माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के एजेंटों के तगादे से परेशान होकर कुछ महिलाओं को गांव छोड़ने को मजबूर होना पड़ा है। एक ही परिवार को कई माइक्रो फाइनेंस कंपनियों ने कर्ज दिया है। अब कर्ज की किस्त अदा नहीं करने पर कई महिलाओं को गांव छोड़ना पड़ा है। कर्ज के जाल में फंसकर गरीब अपने खून, पसीने की कमाई गवां रहे हैं। स्वरोजगार कर गरीबी दूर करने के नाम पर जिले में माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा कर्ज देने के नाम पर गरीबों को आर्थिक शोषण किया जा रहा है। करीब डेढ़ दशह पहले तक जिले में तीन-चार माइक्रों फाइनेंस कंपनियां काम करती थी, लेकिन गरीबों से 25 से 30 फीसदी ब्याज वसूली के चलते माइक्रो फाइनेंस कंपनियों के लिए गरीबों को कर्ज देना काफी मुनाफे वाला है।

यहीं वजह है कि जिले में एक दर्जन से अधिक माइक्रो फाइनेंस कंपनियों का जाल फैल गया है। यह जिला मुख्यालय से लेकर उप नगरों तक में अपना आफिस खोलकर गांवों की गरीब महिलाओं को स्वरोजगार करने के नाम पर कर्ज देते हैं। वह खास कर दलित व पिछड़े वर्ग की गरीब महिलाओं को अपने झांसे में लेकर उन्हे 30 से 70 हजार रूपये तक का कर्ज देते हैं। कर्ज देने के बाद अगले सप्ताह से किस्त में इसकी वसूली शुरू कर देते हैं। किस्त में कर्ज के अलावा एक साल का ब्याज व अन्य खर्च भी जोड़ते हैं। कर्ज लेने वाले अधिकांश अनपढ़ व कम पढ़े लिखे गरीबों को इसका पता भी नहीं चलता है। अगर किसी को किस्त देने में परेशानी होती है तो दूसरा माइक्रो फाइनेंस कंपनी उसे कर्ज देने को तैयार रहती हैं। इस तरह से कर्ज लेने वाला चार- पांच माइक्रो फाइनेंस कंपनियों से कर्ज लेकर उनके जाल में फंस जाता है। सभी का किस्त अदा करने को पूरा परिवार हाड़ तोड़ मेहनत करता है। इसके बाद भी कर्ज के जाल से निकल नहीं पाता है। कर्ज देने वाली कंपनियों के एजेंटों के तगादे से परेशान होकर रामपुर कारखाना थाना क्षेत्र के विशुनपुर चिरकिहवा निवासी आधा दर्जन महिलाओं ने पिछले महीने गांव छोड़ दिया। बगल के बरईपुर, मोहन मुण्डेरा, हरपुर, सामीपट्टी, पिपरहिया आदि गांवों में भी कई परिवार कर्ज के दलदल में फंसकर छटपटा रहे हैं।

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