बोले मथुरा-ब्राह्मण समाज पर न अपनी धर्मशाला, न परशुराम मंदिर
Etah News - मथुरा-वृंदावन में ब्राह्मण समाज समस्याओं का सामना कर रहा है। आर्थिक संकट, धर्मशाला और भगवान परशुराम के मंदिर की कमी है। समाज के सक्षम लोग इनकी स्थापना के लिए तैयार हैं, लेकिन जमीन की जरूरत है। यमुना...

मथुरा-वृंदावन में सबसे ज्यादा आबादी वाला ब्राह्मण समाज भी समस्याओं से जूझ रहा है। इस समाज का समान्य जाति की श्रेणी में आना ही उसके लिए अभिशाप बन गया है। समाज का एक बड़ा तबका आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसके साथ ही ब्राह्मण समाज के पास अपनी कोई धर्मशाला नहीं है। न ही भगवान परशुराम का मंदिर है। समाज के सक्षम लोग धर्मशाला और मंदिर बनवाने को तैयार हैं, लेकिन उनको सरकार से जमीन की दरकार है। इसके साथ ही महानगर के प्रमुख चौराहों का विकास भगवान परशुराम चौक के रूप में करने की मांग भी यह समाज लंबे समय से करता चला आ रहा है।
मथुरा-वृंदावन में सर्वाधिक आबादी ब्राह्मण समाज की है, लेकिन इस समाज की भी अपनी समस्याएं हैं। ब्राह्रमण समाज में एक बड़ा तबका ऐसा है, जो आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है। इसके साथ ही ब्राहमण समाज का यह दर्द भी है कि मथुरा-वृंदावन में न तो कोई ब्राह्मण समाज की धर्मशाला है और न नहीं भगवान परशुराम का कोई मंदिर है। इतना ही नहीं यमुना के प्राचीन घाटों का सौंदर्यकरण नहीं कराया गया। सबसे बड़ा मुद्दा यमुना प्रदूषण का भी है। हिन्दुस्तान समाचार-पत्र के डेंपियर नगर स्थित कार्यालय पर बोले मथुरा के तहत आयोजित संवाद में भगवान परशुराम शोभायात्रा समिति व ब्राह्मण समाज से जुड़े लोगों ने अपना यह दर्द बयां किया। ब्राह्मण समाज के लोगों ने बताया कि मथुरा-वृंदावन में सबसे ज्यादा आबादी ब्राह्मण समाज की है। इसके बाद ही इस समाज का एक बड़ा तबका उपेक्षा का शिकार है, जबकि सबसे सनातन धर्म के संरक्षक के रूप में ब्राह्मण समाज ने हमेशा समाज को एक नई दिशा देने के प्रयास किए हैं। हर किसी के कल्याण की कामना करने वाले ब्राह्मण समाज के पास मथुरा-वृंदावन में एक धर्मशाला तक नहीं है। न भगवान परशुराम का कोई मंदिर है। इतना ही नहीं नगर पालिका परिषद की बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद भी आज तक होली गेट चौराहे का नामकरण भगवान परशुराम चौक के नाम पर नहीं हो सका। संवाद में मौजूद ब्राहमण समाज के लोगों ने एक स्वर में सरकार से मांग की कि सरकार को मथुरा-वृंदावन के बीच एक एकड़ जमीन उपलब्ध करानी चाहिए, जहां धर्मशाला और परशुराम मंदिर की स्थापना ब्राहमण समाज स्वयं कराने को तैयार है। इसके अलावा सवामी घटा, असकुंडा व किशन गंगा घाट का सौंदर्यकरण प्राथमिकता से किया जाए। यह तीनों ही प्रमुख घाट हैं, जो सबसे ज्याद दयनीय हालत में है। ब्राह्मण के लोगों ने यमुना के प्रदूषण मुक्त न हो पाने का दर्द भी बयां किया। उन्होंने कहा कि यमुना से ही ब्रजभूमि की पहचान है। अरबों रुपये यमुना प्रदूषण के नाम पर डकार लिए गए, लेकिन आज तक यमुना प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकी। इसके चलते यमुना के घाट श्रद्धालु-पर्यटक विहीन होते जा रहे हैं। सरकार को प्राथमिकता से यमुना को प्रदूषण मुक्त करना चाहिए, ताकि यहां श्रद्धालुओं का आगमन बढ़े। श्रद्धालुओं की घटती संख्या का असर तीर्थ पुरोहितों की रोजी-रोटी पर पड़ रहा है। ब्राह्मण समाज का एक बड़ा तबका ऐसा भी है, जिसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। इन परिवारों को सरकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ इसलिए नहीं मिल रहा है, क्योंकि वे सामान्य जाति से हैं। ऐसे में सरकार को आरक्षण की व्यवस्था जातिगत न करके आर्थिक आधार पर करनी चाहिए। ब्राह्मण महिलाओं को दीन-हीन कहा जाता है, जबकि समाज को विप्र महिलाओं ने एक नई दिशा दी है। सरकार को आरक्षण की व्यवस्था खत्म करनी चाहिए। इसके साथ ही स्वामी घाट व आसपास के घाटों की विशेष सफाई व सौंदर्यकरण किया जाना चाहिए, ताकि इन घाटों का आस्तित्व बचाया जा सके। -रुचि द्विवेदी मथुरा-वृंदावन में ब्राह्मणों की न कोई धर्मशाला है न ही भगवान परशुराम का कोई मंदिर है। सरकारी नौकरी में ब्राह्मण युवाओं को प्राथमिकता के आधार पर अवसर मिलने चाहिए। समाज की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। इसके लिए परशुराम शोभायात्रा समिति द्वारा महिलाओं तलवारबाजी का प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है। -भावना शर्मा ब्राह्मण महिलाओं को खुद का रोजगार स्थापित करने के लिए शासन-प्रशासन को प्राथमिकता के आधार पर योजनाओं का लाभ दिलाना चाहिए, ताकि ब्राह्मण महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। महिलाओ को हमेशा निर्धन ब्राह्मणी बोला जाता है चाहे वो कितनी भी सक्षम क्यों न हों, ये भेदभाव बंद होना चाहिए। -प्रीति चतुर्वेदी ब्राह्मण समाज के दबे-कुचले लोगों की जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। समाज के हित में ब्राणों ने सदैव अपना आहम योगदान दिया है। परंतु, आरक्षण की वजह से ब्राह्मण समाज की प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ पा रहीं हैं। आरक्षण की व्यवस्था आर्थिक आधार पर होनी चाहिए, न की जाति के आधार पर। -गजेंद्र शर्मा ब्राह्मण समाज के दबे-कुचले लोगों की जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। समाज के हित में ब्राणों ने सदैव अपना आहम योगदान दिया है। परंतु, आरक्षण की वजह से ब्राह्मण समाज की प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ पा रहीं हैं। आरक्षण की व्यवस्था आर्थिक आधार पर होनी चाहिए, न की जाति के आधार पर। -गजेंद्र शर्मा स्वामी घाट वह घाट है, जहां से द्वापर में वासुदेव जी भगवान श्रीकृष्ण को लेकर गोकुल पहुंचे थे। पंरतु, इस घाट के सौंदर्यकरण की ओर किसी का ध्यान नहीं है। न ही आज तक इस घाट को कोई भी योजना ही बनी है। सरकार को प्राथमिकता पर स्वामी घाट के सौंदर्यकरण व उद्धार को योजना पर को मूर्त रूप देना चाहिए। -राकेश गौड़
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