exams in up universities will neither become a puzzle nor will be prolonged a policy on exam pattern committee formed यूपी के विश्‍वविद्यालयों में एग्‍जाम न पहेली बनेंगे न लंबे खिंचेंगे, परीक्षा पैटर्न की बनेगी नीति; कमेटी गठित, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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यूपी के विश्‍वविद्यालयों में एग्‍जाम न पहेली बनेंगे न लंबे खिंचेंगे, परीक्षा पैटर्न की बनेगी नीति; कमेटी गठित

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू होने से पहले पारंपरिक विधा के विश्वविद्यालयों में ज्यादातर परीक्षाएं वार्षिक आधार पर होती थीं। मार्च-अप्रैल में परीक्षाएं होती थीं। कॉपियों का मूल्यांकन कर जुलाई तक परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया जाता था। एनईपी लागू होने के बाद सेमेस्टर परीक्षाएं हो रही हैं।

Ajay Singh ईश्‍वर सिंह, गोरखपुरTue, 15 April 2025 06:21 AM
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यूपी के विश्‍वविद्यालयों में एग्‍जाम न पहेली बनेंगे न लंबे खिंचेंगे, परीक्षा पैटर्न की बनेगी नीति; कमेटी गठित

उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों में ‘एनईपी-2020’ लागू होने के बाद परीक्षा पैटर्न पहेली बना हुआ है। सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बाद परीक्षाओं की लंबी अवधि भी बड़ी समस्या के रूप में उभरकर सामने आई है। इसे देखते हुए राज्य विश्वविद्यालयों के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने एक नीति बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इसके लिए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) कुलपति की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की गई है। समिति को जल्द संस्तुतियां उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू होने से पहले पारंपरिक विधा के विश्वविद्यालयों में ज्यादातर परीक्षाएं वार्षिक आधार पर होती थीं। तब मार्च-अप्रैल में परीक्षाएं होती थीं। उसके बाद कॉपियों का मूल्यांकन कर जुलाई तक परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया जाता था। एनईपी लागू होने के बाद सेमेस्टर परीक्षाएं हो रही हैं। इसमें पुरानी पद्धति के कारण ज्यादातर विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं में ही 40-50 दिन तक का समय लग जा रहा है। कई विवि में साल भर परीक्षा और परिणाम घोषित होने का दौर सा शुरू हो गया है।

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विश्वविद्यालयों में परीक्षा के अलग-अलग पैटर्न

सेमेस्टर सिस्टम में कई विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं का पैटर्न अलग-अलग है। कहीं एमसीक्यू के आधार पर परीक्षाएं हो रही हैं तो कहीं वर्णनात्मक आधार पर। कई विश्वविद्यालयों में इसे लेकर शुरुआती दौर में प्रयोग भी खूब हुए। छात्रों को इसका नुकसान भी उठाना पड़ा। एमसीक्यू से छात्रों की क्षमताएं गिरने की आशंका तो जताई ही गई, दूसरी तरफ व्याख्यात्मक प्रश्न आने से कॉपियों के मूल्यांकन पर असर पड़ रहा है। इससे रिजल्ट आने में देरी हो रही है।

डीडीयू की कुलपति प्रो. पूनम टंडन समिति की अध्यक्ष

शासन के निर्देश पर उच्च शिक्षा विभाग के अनु सचिव संजय कुमार द्विवेदी ने 11 अप्रैल को जारी आदेश जारी किया है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है। उनके अलावा डीडीयू के ही एडमिशन सेल के निदेशक प्रो. हर्ष कुमार सिन्हा सदस्य बनाए गए हैं। केएम राजकीय महिला महाविद्यालय, बादलपुर के प्रो. दिनेश चन्द्र शर्मा समिति के तीसरे सदस्य हैं।

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डीडीयू के फॉर्मूले से कम समय में परीक्षा

सेमेस्टर परीक्षाओं में डेढ़-डेढ़ महीने की परीक्षाएं पूरी तरह से अव्यावहारिक हैं। लगभग 15-20 दिन में परीक्षाएं समाप्त हो जाएं, इसमें सबसे बड़ा रोड़ा बीए के पाठ्यक्रम हैं। लगभग सभी विश्वविद्यालयों में बीए में डेढ़ से दो दर्जन तक विषयों का संचालन होता है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने सत्र 2025-26 से बीए के विषयों को छह ग्रुप में विभाजित कर दिया है। इसके तहत विद्यार्थी छह में से किसी तीन ग्रुप से एक-एक विषय चुन सकेंगे। इस तरह बीए की परीक्षाएं भी दो हफ्ते में ही संपन्न हो सकेगी। यह फॉर्मूला दूसरे विश्वविद्यालयों के लिए भी प्रभावी हो सकता है।