Vendors at Farrukhabad Railway Station Seek Support Amidst Challenges बोले फर्रुखाबाद:जिंदगी की गाड़ी पर समस्याओं का ब्रेक, Farrukhabad-kannauj Hindi News - Hindustan
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बोले फर्रुखाबाद:जिंदगी की गाड़ी पर समस्याओं का ब्रेक

Farrukhabad-kannauj News - फर्रुखाबाद रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले वेंडरों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बंदरों की समस्या, आर्थिक संकट और सरकारी सुविधाओं की कमी से उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है। वेंडर मांग कर रहे...

Newswrap हिन्दुस्तान, फर्रुखाबाद कन्नौजTue, 6 May 2025 02:27 AM
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बोले फर्रुखाबाद:जिंदगी की गाड़ी पर समस्याओं का ब्रेक

फर्रुखाबाद स्टेशन से दो दर्जन ट्रेनें ट्रैक पर दौड़ती हैं, मगर रेलवे स्टेशन के प्लेटफाॅर्म पर काम करने वाले वेंडर सुविधाओं के ट्रैक पर आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। उनके सामने जो समस्याएं हैं उसके समाधान के लिए यदि प्रयास हों तो काफी सहूलियत मिले। वेंटर सबसे अधिक बंदरों की समस्या से दुखी हैं। देखते ही देखते बंदर हजारों रुपये का सामान तहस नहस कर देते हैं इसका असर सीधे आमदनी पर पड़ता है। आपके अपने ‘अखबार हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान राजेश गुप्ता कहने लगे कि वे 24 घंटे सामान बेचते हैं। सामान बिके या न बिके बीमार हो या अन्य कोई समस्या हो किराया देना ही पड़ता है।

लंबी दूरी की ट्रेनों के स्टापेज तो हैं मगर ट्रेन ज्यादा देर नहीं रुकती है। इससे सीधे तौर पर कारोबार पर असर पड़ता है। लोकल रूट की ट्रेनों में जरूर सहूलियत मिल जाती है। लंबी रूट की ट्रेन दो या पांच मिनट रुकती है। ऐसे में यात्री नीचे उतरकर कुछ खरीदें इससे पहले ही ट्रेन चलने लगती है। हम इंतजार में ही रहते हैं कि कब कोई ट्रेन आएगी और सामान बिकेगा। ऋषभ कहते हैं कि अक्सर यह भी हालात होते हैं कि पूरे दिन किराया लायक भी बिक्री नहीं हो पाती है। अगर ट्रेने रद्द हो जाएं तो हालत और बिगड़ जाती है। खाना खर्चा भी नहीं निकल पाता है। उनका कहना था कि बार-बार खाना गरम करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। उन्हें तो यहां बस यहां पर काम करने की अनुमति मिलती है। उनके पास लाइसेंस होता है मगर कोई सरकारी सुविधाएं नही मिलतीं। उनके पास जो कार्ड होता हैउसे ही आगे रिन्यूवल कर दिया जाता है। यदि उन लोगों को इंश्योरेंस जैसी सुविधाएं मिल जाएं तो बेहतर हो। वेंंडर कहने लगे कि पैसेंजर ट्रेनें जब से कम हो गई हैं तब से दिक्कत आ रही है। लंबी दूरी की रेलों में जो यात्री आते है वह समय की कमी के चलते सामान नहीं खरीद पाते हैं। उनकी आमदनी पूरी तरह से ट्रेनों के संचालन पर निर्भर है। स्टेशन से जितनी ज्यादा ट्रेनों का आना जाना होता है उतनी ही अधिक यात्रियों की आमद होती है। ऐसे में आमदनी भी बढ़ जाती है। जो लंबी दूरी की ट्रेनें हैं उनके ठहराव का समय बढ़ना चाहिए। रेलवे वेंडर कहते हैं कि ट्रेन के आने का हर समय इंतजार रहता है। उन्हें उम्मीद रहती है कि यात्री अच्छी संख्या में उतरेंगे और खाने पीने की चीजों को खरीदेंगे। मिले सरकारी सुविधाएं तो मिले राहत : रेलवे स्टेशन फर्रुखाबाद में काम करने वाले वेंडर सरकारी सुविधाओं की भी मांग करते हैं। कहने लगे कि सुविधाओं के अभाव में उन लोगों के सामने दिक्कतें आती हैं। सबसे बड़ी दिक्कत स्वास्थ्य को लेकर है। उनके पास न तो कोई आयुष्मान कार्ड है और न ही अन्य तरह की कोई सुविधा। वेंडर कहते हैं कि जो लाइसेंसधारी वेंडर हैं उनके लिए आयुष्मान कार्ड की सुविधा मिले। इसके लिए बीमारी के हालात में उन्हें सहूलियत मिल सके। वेंडर कहने लगे कि बंदरों ने तो नाक में दम कर रखी है। खाने पीने का सामान भी तहस नहस कर देते हैं। इससे दिक्कतें आती हैं और हजारों रुपये का खानी-पीने के सामान का नुकसान हो जाता है। रेल वेंडरों के लिए सामुदायिक समर्थन प्रदान करने के लिए कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए, जैसे कि सामुदायिक केंद्र या समर्थन समूह। इससे उन्हें अपने समुदाय में जुड़ने और समर्थन प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इन कदमों को उठाकर, रेल वेंडरों की कल्याण में सुधार किया जा सकता है और उन्हें अपने व्यवसाय को सफलतापूर्वक चलाने में मदद मिल सकती है और उनके जीवन की गाड़ी भी आसानी से चलती रहेगी। सुझाव- 1. वेंडरों को रेलवे की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। 2. वेंडरों के लिए ऋण की व्यवस्था का प्रावधान हो और सहूलियत से ऋण दिया जए। 3. वेंडरों के आराम करने को विश्रामालय बनाया जाए। 4. अवैध वेंडरों की धमाचौकड़ी बंद होनी चाहिए। 5. बीमारी के हालात में प्राथमिकता से मुफ्त इलाज किया जाना चाहिए। शिकायतें- 1. वेंडरों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। 2. वेंडरों को सरकारी सुविधाओं का भी लाभ नहीं मिलता है। 3. रेलवे स्टेशन पर विश्राम स्थल न होने से बेंचों पर लेटकर आराम करना पड़ता है। 4. वेंडरों की आय अनियमित होती है इससे आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। छोटे वेंडरों से यात्री सही व्यवहार नहीं करते हैं। बोले लोग- 24 घंटे काम करने से थकान हो जाती है। इसके लिए रेलवे को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे कि सभी को आराम मिल सके। -राजेश गुप्ता हम लोगों के बैठने का भी कोई इंतजाम नहीं है। कोई ऐसा कक्ष बनाया जाए जिससे कि समय मिलने पर उसमें आराम मिल सके। -पंकज कश्यप हम लोग समोसा, पानी, चाय, नमकीन, बिस्किट, फल आदि बेचते हैं। हम लोगों की चिकित्सा व्यवस्था पर ध्यान दिया जाना चाहिए। -ऋषभ गुप्ता रेलवे कोई ऐसी व्यवस्था करे जिससे वेंडरों को सहूलियत मिले और उन्हें आर्थिक रूप से सहायता भी प्रदान की जा सके। -अलवर सक्सेना

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