बोले फर्रुखाबाद:रनिंग ट्रैक बनवाएं...फुटपाथों के कब्जे खाली कराएं
Farrukhabad-kannauj News - फर्रुखाबाद में सेना और पुलिस की भर्ती के लिए तैयारी कर रहे युवाओं के लिए दौड़ने का कोई सुरक्षित स्थान नहीं है। शहर के फुटपाथ अवैध कब्जे में हैं, जिससे उन्हें सड़कें या खेतों की पगडंडियों पर दौड़ लगानी...
सेना और पुलिस की भर्ती में बेहतर भविष्य का सपना संजोए नौजवानों के लिए अपने शहर में कोई रनिंग ट्रैक तक नहीं है। शहर के जो मैदान हैं उनमें या तो अवैध कब्जे हैं या फिर वहां दौड़ने लायक जगह नहीं है। फर्रुखाबाद-फतेहगढ़ मुख्य मार्ग के फुटपाथ भी अवैध कब्जे की चपेट में हैं। ऐसे में नौजवानों को दुष्कर स्थिति से जूझना पड़ता है। नौजवान या तो ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों पर दौड़ लगाने निकल जाते हैं या फिर खेतों की पगडंडियों का सहारा लेते हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान अशोक कुमार कहते हैं कि शहर में यदि फुटपाथ पर दौड़ा जाए तो खतरा ही खतरा रहता है।
क्योंकि सुबह भी काफी ट्रैफिक बना रहता है। ऊपर से फुटपाथ खाली ही नहीं है। वह अतिक्रमण की चपेट में हैं। संतोष कुमार कहते हैं कि शहर में ही रोजाना एक से डेढ़ हजार नौजवान अपने बेहतर भविष्य का सपना लेकर दौड़ लगाते हैं। रनिंग ट्रैक के अभाव में उनके सामने हमेशा असुरक्षा की स्थिति रहती है। पता नहीं किस समय कोई वाहन पीछे या फिर आगे से टक्कर मार दे। पहले घटनाएं भी हो चुकी हैं। विकास दीक्षित कहते हैं कि जो खेल मैदान बनाएं जाएं इसमें रनिंग ट्रैक अवश्य बनाया जाए जिससे नौजवानों को सहूलियत मिल सके। फतेहगढ़ के स्टेडियम में रनिंग ट्रैक बनाये जाने की जरूरत है। साहिल कहते हैं कि उनका सपना पुलिस में भर्ती का है जिसके लिए तैयारी भी कर रहे हैं। शारीरिक प्रशिक्षण के लिए कोई उचित स्थान नहीं है। ऐसे में खुले मैदान की तलाश करनी पड़ती है। अजीत कुमार कहते हैं कि सुबह सड़कों पर ड्राइविंग सीखने वाले लोग भी अपने वाहन दौड़ाते हैं। ऐसे में खतरा बना रहता है। सुरक्षित स्थान की तलाश करनी पड़ती है। अविनाश कहते हैं कि फतेहगढ़ स्टेडियम में भी रनिग ट्रैक बना दिया जाए तो मुश्किल आसान होगी। रोशन कुमार कहने लगे कि दौड़ लगाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जाना पड़ता है। यहां पर भी सड़क पर सुरक्षित दौड़ लगाना कठिन हो जाता है। मनीष कुमार कहते हैं कि तड़के दौड़ लगाने की जब बारी आती है तो सड़कों पर दौड़ते वाहनों से डर लगने लगता है। फुटपाथ अतिक्रमण से घिरे हैं। इससे दुर्घटना का डर रहता है। राजकुमार कहने लगे कि सेना में अग्निवीर बनने के लिए दौड़ लगा रहे हैं। इसके लिए शहर से तीन किलोमीटर दूर ग्रामीण क्षेत्रों में जाना पड़ता है। वहां पर भी समस्याएं बनी रहती हैं। अजय कहते हैं कि शहर के फुटपाथ को खाली कराया जाए जिससे कि नौजवान फुटपाथों पर दौड़ सकें अपना बेहतर भविष्य बना सकें। ड्राइविंग सीखने वालों ने कर रखी आफत : सड़कों पर अपने बेहतर भविष्य का सपना लिये नौजवानों के लिए पग पग पर दिक्कतें आ रही हैं। यतींद्र कहते हैं कि सुबह को जब दौड़ लगाने का मन करता है तो ड्राइविंग सीखने वाले मुसीबत खड़ी कर देते हैं। उल्टी सीधी गाड़ी चलाने से अक्सर खतरा पैदा हो जाता है। विशाल का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर जब जाते हैं तो वहां पर भी इसी तरह की मुसीबत है। इसमें बाइक और चार पहिया वाहन सीखने वाले सुबह तड़के ही ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कों पर निकल लेते हैं। ऐसे में कहां पर दौड़ लगायी जाए यह समझ नहीं आता है। उनका कहना है कि ट्रैफिक का दबाव पांच बजे के बाद से ही बढ़ जाता है। इससे भी समस्यायें आती हैं। दुर्घटना का डर बना रहता है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। अनूप कहते हैं कि दौड़ लगाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाजनक व्यवस्था हो। जो स्टेडियम तैयार किए जाएं वहां पर रनिंग ट्रैक जरूर होना चाहिए। सुझाव- 1. शहर के फुटपाथ कब्जेदारों से खाली कराएं जाएं। 2. बिल्डिंग मैटेरियल वालों के सड़क पर सामान को भी हटाया जाए। 3. स्टेडियम में रनिंग ट्रैक की सुविधा होनी चाहिए। 4. जो भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्टेडियम बनाए जाएं उसमें रनिंग ट्रैक हर हाल में बनाया जाए। 5. जहां युवा दौड़ते हैं वहां पर पुलिस की चौकसी रखी जाए। शिकायतें- 1. फुटपाथों पर अतिक्रमण से नौजवानों को दौड़ में परेशानी है। 2. बिल्डिंग मैटेरियल का सामान सड़कों पर पसरने से युवा फिसलकर चोट खा जाते हैं। 3. स्टेडियम में रनिंग ट्रैक की सुविधा न होने से परेशानी है। 3. ग्रामीण क्षेत्रों में दौड़ लगाते समय वाहनों से खतरा बना रहता है। 4. सुबह तड़के जिन क्षेत्रों में युवा दौड़ लगाते हैं वहां पर सुरक्षा पुख्ता हो। बोले युवा- स्टेडियम में ट्रैक की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए जिससे नौजवानों को दौड़ लगाने में आसानी होगी और वे कॅरियर बना सकेंगे। -मयंक पांच से छह किलोमीटर दूरी पर दौड़ लगानी पड़ रही है। शहर में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां पर दौड़ लगाई जा सके। हम मजबूर हैं। -आशीष सेना या फिर पुलिस मे जाने की इच्छा है इसके लिए दौड़ लगाना जरूरी होता है, पर यहां पर अभ्यास में काफी दिक्कतें हैं। -आशीष मिश्रा ड्राइविंग सीखने वाले अक्सर मुश्किल पैदा कर देते हैं। सामने से या फिर पीछे से दुर्घटना का डर बना रहता है। रोक लगनी चाहिए। -अमूल्य दीक्षित
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